जागेश्वर में घी से निर्मित गुफा में समाधिस्थ हुए भोले बाबा
जागेश्वर धाम में मकर संक्रांति पर भगवान भोलेनाथ एक माह के लिए घी से बनी गुफा में तपस्या कर रहे हैं। श्रद्धालु इस दौरान बाबा के असली स्वरूप के दर्शन नहीं कर पाएंगे। पुजारियों ने ढाई कुंतल घी से गुफा...
जागेश्वर धाम में मकर संक्रांति पर मंगलवार को भगवान भोलेनाथ एक माह के लिए घी से बनी गुफा में तपस्यारत हो गए हैं। अब एक माह तक श्रद्धालु बाबा के असल स्वरूप के दर्शन नहीं कर पाएंगे। विश्व प्रसिद्ध जागेश्वर धाम में मकर संक्रांति पर पूजा अर्चना के साथ धार्मिक अनुष्ठान हुए। प्राचीन परंपरा व मान्यताओं के अनुसार भगवान भोले शंकर प्रतिवर्ष माघ के पवित्र माह में ध्यानमग्न रहते हैं। इसी मान्यता के अनुसार जागेश्वर धाम के पुजारियों ने ढाई कुंतल गाय के घी को पानी में उबालकर जटागंगा के जल से शुद्ध किया। इसके बाद पूरी तरह जम चुके घी से गुफा का निर्माण किया गया। इसके बाद भोलेनाथ को इसमें पदार्पित किया गया। अब फाल्गुन एक गते तक बाबा घी से बनी गुफा में ध्यानमग्न रहेंगे। एक गते को बाबा को गुफा से बाहर निकाला जाएगा। गुफा के घी को प्रसाद के रूप में बांटा जाएगा। बताया जाता है कि इस दिव्य रूप प्रसाद में अनेक प्रकार के औषधीय गुण होते हैं। इसके अलावा मकर संक्रांति के दिन सैकड़ों लोगों ने जागेश्वर धाम के ब्रम कुंड में स्नान कर भोलेनाथ के दर्शन किए। सुबह पांच बजे से ही ब्रह्मकुंड घाट पर यज्ञोपवीत करने वालो की भीड़ रही। प्रक्रिया में मंदिर समिति उपाध्यक्ष नवीन भट्ट, पुजारी प्रतिनिधि नवीन चंद्र भट्ट, मुख्य पुजारी हेमंत भट्ट, शुभम भट्ट आदि थे।
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