बोले हरिद्वार : न्यू शिवालिक नगर में सरकारी अस्पताल खुलने का इंतजार
टिहरी विस्थापित न्यू शिवालिक नगर में 25 हजार से अधिक की आबादी स्वास्थ्य सेवाओं के लिए जिला अस्पताल या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ज्वालापुर जाने को मजबूर हैं। पिछले 12 वर्षों से स्थानीय लोग प्राथमिक...
टिहरी विस्थापित न्यू शिवालिक नगर में 25 हजार से अधिक आबादी आठ किलोमीटर दूर जिला अस्पताल या चार किलोमीटर दूर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ज्वालापुर के चक्कर लगाने को विवश हैं। इस परिधि में स्वास्थ्य विभाग की तरफ से पीएचसी तक स्थापित नहीं की है। इसका फायदा निजी चिकित्सालय उठा रहे हैं। लोगों से इलाज के लिए मनमाफिक रुपये वसूल करते हैं। न तो स्वास्थ्य विभाग और न ही स्थानीय जनप्रतिनिधि इस तरफ ध्यान दे रहे हैं। जबकि पिछले 12 वर्षों से लगातार स्वास्थ्य विभाग और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को इस संबंध में स्थानीय लोग शिकायत कर रहे हैं। प्रवीण कुमार पेगवाल की रिपोर्ट..
टिहरी विस्थापित न्यू शिवालिक नगर में 25 हजार से ज्यादा आबादी को स्वास्थ्य सेवाओं के लिए जिला अस्पताल या फिर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ज्वालापुर की दौड़ लगानी पड़ती है। पिछले 12 वर्षों से टिहरी विस्थापित में लोगों की सुविधाओं को देखते हुए उपकेंद्र बनाने की मांग की जा रही है। इसके लिए जिला-प्रशासन को स्थानीय लोगों ने जमीन मुहैया कराने तक का प्रस्ताव दिया था। छोटी-छोटी बीमारी के लिए उन्हें बड़े-बड़े अस्पतालों का रुख करना पड़ता है। इस दौरान रोड पर लगने वाले जाम से उन्हें दो-चार होना पड़ता है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खुलने से लोगों को राहत मिलेगी। गर्भवती महिलाएं यहां पर टीकाकरण करा सकेंगी। इसके लिए स्थानीय लोग कई बार स्वास्थ्य विभाग को लिखकर दे चुके हैं कि नगर पालिका के सहयोग से स्वास्थ्य केंद्र को जमीन अथवा बने हुए मकान देने के लिए तैयार है। स्वास्थ्य विभाग की हीला हवाली के कारण लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ हो रहा है और निजी अस्पताल में उनकी जेबें ढीली हो रही है। सबसे ज्यादा समस्या वरिष्ठ लोगों और छोटे-छोटे बच्चों को उठानी पड़ती है। जरा सी परेशानी में उन्हें निजी अस्पताल या फिर जिला अस्पताल लेकर दौड़ना पड़ता है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खुलेगा तो इन्हें यहीं पर इमरजेंसी में इलाज मिल सकेगा।
सुझाव
1. स्वास्थ्य विभाग अपने स्तर से टिहरी विस्थापित न्यू शिवालिक नगर का सर्वे कराएं। इसमें यहां की आबादी की विस्तृत रिपोर्ट मिल जाएगी।
2. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोलने के लिए सिंचाई विभाग और पालिका की पर्याप्त जमीन है। दोनों की एनओसी के बाद सीएमओ की सहमति से निर्माण कार्य किया जा सकता है।
3. न्यू शिवालिक नगर में पिछले कई वर्षों से सिंचाई विभाग के दो भवन खाली पड़े हैं। यह पीएचसी के लिए पर्याप्त है। सिंचाई विभाग से एनओसी के बाद उपकेंद्र शुरू किया जा सकता है।
4. पीएचसी बनने से लोगों को इमरजेंसी में इलाज और गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण, कुत्तों के काटने से रेबीज इंजेक्शन आदि इलाज मिल सकेगा।
5. उपकेंद्र खोलने के लिए विभाग को सबसे बड़ी समस्या जमीन की होती है। पालिका और स्थानीय जमीन मुहैया कराने को तैयार है। विभाग को इस पर कार्य करना चाहिए।
शिकायतें
1. टिहरी विस्थापित न्यू शिवालिक नगर में 25 हजार से ज्यादा की आबादी निवासी करती है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग को शिकायत करने के बाद भी इससे अंजान बना है।
2. स्वास्थ्य सुविधाओं का मूल्यांकन जनसंख्या पर आधारित होता है। उसी के हिसाब से सरकारी स्वास्थ्य संस्थाओं में इलाज की व्यवस्था बढ़ाई जाती है। लेकिन इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा।
3. 12 साल से ज्यादा का समय बीत जाने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग ने क्षेत्र का सर्वे नहीं किया है। आबादी के हिसाब से न्यू शिवालिक नगर में एक स्वास्थ्य केंद्र होना जरूरी है।
4. स्वास्थ्य विभाग की हीला हवाली के कारण ही लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ हो रहा है और निजी अस्पताल में उनकी जेबें ढीली हो रही है। सबसे ज्यादा समस्या वरिष्ठ लोगों और छोटे-छोटे बच्चों को उठानी पड़ती है।
5. हर कोई निजी अस्पताल का खर्च नहीं उठा सकता है। छोटी-छोटी बीमारी के लिए उन्हें बड़े-बड़े अस्पतालों का रुख करना पड़ता है। इस दौरान रोड पर लगने वाले जाम से उन्हें दो-चार होना पड़ता है। छोटी बीमारी में यहां पर डॉक्टर उनकी देखरेख कर सकेंगे।
लोगों के साथ बैठक करें अधिकारी
स्थानीय लोगों का कहना है कि टिहरी विस्थापित न्यू शिवालिक नगर में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी शिकायत के आधार पर लोगों से आकर मिलें और स्वास्थ्य केंद्र बनने पर चर्चा करें। यहां पर जमीन भी उपलब्ध है। स्थानीय लोगों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग जमीन की तलाश करने के बाद प्रस्ताव मांगता है। लेकिन यहां स्थानीय लोगों ने संबंधित विभाग से अस्पताल खोलने की मांग की थी। जिस पर उन्होंने सहमति दी थी कि अगर कोई प्रस्ताव या अनापत्ति प्रमाण पत्र के लिए उनके पास प्रपोज आता है। तो वह उस पर विचार करेंगे लेकिन स्वास्थ्य विभाग की हीला हवाली के कारण कार्य आगे नहीं बढ़ पा रहा है।
टिहरी विस्थापित इलाके अभी भी पिछड़े
नगर पालिका शिवालिक नगर के टिहरी विस्थापित न्यू शिवालिक नगर में लगातार प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खोलने के लिए शासन प्रशासन से मांग की जा रही है। यहां की आबादी लगातार बढ़ती जा रही है। आसपास के गांव भी अब विकास कार्य हो रहे हैं। यहां तमाम प्रकार की सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं, लेकिन चिकित्सा के टिहरी विस्थापित और आसपास के रिहायशी इलाके अभी भी पिछड़े हुए हैं। करीब 25 हजार की आबादी होने के बाद भी यहां पीएचसी नहीं है। लोगों को निजी अस्पताल की शरण लेनी पड़ती है।
मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
स्थानीय लोगों का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग और जिलाधिकारी से लेकर मुख्यमंत्री एवं चिकित्सा मंत्री को पत्र लिखकर स्वास्थ्य केंद्र खोलने की मांग की है। स्वास्थ्य केंद्र होने के बाद गर्भवती महिलाओं से लेकर बच्चों तक को सुविधाएं मिलेगी। कुछ ऐसी जानों को बचाया जा सके, जो समय कम होने और दूरी अधिक होने की वजह से जा सकती हैं। स्थानीय लोगों ने कहा कि न्यू शिवालिक नगर रिहायशी इलाकों में शुमार है लेकिन देहात से भी ज्यादा पिछड़ा हुआ है। यहां सरकारी स्तर पर स्वास्थ्य विभाग की तरफ से किसी प्रकार की सुविधा नहीं है।
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण जरूरी
न्यू शिवालिक नगर से जिला अस्पताल करीब आठ तो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ज्वालापुर चार किलोमीटर की दूरी पर है। ऐसे में, जांच कराने या इलाज के लिए भी भीड़भाड़ और जाम की स्थिति से गुजरना पड़ता है। स्वास्थ्य विभाग अगर यहीं पर पीएचसी या सीएचसी खोलने की अनुमति प्रदान करता है तो लोगों को समस्या नहीं उठानी होगी। स्वास्थ्य विभाग के मानक के अनुसार अगर पांच हजार से ज्यादा की आबादी है तो वहां पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को खोला जाना चाहिए।
25 हजार लोगों पर एक पीएचसी खोला जाए
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी के मुताबिक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र मैदानी क्षेत्रों में 25-30 हजार की आबादी पर खोला जाता है। जबकि उपकेंद्र नगरीय क्षेत्र में पांच हजार की आबादी पर खोलने का प्रावधान है। लेकिन स्वास्थ्य विभाग की तरफ से टिहरी विस्थापित न्यू शिवालिक नगर में न तो आबादी के हिसाब से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ही खोला गया है और न ही उपकेंद्र ही खोला गया है।
बोले लोग
रात के समय तबीयत खराब होने पर मरीज को अचानक इलाज की जरूरत पड़ती है। तो वह कहां जाएगा। निजी अस्पताल वाले मनमानी रकम लेकर फायदा उठाते हैं। -मदन मोहन जोशी
एक प्लॉट खरीदने से लेकर बेचने तक सरकार को प्रत्येक आदमी टैेक्स भरता है, तो लोगों के लिए एक अस्पताल तक की सुविधा न होना गंभीर विषय है। इसमें अधिकारियों को संज्ञान लेना चाहिए। - बबली
न्यू शिवालिक नगर से लेकर सुभाष नगर और रानीपुर कोतवाली तक करीब पांच किलोमीटर के दायरे में कोई स्वास्थ्य केंद्र नहीं है। विभाग को स्वास्थ्य केंद्र खोलने की जरूरत है। - भूपेंद्र सिंह
सबसे ज्यादा परेशानी गर्भवती महिलाओं को होती है। अस्पताल न होने से इनको प्रति माह टीका भी समय से नहीं लग पाता है। उन्हें उप केंद्र में जाना पड़ता है। -वाईपी सिंह
अस्पताल तक जाने में ही जाम का सामना करना पड़ता है। अगर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र खुलता है तो यहां पर छोटी बीमारी का उपचार आसानी से मिल सकेगा। -बसंत पंत
स्थानीय जनप्रतिनिधि चुनाव के समय वोट मांगने तो घर-घर आते हैं। लेकिन स्वास्थ्य सेवाएं तक देना मुनासिब नहीं समझते है। अधिकारी इस तरफ ध्यान दें ताकि यहां अस्पताल बन सकें। - नीतू
गरीब आदमी निजी अस्पताल में इलाज कराने जाता है तो उसे भारी भरकम रकम मांगी जाती है। यहां सरकारी अस्पताल होगा तो छोटा-मोटा इलाज मिल सकेगा। -रोबिन सिंह
यहां आसपास 25 हजार से ज्यादा की आबादी है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक खोल जाना चाहिए। क्योंकि यह स्वास्थ्य विभाग के मानकों को भी पूरा करता है। -बंटी चौधरी
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ज्वालापुर और बहादराबाद में है। इन्हीं के आसपास उप केंद्र भी बनाए गए हैं। जबकि 25 हजार से ज्यादा की आबादी पर उपकेंद्र होना जरूरी है। - प्रेम झा
रेबीज का इंजेक्शन लगवाने ले लिए जिला चिकित्सालय की दौड़ लगानी पड़ती है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र होगा तो लोगों को दस किलोमीटर नहीं जाना पड़ेगा। -अनिल सिंह
प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनने से सीनियर सिटीजन बच्चों युवाओं और खासकर गर्भवती महिलाओं को लंबी दूरी तय नहीं करनी होगी। उन्हें स्वास्थ्य संबंधित सुविधाएं यहीं पर मिल सकेगी। -अमिता जोशी
न्यू शिवालिक नगर में भेल और सिडकुल में काम करने वाले लोग बड़ी संख्या में हैं। घर पर महिलाएं रहती है। अगर किसी को कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या होती है तो कहा जाएगी। -चंद्रभान सिंह
बोले जिम्मेदार
सीएमओ डॉ. आरके सिंह का कहना है कि यदि उपरोक्त आबादी में जमीन की उपलब्धता हो जाती है और क्षेत्रीय जनता और जनप्रतिनिधि के द्वारा प्रस्ताव दिया जाता है। उसको शासन और महानिदेशक स्तर पर प्रस्तावित कर अग्रिम कार्रवाई की जाएगी।
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