Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़weather patterns taint potatoes farmers in trouble expenses increased

मौसम के मिजाज ने आलू पर लगाया दाग, मुश्किल में किसान; बढ़ गया खर्च

  • आलू किसानों पर इस बार मौसम की मार पड़ रही है। उनका खर्च और मुश्किलें बढ़ गई हैं। औसत तापमान अधिक होने से आलू को अगेती झुलसा रोग ने जकड़ लिया है। आलू का सबसे ज्यादा उत्पादन करने वाले कानपुर से लेकर फर्रुखाबाद और आसपास के जिलों में इसकी बुआई से लेकर उत्पादन तक पर संकट पसरा है।

Ajay Singh हिन्दुस्तान, राममहेश मिश्र, कानपुरSat, 28 Dec 2024 07:52 AM
share Share
Follow Us on
मौसम के मिजाज ने आलू पर लगाया दाग, मुश्किल में किसान; बढ़ गया खर्च

Effect of weather on potato crop: आलू किसानों पर इस बार मौसम की मार पड़ रही है। उनका खर्च और मुश्किलें बढ़ गई हैं। औसत तापमान अधिक होने से आलू को अगेती झुलसा (अर्ली ब्लाइट इन पोटैटो) रोग ने जकड़ लिया है। आलू का सबसे ज्यादा उत्पादन करने वाले कानपुर से लेकर फर्रुखाबाद और आसपास के जिलों में अबकी बार इसकी बुआई से लेकर उत्पादन तक पर संकट पसरा है। अक्तूबर के आखिरी तक पारा अधिक होने को बड़ी वजह माना जा रहा है।

हरे पत्तों पर अगेती झुलसा रोग लगने के चलते काले धब्बे-धब्बे पड़ने लगे हैं। कृषि विज्ञानियों के मुताबिक पूर्वानुमान के तहत हल्की बारिश हुई तो फसल पूरी तरह रोग की चपेट में आ जाएगी। ऐसे में किसान दवा का छिड़काव युद्धस्तर पर खेतों में करने लगे हैं। एक हेक्टेयर में एक बार में दवा छिड़काव के नाम पर चार से छह हजार रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है। यह छिड़काव दो से तीन बार करने पर ही फसल बच सकती है, वो भी मौसम साफ और दिन में कोई पांच-छह घंटे धूप भी निकलनी जरूरी है। कृषि विज्ञानियों का दावा है कि पिछले एक दशक में कानपुर के आलू उत्पादक इलाकों में अगेती झुलसा रोग नहीं लगा। अभी तक पिछेती झुलसा रोग का ही प्रकोप होता रहा है।

अगेती झुलसा रोग के कारण

- 25 अक्तूबर तक दिन का तापमान 28 से 32 तो रात का 25 से 28 डिग्री रहा

- अधिक तापमान से जो जमाव हुआ उसके पौध पर गर्मी का असर पड़ा

- एकाएक नमी बढ़ने और तेज हवाओं की वजह से रोग ने आलू को चपेट में ले लिया

- नमी के साथ ही कुछ इलाकों में हल्की बारिश भी कारण बनी

पिछेती झुलसा रोग के ये होते हैं कारण

- 0.1 मिलीलीटर बारिश

- चार दिन बदली छायी रहना

- रात का तापमान 5 डिग्री तीन दिन बना रहे

- नमी अधिक होने से दवा का सही छिड़काव न हो पाना

27 करोड़ का अधिभार फिर भी संतुष्टि नहीं

अकेले कानपुर में इस बार 18000 हेक्टेयर भूमि पर आलू बोया गया है। इसमें अगेती झुलसा रोग का असर दिखने लगा है। एक हेक्टेयर में एक बार में दवा के छिड़काव पर औसतन पांच हजार रुपये खर्च होते हैं। इस हिसाब से नौ करोड़ रुपये हुए और तीन छिड़काव पर 27 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसके बावजूद अगेती झुलसा के बचाव की कोई गारंटी नहीं होती है।

क्‍या बोले विशेषज्ञ

राजमाता सिंधिया एग्रीकल्चर विवि ग्वालियर के कुलपति डॉ. अरविंद शुक्‍ल ने बताया कि अमूमन कानपुर की बेल्ट में अगेती झुलसा रोग का प्रकोप नहीं होता है। मौसम के बदले मिजाज की वजह से इस बीमारी ने आलू पौध को जकड़ लिया है। किसान दवा का नियमित अंतराल पर छिड़काव करें। अक्तूबर में गर्मी अधिक होने से यह समस्या हुई है।

अगला लेखऐप पर पढ़ें