विलुप्त हो रही लोक संस्कृति पर चिंता जताई
एसएसजे के शिक्षा संकाय में एक साप्ताहिक सामुदायिक कार्यशाला का शुभारंभ हुआ, जिसमें कुमाऊंनी भाषा, लोक संस्कृति और साहित्य पर चर्चा की गई। कार्यशाला में विलुप्त हो रही लोक संस्कृति के प्रति चिंता...
एसएसजे के शिक्षा संकाय में बुधवार को साप्ताहिक सामुदायिक कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। कार्यशाला में कुमाऊंनी भाषा, लोक संस्कृति, साहित्य आदि पर चर्चा की गई। विलुप्त हो रही लोक संस्कृति पर लोगों ने चिंता जताई। बुधवार को सरस्वती वंदना व स्वागत गीत के साथ कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। पहले सत्र में एसएसजे के परिसर निदेशक प्रो. प्रवीण सिंह बिष्ट कुमाउनी भाषा, साहित्य व विलुप्त हो रही लोक संस्कृति पर प्रस्तावना प्रस्तुत की। कुमाउनी साहित्यकार महंत त्रिभुवन गिरी महाराज ने भाषा, साहित्य के साथ लोकगाथा, संगीत आदि पर व्याख्यान दिया। वहीं, दूसरे सत्र में गेरु बिस्वार पर आधारित ऐपण, काव्य पाठ, कुमाउनी संस्कृति के विभिन्न आयमों पर भाषण प्रतियोगिता हुई। यहां शिक्षा संकाय की संकायाध्यक्ष प्रो. रिजवाना सिद्दकी, प्रो. भीमा मनराल, डॉ. संगीता पंवार, डॉ. नीलम, डॉ. भास्कर चौधरी, डॉ. देवेंद्र चम्याल, डॉ. संदीप पांडे, मनोज कार्की, मनोज कुमार, डॉ. ममता काण्डपाल, डॉ. पूजा, अंकिता, विनीता लाल, सरोज जोशी आदि रहीं।
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