Year Ender 2024: यूपी के वो हादसे, जिनके नाम से कांप जाती है रूह, एक ने तो देश में ला दिया था भूचाल
- साल 2024 खत्म होने वाला है। इस साल दो ऐसे हादसे हुए हैं जिन्हें कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। बीतते दिनों के साथ ये घटनाएं जरूर पुरानी हो जाएंगी, लेकिन ये हादसे जब भी याद आएंगे तो एक दर्द जरूर देकर जाएगा।
2024 की विदाई और नए साल 2025 का लोगों को बेसब्री से इंतजार है। 2024 खत्म होने में महज दो दिन ही बाकी हैं और उतना ही समय नए साल के स्वागत में। समय के साथ बीतते दिन हर व्यक्ति को कोई न कोई दर्द और खुशी देकर ही जाता है, लेकिन 2024 में हुई कुछ बड़ी घटनाओं ने लोगों को झकझोर करके रख दिया। इनके नाम मात्र से ही रूह कांप जाती है। इन हादसों ने कइयों की जिदंगियां छीन लीं तो कुछ का पूरा कुनबा ही उजड़ गया। एक हादसा चंद घंटे पहले पैदा हुए मासूमों को लील गया तो दूसरे हादसे में कइयों की जिंदगी ही खत्म हो गई। हादसे का मंजर ऐसा था कि सड़क से लेकर पोस्टमार्टम हाउस तक लाशें ही लाशें नजर आईं। इस हादसे का मंजर ऐसा था कि इसने प्रदेश ही नहीं पूरे देश में ही भूचाल ला दिया था। विधानसभा से लेकर संसद तक इस हादसे को लेकर जोर-शोर से आवाजें उठी थीं। साल 2024 में हुए इन हादसों को कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। बीतते दिनों के साथ ये घटनाएं जरूर पुरानी हो जाएंगी, लेकिन ये हादसे जब भी याद आएंगे तो एक दर्द जरूर देकर जाएगा।
हाथरस सत्संग में भगदड़, 121 लोगों की मौत
घटना दो जुलाई की है। सिकंदराराऊ क्षेत्र के गांव फुलरई में नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा का सत्संग था। इस सत्संग में सैकड़ों की संख्या में भीड़ उमड़ी थी। सत्संग के बाद जब नारायण विश्वहरि उर्फ भोले बाबा बाहर निकल रहे थे। समापन के बाद हर कोई निकलने की जल्दी में था। गर्मी और उमस के कारण श्रद्धालु परेशान थे। इसी बीच बाबा का काफिला निकालने के लिए लोगों को रोका गया। हर कोई बाबा को नजदीक से देखना चाहता था। पीछे से भीड़ का दबाव बढ़ता गया। सड़क के करीब दलदली मिट्टी और गड्ढा होने के कारण आगे मौजूद लोग दबाव नहीं झेल सके औऱ एक के बाद एक गिरते चले गए।
खासकर जमीन पर गिरीं महिलाओं व बच्चों के ऊपर से लोग गुजरते चले गए। देखते ही देखते लाशों का ढेर लग गया। तीन दिन तक लाशों को इकट्ठा करने का समय लगा था। इस हादसे में 121 लोगों की मौत हुई थी। इस हादसे में किसी ने अपना बेटा खोया था तो किसी ने अपना पति। मरने वालों में महिलाओं की संख्या ज्यादा थी। इस हादसा इतना भयानक था कि इस गूंज प्रदेश ही नहीं देश तक पहुंची। इस हादसे ने पूरे देश को ही मानों हिलाकर रख दिया हो। मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक इन इस हादसे का संज्ञान लिया। हाथरस कांड को लेकर ये जिला पहले से ही चर्चित था, लेकिन सत्संग में भगदड़ से हुई 121 लोगों की मौत ने एक बार फिर इसे सुर्खियों में ला दिया था।
झांसी अग्निकांड: 10 नवजात बच्चों की गई जान
घटना झांसी स्थित महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज की है। 15 नवंबर की देर रात अस्पताल के बालरोग विभाग के एनआईसीयू वार्ड में अचानक से आग लग गई। घटना के दौरान वार्ड में 47 बच्चे भर्ती थे। आग लगते ही अस्पताल में भगदड़ मच गई। चारों तरफ से चीख-पुकार सुनाई देने लगीं। अस्पताल का स्टाफ बच्चों को बचाने में जुट गया। कोई दरवाजे से अंदर जाने का प्रयास कर रहा था तो कोई खिड़की के शीशे तोड़कर अंदर घुसा। लाख प्रयास के बाद भी केवल 37 बच्चों को ही बचाया जा सका। झांसी का ये 10 मासूम को जिंदा ही लील गया था। इस घटना के बारे में जिसने भी सुना उसका कलेजा फट गया। ये वो मासूम थे जो घटना से कुछ घंटे पहले ही दुनिया में आए थे। इनमें से कुछ बच्चे ऐसे भी थे जो पैदा होने के बाद सीधे भर्ती हो गए। कुछ माताओं ने अपने बेटों का चेहरा भी नहीं देखा था तो कुछ के पिता ने। झांसी का ये हादसा जब भी लोगों को याद आएगा तो एक गहरा जख्म देकर जाएगा।