‘माशा अल्लाह लिखा नकाब पहनना शरीयत में जायज नहीं’, हिजाब पर मौलाना शहाबुद्दीन की नसीहत
‘माशा अल्लाह लिखा नकाब पहनना शरीयत में जायज नहीं है।’ ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन बरेलवी ने प्रेस को जारी एक बयान में ये बातें कहीं।
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन बरेलवी ने प्रेस को जारी एक बयान में कहा कि हिजाब को फैशन के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। नकाब पर माशा अल्लाह या लड़की का नाम लिखा हुआ होता है। किसी पर इतना उभरा हुआ नक्श निगार होता है जिसकी वजह से तो मर्द और भी ज्यादा औरतों की तरफ माइल (ध्यान केंद्रित) हो जाते हैं। जो कि पर्दे के मकसद के बिलकुल खिलाफ है। ऐसा नकाब से पर्दा नहीं बल्कि गुनाह हो रहा है।
मौलाना ने कहा है कि इस्लाम ने महिलाओं को बहुत बड़ा मुकाम और हैसियत दी है। महिलाओं को घरों की जीनत बताया है। उन्हें पर्दा करने का हुक्म दिया है। शौहरों को शरियत ने ये आदेश दिया है कि वो अपनी बीवियों के साथ अच्छे व्यवहार के साथ पेश आएं। लेकिन आज कल मार्केट में हिजाब को एक फैशन के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। हिजाब बनाने वाली कम्पनियां लुभावने अंदाज में लिबास तैयार कर रही है। ये शरियत के खिलाफ है।
इससे पहले मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने अखाड़ा परिषद पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था कि अखाड़ा परिषद ने ये घोषणा की है कि कुंभ मेले में समुदाय विशेष के लोगों की दुकान नहीं लगने दी जाएगी। परिषद का यह फैसला सम्प्रदायिकता को बढ़ावा देने वाला है और समाज के दरमियान नफरत फैलाता है।
मौलाना शहाबुद्दीन ने रविवार को एक वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट की। उन्होंने कहा है कि प्रयागराज में महाकुंभ का मेला शुरू होने जा रहा है। मैं चाहता हूं कि मेला अमन व शांति के साथ सम्पन्न हो। मगर अफसोस कि बात है कि अखाड़ा परिषद ने ये घोषणा की है कि मेले में किसी भी समुदाय विशेष की दुकान नहीं लगने दी जायेगी। अखाड़ा परिषद का यह फैसला समाज के दरमियान नफरत फैलाने वाला है। इस तरह के फैसलों से देश को नुकसान होता है। मौलाना ने उत्तर प्रदेश कि सरकार से मांग करते हुए कहा है कि ऐसे लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो और अखाड़ा परिषद का फैसला वापस लिया जाए।