शोध और शिक्षा में उत्कृष्ठता जरूरी
दून विश्वविद्यालय, आईआईटी रुड़की और आईसीएसएसआर द्वारा आयोजित कार्यशाला में शोध पद्धतियों और अनुदान प्रस्तावों पर चर्चा हुई। प्रो. उषा लेंका ने गुणात्मक शोध डिज़ाइन और प्रभावी भाषा के महत्व पर जोर...
दून विश्वविद्यालय,आईआईटी रुड़की और भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएसएसआर) की ओर से चल रही कैपेसिटी-बिल्डिंग कार्यशाला में बुधवार को परंपरागत और आधुनिक शेाध पद्धतियों पर चर्चा हुई। इस दौरान प्रख्यात शिक्षाविद् प्रो. उषा लेंका ने गुणात्मक शोध डिज़ाइन करने और प्रभावशाली शोध अनुदान प्रस्ताव तैयार करने पर विस्तार से विचार रखे। उन्होंने शोध अनुदानों को सफलतापूर्वक प्राप्त करने के लिए सटीक और प्रभावशाली भाषा के उपयोग पर जोर दिया। प्रतिभागियों ने उनके व्यावहारिक सुझावों को सराहा। कार्यक्रम निदेशक डॉ. सुधांशु जोशी ने शोध प्रस्तावों को स्वीकृत या अस्वीकृत किए जाने के कारणों और विभिन्न फंडिंग एजेंसियों की आवश्यकताओं के अनुरूप प्रस्ताव तैयार करने की रणनीतियों पर चर्चा की। साथ ही उन्होंने प्रतिभागियों को शोध पत्रों में व्यापक साहित्य समीक्षाओं को शामिल करने के तरीकों पर मार्गदर्शन दिया। अगले सत्र में रिपोर्ट लेखन और शोध में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और मशीन लर्निंग की भूमिका पर विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे।
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