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किसानों के अनाज को स्टोर करने को बनेंगे पांच आधुनिक वेयरहाउस

उत्तराखंड में अनाज भंडारण क्षमता को 40 हजार मिट्रिक टन बढ़ाने के लिए सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत ने पांच जिलों में आधुनिक वेयरहाउस निर्माण के निर्देश दिए। जिलाधिकारियों को एक सप्ताह में भूमि चयन कर...

Newswrap हिन्दुस्तान, देहरादूनFri, 31 Jan 2025 07:57 PM
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किसानों के अनाज को स्टोर करने को बनेंगे पांच आधुनिक वेयरहाउस

सहकारिता मंत्री ने पांच जिलों में आधुनिक वेयरहाउस निर्माण के दिए निर्देश जिलाधिकारियों को निर्देश, एक सप्ताह में किया जाए वेयरहाउस भूमि का चयन

देहरादून, मुख्य संवाददाता।

उत्तराखंड में अनाज भंडारण की क्षमता 40 हजार मिट्रिक टन बढ़ाई जाएगी। इसके लिए शुक्रवार को राज्य भण्डारण निगम के कार्यों की समीक्षा करते हुए सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत ने पांच जिलों में आधुनिक वेयरहाउस निर्माण के निर्देश दिए। जिलाधिकारियों को एक सप्ताह में वेयर हाउस निर्माण को भूमि चयन कर शासन को रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए।

नई दिल्ली से वर्चुअल बैठक में अधिकारियों को निर्देश देते हुए सहकारिता मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश भर में भंडारण क्षमता का विस्तार किया जाए। इसे बाजार की मांग के अनुरूप तैयार किया जाए। ताकि बड़े पैमाने पर खाद्यान्न एवं उर्वरकों का भण्डारण किया जा सके। पौड़ी और टिहरी में पांच पांच हजार मिट्रिक टन क्षमता के गोदाम बनाए जाएंगे।

हरिद्वार, देहरादून और ऊधमसिंह नगर जनपद में 10-10 हजार मिट्रिक टन क्षमता के वेयरहाउस का निर्माण होगा। इसके लिए लगभग 22 एकड़ भूमि की जरूरत होगी। कहा कि प्रदेश में भण्डारण क्षमता बढ़ाना जरूरी है। इसके लिये हर स्तर पर ठोस कदम उठाए जाएं। कहा कि अभी प्रदेश भर में 131550 मिट्रिक टन क्षमता के भंडारण की सुविधा उपलब्ध है। रूद्रपुर, गदरपुर, गूलरभोज, काशीपुर, रामनगर, किच्छा, सितारगंज, नानकमत्ता, हल्द्वानी, अल्मोड़ा, हरिद्वार, विकासनगर और नकरौंदा में उत्तराखंड राज्य भंडारण निगम के भंडार गृह उपलब्ध हैं। इन सभी भंडार गृह में 131550 मिट्रिक टन क्षमता में से 119634 मिट्रिक टन ही उपयोग में है। बैठक में रजिस्ट्रार सहकारी समितियां सोनिका, टिहरी, पौड़ी, देहरादून, हरिद्वार एवं ऊधमसिंह नगर के जिलाधिकारी, एमडी राज्य भण्डारण निगम रामिन्द्री मंद्रवाल आदि मौजूद रहे।

सेना, आईटीबीपी के लिए खोले जाएंगे कोल्ड स्टोरेज

सहकारिता मंत्री ने कहा कि भविष्य में पर्वतीय जिलों में कोल्ड स्टोरेज खोले जाएंगे। ताकि काश्तकार अपने उत्पादों को सुरक्षित रख सकें। सेना और आईटीबीपी के लिए भी कोल्ड स्टोरेज खोले जाने की योजना है।

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