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आयुष्मान कार्ड से नहीं मिल रहा ब्लैक फंगस का इजाज

दून में भले ही ब्लैक फंगस का संक्रमण बढ़ता जा रहा हो। लेकिन इसके इलाज को लेकर ठोस इंतजाम नहीं हुए...

Newswrap हिन्दुस्तान, देहरादूनWed, 19 May 2021 04:50 PM
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देहरादून। कार्यालय संवाददाता

दून में भले ही ब्लैक फंगस का संक्रमण बढ़ता जा रहा हो। लेकिन इसके इलाज को लेकर ठोस इंतजाम नहीं हुए हैं। निजी अस्पतालों में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत पीड़ितों को इलाज नहीं हेा रहा है। ऐसी ही एक पीड़ित महिला इलाज को भटक रही है।

मोहकमपुर निवासी और डीएवी में लैब असिस्टेंट शैलेंद्र मौर्य ने बताया कि उनकी पत्नी लक्ष्मी देवी 22 अप्रैल से कोविड से ग्रसित थीं। लेकिन अस्पताल में कहीं भर्ती ना हो पाने के कारण घर पर ही इलाज किया। ठीक होते ही उन्हें ब्लैक फंगस हो गया। इसके लिए बुधवार को उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया। वहां उन्होंने आयुष्मान कार्ड से इलाज करवाना चाहा, लेकिन अस्पताल में इसका इलाज इस योजना के तहत मुफ्त करने से इंकार कर दिया है। जबकि कोरोना का इलाज इस योजना के तहत ही चल रहा है। ऐसे में पीड़ित के परिजन काफी परेशान हैं। अभी किसी तरह उन्होंने कुछ पैसा जमा करवाकर इलाज शुरू करवाया है।

दवाओं की भी कमी

शैलेंद्र के अनुसार इस बीमारी की दवाएं भी नहीं मिल रही हैं, किसी तरह उन्हेांने ऋषिकेश एम्स और जौलीग्रांट के पास से इंजेक्शन मंगवाए हैं। वो भी कुछ ही मिले। जबकि शहर में कहीं ये दवाएं नहीं मिल रहीं। उन्होंने बताया कि लैवीकेयर-50 इंजेक्शन मुश्किल से एम्स के बाहर एक मेडिकल स्टोर पर मिला। उन्होंने ये भी आरेाप लगाया कि कई केमिस्ट मुंहमांगे दामों पर ब्लैक फंगस की दवाएं बेच रहे हैं।

गोल्डन व आयुष्मान कार्ड में मिले इलाज

राजकीय वाहन चालक संघ के प्रदेश संरक्षक संदीप कुमार मौर्य ने बताया कि लक्ष्मी देवी उनकी रिश्तेदार है। उसकी मदद को वे भी अस्पताल गए थे। लेकिन वहां आयुष्मान या गोल्डन कार्ड से ब्लैक फंगस का इलाज होने से इंकार कर दिया। संदीप मौर्य ने इस पर आश्चर्य जताते हुए कहा कि सरकार इस रोग को लेकर कितनी गंभीर है ये साफ दिख रहा है। उन्हेांने संघ की ओर से मांग की कि आयुष्मान और गोल्डन कार्ड में इस बीमारी को भी शीघ्र शामिल किया जाए।

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