दुधवा और लखनऊ के बीच 25 नवंबर से शुरू होगी हेलीकॉप्टर सेवा, जानें प्रति व्यक्ति किराया
- यूपी के पर्यटन स्थलों का भ्रमण करने वाले पर्यटकों के लिए अच्छी खबर है। यूपी सरकार अब हेलीकॉप्टर सेवा शुरू करने की तैयारी कर रही है। ये सेवा दुधवा और लखनऊ के बीच संचालित होगी। इसके लिए सरकार ने 25 नवंबर की तारीख निर्धारित की है।
यूपी के पर्यटन स्थलों का भ्रमण करने वाले पर्यटकों के लिए अच्छी खबर है। यूपी सरकार अब हेलीकॉप्टर सेवा शुरू करने की तैयारी कर रही है। ये सेवा दुधवा और लखनऊ के बीच संचालित होगी। इसके लिए सरकार ने 25 नवंबर की तारीख निर्धारित की है। लखनऊ और दुधवा के बीच हेलीकॉप्टर सेवा के लिए सरकार ने प्रति व्यक्ति किराया भी तय कर दिया है। बतादें कि लखनऊ से दुधवा सड़क मार्ग से जाने वाले पर्यटकों को साढ़े चार घंटे का समय लगता था, हेली सर्विस शुरू होने पर यह यात्रा घटकर मात्र एक घंटे रह जाएगी। हेलीकॉप्टर से यात्रा के लिए पर्यटकों को पांच हजार रुपये प्रति व्यक्ति किराए का भुगतान करना होगा। इसको लेकर गुरुवार की देर रात मेसर्स जेटसर्व एविएशन पर्यटन लिमिटेड के साथ एमओयू हुआ है।
पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा दुधवा नेशनल पार्क, कतर्नियाघाट वाइल्ड लाइफ सैंक्चुअरी एवं पीलीभीत टाइगर रिजर्व के चूका जैसे ईको टूरिज्म स्थलों पर सुगम आवागमन के लिए हेली सेवाएं प्रारम्भ करने के निर्देश दिए गए थे। इसी क्रम में आगामी 25 नवंबर 2024 से चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, लखनऊ से राजकीय हवाई पट्टी पलिया तक हवाई सेवा का शुभारंभ किया जाएगा। पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री ने बताया कि उत्तर प्रदेश का प्रमुख टाइगर रिजर्व दुधवा टाइगर रिजर्व का कोर जोन 884 वर्ग कि.मी. में स्थापित है। इसकी ख्याति न केवल देश में है, बल्कि विदेशों में भी है।
दुधवा राष्ट्रीय उद्यान में विद्यमान विभिन्न प्रकार के बेशकीमती वृक्ष, लता, पौधे, घास, बाघ, तेंदुआ, भालू, हाथी गैंडा, हिरण, सरीसृप, पक्षी व अन्य जीव जंतु इसकी आभा की अभिव्यक्ति स्वयं करते हैं। इस राष्ट्रीय उद्यान की जैवविविधता की अलौकिकता, इसके मनोहारी दृश्यों से स्वनेत्रों को अभिसिंचित करने के लिए घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय पर्यटक यहां प्रतिवर्ष आते रहते हैं। दुधवा एक तरफ मोहाना नदी एवं दूसरी तरफ शारदा नदी जैसी विशालकाय नदियों से आच्छादित है। दुधवा राष्ट्रीय उद्यान उत्तर प्रदेश का एकमात्र ऐसा राष्ट्रीय उद्यान है, जहां प्रथम गैंडा पुनर्वास केन्द्र अपनी सफलता के चरमोत्कर्ष पर पहुँचने के उपरान्त द्वितीय गैण्डा पुनर्वास केन्द्र का प्रारम्भ कराया जा चुका है।