देहरादून के सबसे बड़े पीजी कॉलेज का हाल, बदहाल कमरे, फटेहाल किताबें
उत्तराखंड के सबसे बड़े डीएवी पीजी कॉलेज में छात्रों को सुविधाओं की कमी का सामना करना पड़ रहा है। कक्षाओं की साफ-सफाई, लाइब्रेरी की स्थिति और शौचालयों की अव्यवस्था से छात्र परेशान हैं। सुरक्षा की कमी...
उत्तराखंड राज्य के सबसे बड़े पीजी कॉलेज का तमगा डीएवी को हासिल जरूर है, लेकिन छात्रों को एक कॉलेज में जो सुविधाएं मिलनी चाहिए, वह यहां पर नहीं मिल रही हैं। अव्यवस्थाओं का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि क्लास रूम तक रोज साफ नहीं होते। कुर्सी-मेज पर धूल जमी होती है। कक्षा-कक्षों में लाइट की उचित व्यवस्था न होने के कारण छात्रों को पढ़ाई करने में परेशानी उठानी पड़ती हैं। लाइब्रेरी में पुराने सिलेबस की किताबें रखी हुई हैं, इनमें कई किताबों की स्थिति तो ऐसी है कि उनके पेज जोड़ने पड़ते हैं। शौचालयों पर या तो ताले लगे हैं या फिर गंदगी पसरी है। इससे छात्र-छात्राओं को तमाम परेशानियां उठानी पड़ रही हैं। समृद्ध रहा है डीएवी का इतिहास
डीएवी पीजी कॉलेज का नाम आते ही इसके समृद्ध इतिहास की दुहाई दी जाती है। तमाम दिग्गजों ने यहां से पढ़कर देश-दुनिया में नाम कमाया है। लेकिन अब डीएवी पीजी कॉलेज के हालात ऐसे नहीं है। अब तक छात्र संघ होता था तो छात्रों की कुछ मांगें भी उठ जाती थीं, लेकिन इस बार छात्र संघ का गठन ही नहीं हुआ है तो छात्रों की समस्याओं को भी गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। डीएवी में नौ हजार छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। संसाधनों के अभाव में डीएवी कॉलेज की स्थिति दिन-ब-दिन खराब हो रही है। केंद्रीय विश्वविद्यालय श्रीनगर गढ़वाल से जुड़े होने के बावजूद यहां सेंट्रल यूनिवर्सिटी वाली सुविधाएं छात्रों को नहीं मिल रही हैं। स्थिति यह है कि कॉलेज में कौन आ-जा रहा है, गेट पर ऐसी कोई निगरानी की व्यवस्था तक नहीं है। छात्रों के अलावा असामाजित तत्व भी कॉलेज में पहुंचे रहते हैं। कॉलेज परिसर में ही खेल का मैदान भी है, लेकिन खेल के पर्याप्त संसाधन भी कॉलेज के पास नहीं हैं। कक्षाओं में न ठीक ढंग से उजाला है और न ही साफ-सफाई। कक्षाओं के दरवाजे-खिड़कियों को दीमक चट कर रही है। दीवारों पर घास उगी है। दो साल पहले कॉलेज की दीवार गिरने से एक छात्रा की मौत भी हो चुकी है। छात्र कहते हैं कि कई विषयों में पर्याप्त शिक्षक नहीं है और समय पर कोर्स तक भी पूरा नहीं हो पाता है। इन तमाम मुश्किलों के बीच छात्र कॉलेज में अपने सुनहरे भविष्य के लिए जूझते नजर आते हैं। छात्रों का कहना है कि कॉलेज की लाइब्रेरी की हालत बहुत खराब है। पेंट उखड़ रहा है, खिड़कियों पर दीमक लग रही है। लाइब्रेरी में रखी किताबें बहुत पुरानी हो गई हैं। कुछ किताबों की हालत तो इतनी खराब है कि उनका एक-एक पेज अलग हो रखा है। इससे छात्रों का पढ़ाई के प्रति मनोबल टूटता है। कॉलेज प्रंबधन को यहां छात्रों की संख्या को देखते हुए सुविधाएं बढ़ानी चाहिए। ताकि कॉलेज में पढ़ाई का माहौल बन सके। नई शिक्षा व्यवस्था के तहत देशभर के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों को उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए नित नए-नए प्रयोग कर बजट को बढ़ाया जा रहा है। लेकिन उत्तराखंड प्रदेश के सबसे बड़े महाविद्यालय की शिक्षा व्यवस्था बेपटरी होती है जा रही है। -प्रस्तुति: कुमुद नौटियाल
सुझाव
शौचालयों की नियमित रूप से साफ-सफाई होनी चाहिए।
कॉलेज में सुरक्षा के लिए सिक्योरिटी गार्ड तैनात होने चाहिए।
लाइब्रेरी को अपडेट कर नए सिलेबस की किताबें उपलब्ध करानी चाहिए।
दून से बाहर से आकर पढ़ने वाले छात्रों को छात्रावास की सुविधा मिलनी चाहिए।
रिक्त पदों पर शिक्षकों की भर्ती के साथ ही लैब के लिए नए उपकरण खरीदने चाहिए।
समस्याएं
शौचालयों की न उचित व्यवस्था है और न सफाई होती है। इससे छात्र-छात्राओं को परेशानियां उठानी पड़ती हैं।
सुरक्षा के लिहाज से भी कॉलेज में पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं।
लाइब्रेरी में अधिकांश पुराने सिलेबस की ही किताबें हैं।
छात्रों के लिए छात्रावास की सुविधा भी नहीं है। इस कारण छात्रों को महंगी दरों पर किराये के कमरों में रहना पड़ता है।
साइंस लैब में पर्याप्त उपकरण तक नहीं हैं।
09 हजार छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं दून के डीएवी महाविद्यालय में
01 छोटे से खेल मैदान में ही कराई जाती हैं सारे खेलों की गतिविधियां
शौचालय में कहीं ताले तो कहीं गंदगी पसरी
कॉलेज में छात्रों और छात्राओं को शौचालयों की खराब स्थिति से भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। छात्रों का कहना है कि कॉलेज में शौचालय तो हैं, लेकिन कई शौचालयों में ताला लगा हुआ होता है, जिससे इनका उपयोग नहीं किया जा सकता। जो शौचालय खुले भी होते हैं, उनकी हालत भी बहुत खराब रहती है। दीवारों पर गंदगी और बिखरी हुई चीजें अक्सर देखी जाती हैं, जिससे उनका इस्तेमाल करना बहुत कठिन हो जाता है। विशेष रूप से छात्राओं के लिए यह स्थिति और भी कठिन हो जाती है।
गेट पर गार्ड की तैनाती होनी चाहिए
देहरादून स्थित डीएवी कॉलेज में छात्रों और कर्मचारियों की सुरक्षा को लेकर सुरक्षा गार्ड की तैनाती की मांग जोर पकड़ रही है। पिछले कुछ समय से कॉलेज परिसर में सुरक्षा संबंधित घटनाओं की बढ़ती रिपोर्ट ने इस मांग को और भी महत्वपूर्ण बना दिया है। विद्यार्थियों का कहना है कि कॉलेज परिसर में बाहरी व्यक्तियों का आना-जाना बढ़ गया है, जिससे सुरक्षा की स्थिति पर सवाल उठने लगे हैं। सुरक्षा गार्ड की तैनाती से न केवल परिसर में अनुशासन बना रहेगा, बल्कि यह विद्यार्थियों और शिक्षकों को सुरक्षित महसूस करने में भी मदद करेगा। कॉलेज के विभिन्न स्थानों पर गार्ड की उपस्थिति से कैंपस में असामाजिक गतिविधियों पर काबू पाया जा सकेगा। इसके अलावा, कॉलेज प्रशासन से यह अनुरोध किया गया है कि सीसीटीवी कैमरे और अन्य सुरक्षा उपायों के साथ-साथ सुरक्षा गार्ड की संख्या बढ़ाएं।
बोले जिम्मेदार
छात्रों को कोई समस्या है तो वह सीधे हमारे पास अपनी समस्याएं रख सकते हैं। पुस्तकालय पूरी तरह ठीक है। किताबें भी समुचित हैं और सुरक्षित हैं। जिम का काम निर्माणाधीन है, परीक्षाएं होने की वजह से इसे ठीक होने में समय लग रहा है। कक्षा-कक्षों की स्थिति भी ठीक है। पार्किंग शुल्क के बिना व्यवस्था नहीं बन सकती। शिक्षकों की कमी प्रबंधन और शासन स्तर का मसला है। कॉलेज में जो कमरे जर्जर और गंदे दिखाए गए हैं उनकी मरम्मत हो रही है। इस कारण उनमें छात्रों को भी नहीं बिठाया जाता है। लाइब्रेरी में अभी निर्माण कार्य चल रहा है, इस वजह से पुस्तक भी अव्यवस्थित हैं और रैक भी अव्यवस्थित हैं। कुछ किताबें पुरानी हैं जो खराब हालत में हैं।
-प्रो. एसके सिंह, प्रिंसीपल, डीएवी पीजी कॉलेज
डीएवी कॉलेज परिसर में साफ-सफाई का उचित प्रबंधन हो
शिक्षकों की कमी के कारण कॉलेज मे पढ़ाई नहीं होती है। जो शिक्षक आते भी है वो भी सुबह आकर अपनी उपस्थिति दर्ज करके निकल जाते हैं फिर शाम को आते हैं। इससे छात्रों की पढ़ाई का बहुत नुकसान हो रहा है। ऐसा नहीं होना चाहिए। -कमलदीप मेहरा
शिक्षकों के न होने से हमारी पढ़ाई प्रभावित हो रही है। शिक्षक कभी आते हैं कभी नहीं। इससे दिन में कभी क्लास का पता ही नहीं चलता। शिक्षक कभी भी आकर पढ़ाकर चले जाते हैं। इससे बच्चे बहुत परेशान हैं। सिलेबस पूरा नहीं हो पाता। -दिया बिष्ट
सुरक्षा के लिहाज से यहां कोई सुविधा नहीं है। कोई भी बाहरी व्यक्ति कॉलेज में चला आता है। उसे कोई रोकने वाला नहीं है और न ही कोई पूछने वाला। यह सब बंद होना चाहिए। बाहर से लोग यहां आकर माहौल खराब करते हैं। -राहुल नंदा
बाहर के लोगों के आने से कॉलेज मे चोरी के बहुत मामले आते हैं। कॉलेज से कभी मोबाइल तो कभी स्कूटर चोरी हो जाता है। कॉलेज में सुरक्षा को देखते हुए एक गार्ड की तैनाती होनी बहुत जरूरी है। इससे बाहरी लोगों पर रोक लगेगी। -आतिफ हुसैन
कॉलेज मे सफाई की कोई व्यवस्था नहीं हैं। क्लास की साफ-सफाई नहीं होती है। बैंचो पर धूल जमी रहती है। बच्चो को खुद बेंच साफ करनी पड़ती है। यहां पर सफाई के लिए कुछ ही कर्मचारी है। जो है वो भी अपना काम नहीं करते है। -अभिजीत सिंह
कॉलेज के छात्रों के लिए रहने की कोई व्यवस्था नहीं हैं। बाहरी राज्यो और जनपदों से आने वाले छात्रों के लिए कॉलेज में कोई छात्रावास नहीं है। छात्रावास का प्रबंध होना चाहिए। इससे बच्चों को दूसरे विकल्पों पर आश्रित नहीं होना पड़ेगा। -हिमांशु सिलोरी
अन्य कॉलेजों मे छात्रों के लिए छात्रावास की सुविधा है। लेकिन डीएवी के छात्रों के लिए छात्रावास की कोई सुविधा नहीं है। इससे बच्चो को पीजी में या किराये पर कमरा लेकर रहना पड़ता। इससे छात्र-छात्राओं और उनके परिवार पर अनावश्यक आर्थिक बोझ बढ़ता है। -सुमन
यहां पर अन्य कॉलेज के जैसे खेल की कोई सुविधा नहीं है। यहां खेलने के लिए मैदान है लेकिन मैदान की हालत सही नहीं है। एक छोटे से मैदान में ही सारे खेल होते हैं। जबकि दाखिले के समय छात्रों से खेल का पैसा भी लिया जाता है। ऐसे में खेल प्रतिभा कैसे निखरेगी। - विशाल कुमार
कॉलेज में जिम है, लेकिन वो काफी समय से खुला भी नहीं है। इससे कई छात्रों को इसके बारे में पता भी नहीं है। कॉलेज में बैडमिंटन कोर्ट है, लेकिन उस पर भी ताला लटका रहता है। खेल की फीस देने के बाद भी कोई सुविधा नहीं है। कॉलेज को खेल की सुविधाओं को भी बढ़ाना चाहिए। -चंद्रिका
कॉलेज की हालत बहुत खराब है। कक्षाओं की खिड़कियों से झाड़ियां अंदर आती हैं। कहीं पर खिड़कियों पर दीमक लगी हुई हैं। जिससे इसके गिरने का खतर रहता है। किसके पास इसकी शिकायत करें छात्र-छात्राओं की कोई सुनने वाला ही नहीं है। -राजनंदनी
कॉलेज मे शौचालय तो है, लेकिन कुछ में ताला लटका रहता है तो कुछ की हालत बहुत खराब रहती है। महिला शौचालय में तो गंदगी पसरी रहती है साफ-सफाई ही नहीं होती है। इससे छात्र-छात्राओं को काफी परेशानियां उठानी पड़ती हैं, कॉलेज प्रशासन को उचित व्यवस्था करनी चाहिए। -देवेंद्र दानू
डीएवी कॉलेज में खिलाड़ियों के लिए कोई सुविधा नहीं है। राज्य स्तर पर खेलने वाले खिलाड़ियों के लिए कॉलेज की तरफ से कोई सामग्री नहीं मिलती है। यही वजह है कि प्रतिभावान खिलाड़ी होने के बावजूद उन्हें बेहतर प्रदर्शन करने का मौका नहीं मिल पाता। -रोहित सिंह
छात्राएं कॉलेज में खुद को असुरक्षित महसूस करती हैं
मनीषा कंडारी ने बताया कि छात्राओं की सुरक्षा के लिहाज से महाविद्यालय का परिसर बहुत ही असुरक्षित है। महाविद्यालय में कोई भी बाहरी व्यक्ति आवाजाही कर सकता है। इससे छात्राओं में दुर्व्यवहार होने का खतरा बना रहता है। महाविद्यालय में लोग बाहर से आकर नशा करते हैं। इससे महाविद्यालय का माहौल बहुत खराब हो रहा है। इस संबंध में कॉलेज प्रशासन को भी आंतरिक व्यवस्थाएं बनानी चाहिए। ऐसे बाहरी लोगों पर कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए, जो शिक्षा के मंदिर का माहौल खराब कर रहे हैं।
छात्रों को कॉलेज परिसर में पार्किंग के देने पड़ते हैं पैसे
विकास ने बताया कि यहां पर पार्किंग के लिए पैसे देने पड़ते हैं। छात्र को महाविद्यालय परिसर में अपनी गाड़ी पार्क करने के लिए पैसे देने पड़ते हैं। छात्र कमाता तो है नहीं तो वो रोज-रोज पार्किंग के लिए पैसे कहां से लाएगा। अन्य कॉलेजों में तो ऐसा कुछ नहीं होता है। केवल यहां पर पार्किंग के लिए पैसे देने पड़ते हैं। इससे हमें बड़ी दिक्कत होती है। यह कॉलेज प्रशासन की बड़ी लापरवाही है। छात्रों ने मुद्दे को कई बार उठाया भी लेकिन कोई हल नहीं निकला, कॉलेज प्रबंधन को इस संबंध में खुद ही विचार करना चाहिए क्या पार्किंग का शुल्क लेना उचित है?
डीएवी कॉलेज में खिलाड़ियों को नहीं मिलता उचित सम्मान
समर्थ द्विवेदी खुद बॉक्सिंग के खिलाड़ी हैं। कहते हैं कि अन्य विश्वविद्यालयों में खिलाड़ियों को तमाम स्तर पर सम्मान राशि मिलती है, लेकिन डीएवी कॉलेज में ऐसा कुछ भी नहीं है। यहां पर महाविद्यालय की ओर से खिलाड़ियों को सम्मानित तक नहीं किया जाता। अन्य महाविद्यालय अपने खिलाड़ी के लिए कई सुविधाएं देते हैं। यहां पर खिलाड़ी के लिए कोई सुविधा नहीं है उसे सब कुछ अपने-आप से करना पड़ता है। इन हालातों में खिलाड़ी कैसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगे।
छात्रावास न होने के कारण किराये के कमरे बने सहारा
छात्र अकीब अहमद ने बताया कि अन्य राज्यों और शहरों से आने वाले लोगों के लिए यहां पर छात्रावास नहीं है। इससे यहां पर पढ़ने वालों बच्चों को पीजी और किराये के कमरे का सहारा लेना पड़ता है। छात्रों से पीजी वाले मनचाहा किराया वसूलते हैं। इससे छात्र-छात्राओं पर आर्थिक बोझ भी पड़ रहा है। इससे छात्रों का नुकसान होता है। यहां पर कॉलेज के छात्रों के लिए नियमित पीजी का किराया होना चाहिए। इसके साथ ही यहां पर छात्रावास की सुविधा जल्द से जल्द होनी चाहिए। ताकि छात्रों को छात्रावास मिल सके।
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