अस्पतालों में आपातकालीन स्थितियों से निपटने के इंतजाम परखेगी योगी सरकार, चिकित्साधिकारियों की होगी तैनाती
यूपी के सभी सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में आपात स्वास्थ्य समितियों से निपटने के इंतजाम परखे जाएंगे। इसके लिए योगी सरकार एक हजार से अधिक चिकित्साधिकारियों को काम पर लगाएगी।
यूपी के सभी सरकारी अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में आपात स्वास्थ्य समितियों से निपटने के इंतजाम परखे जाएंगे। यह जांच मेडिकल कॉलेजों के अलावा सभी मंडलीय और जिला स्तरीय अस्पतालों के साथ ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर कराई जाएगी। डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया सहित अन्य बीमारियों के बढ़ते मामलों को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। स्वास्थ्य विभाग इस काम में एक हजार से अधिक चिकित्साधिकारियों को लगाएगा। प्रदेशभर में 12 से 14 नवंबर के बीच इंतजामों को परखने के बाद उसी दिन शाम छह बजे तक इसकी रिपोर्ट भेजनी होगी।
सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में इन दिनों खासी-जुकाम, बुखार वाले मरीजों की कतारें लगी हैं। जांच में डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया सहित अन्य बीमारियां निकल रही हैं। कइयों की जांच में इन बीमारियों की पुष्टि नहीं हो रही लेकिन लक्षण पूरी तरह से हैं। मौमसी बीमारियों के साथ ही संचारी रोगों के बढ़ते मामलों को देखते हुए प्रदेशभर के अस्पतालों में आपात परिस्थितियों से निपटने के इंतजामों की जांच का फैसला किया गया है। इसके लिए तीन दिनी मॉक ड्रिल आयोजित की जाएगी। इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने सभी मंडलायुक्त, अपर स्वास्थ्य निदेशकों, जिलाधिकारियों और मुख्य चिकित्साधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं।
14 नवंबर की शाम को भेजनी होगी रिपोर्ट
अस्पतालों की इस जांच के अभियान के लिए दो तरह की व्यवस्था की गई है। चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग के अस्पतालों में मॉनीटरिंग विभागीय अधिकारियों द्वारा की जाएगी। इसके लिए मंडलीय अपर स्वास्थ्य निदेशकों व सीएमओ सुनिश्चित करेंगे कि मंडल तथा जनपद स्तर पर उपलब्ध अधिकारियों की इस तरह तैनाती करेंगे कि जिले की सभी स्वास्थ्य इकाइयां कवर हो सकें।
जिन मंडलीय और जिला स्तरीय अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट स्थापित हैं, वहां मंडल या जिला स्तरीय अधिकारी मॉनीटरिंग करेंगे। वहीं चिकित्सा शिक्षा विभाग के चिकित्सालयों में मॉनीटरिंग का जिम्मा डब्ल्यूएचओ के मंडलीय और जिला स्तरीय अधिकारियों द्वारा की जाएगी। जांच के दौरान जहां ऑक्सीजन प्लांटों की क्रियाशीलता देखी जाएगा, वहीं दवा की उपलब्धता, बेड, ओटी सहित अन्य जरूरी इंतजाम देखने होंगे। 14 की शाम छह बजे तय प्रारूप पर रिपोर्ट भारत सरकार द्वारा विकसित टूल पर अपलोड करनी होगी।