कुमाउंनी, गढ़वाली व हिंदी गीतों से गूजीं बागनाथ नगरी
उत्तरायणी मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों और लोक गीतों की धूम मची हुई है। गुरुवार रात को लोक कलाकारों ने कुमाउंनी, गढ़वाली और हिंदी गीतों की प्रस्तुति दी। शुक्रवार को स्कूली बच्चों और सांस्कृतिक दलों...
उत्तरायणी मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों तथा लोक गीतों की धूम मची हुई है। गुरुवार की रात लोक कलाकार किशन महिपाल, राकेश खनवाल व आनंद कोरंगा के नाम रही। उन्होंने पांच घंटे तक कुमाउंनी, गढ़वाली तथा हिंदी गीतों की झड़ी लगाई। देर रात तक कलाकार नाचते रहे। इस दौरान पुलिस को भीड़ संभालने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। शुक्रवार को दिन में स्कूली बच्चों तथा सांस्कृतिक दलों ने कार्यक्रम पेश किए। गुरुवार की रात नुमाईखेत में बने सांस्कृतिक मंच में रंगारंग कार्यक्रम पेश किए। जै जै हो बदरीनाथा जै काशी केदारा जै जै हिमाला से कार्यक्रम शुरू किया। इसके बाद छबिलो गढ़ावाल मैरो, रंगीलो कुमाउं, क्रीम पॉडरा घिसनी किलै नै, हल्द्वानी बाजार में म्यर झुमुका गिरी गो, सांवरी, सांवरी त्या घुटका झांवरी, ह्यू पड़ गैल भनारा आदि गीतों से लोगों का जमकर मनोरंजन किया। मेघना चंद्रा ने लेागों की फरमाइश पूरी की। रात एक बजे तक कार्यक्रमों की धूम रही। शुक्रवार की सुबह दस बजे से सकूली बच्चों ने मंच संभाला। कंट्रीवाइड पब्लिक स्कूल, राप्रावि बानरी, जवाहर नवोदय विद्यालय, राजूहा बहुली, हिमालय सेंट्रल स्कूल, राप्रावि पालनीकोट, आईटीआई कमेड़ी, महर्षि विद्या मंदिर सैंज के बच्चों एक से बढ़ाकर एक कार्यक्रम पेश किए। दो बजे बाद नागदेश सांस्कृतिक ग्रुप बेरीनाग, देवभूमि मां सारदे अल्मोड़ा, चंचल रावत एंड ग्रुप पिथौरागढ़, मां मैचुला काफलीगैर, सुंदर सिंह बाफिला, मधु बेरिया साह दिल्ली ने कार्यक्रम पेश किए। इस दौरान कलाकारों ने शानदार प्रदर्शन किया।
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