Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Water in the lungs is not only causing TB but also cancer new research from BRD Medical College revealed

टीबी ही नहीं कैंसर से भी फेपड़ों में भर रहा पानी, बीआरडी मेडिकल कॉलेज की नई रिसर्च से खुलासा

  • टीबी ही नहीं, कैंसर भी फेफड़ों में पानी भर रहा है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों की नई रिसर्च में ये बात सामने आई है। फेफड़ों में पानी की वजह से टीबी का इलाज करा रहे 40 फीसदी मरीज लंग कैंसर से पीड़ित पाए गए।

Pawan Kumar Sharma हिन्दुस्तान, गोरखपुर, मनीष मिश्रWed, 6 Nov 2024 06:03 PM
share Share

टीबी ही नहीं, कैंसर भी फेफड़ों में पानी भर रहा है। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के टीबी-चेस्ट विभाग के डॉक्टरों की रिसर्च में यह सामने आया है। फेफड़ों में पानी की वजह से टीबी का इलाज करा रहे 40 फीसदी मरीज लंग कैंसर से पीड़ित पाए गए। यह रिसर्च की है टीबी-चेस्ट के विभागाध्यक्ष डॉ अश्वनी मिश्रा ने। उन्होंने बताया कि वर्ष 2023-24 में विभाग में इलाज कराने पहुंचे 40 मरीजों को इस रिसर्च के लिए चुना गया। इन मरीजों के फेफड़ों में पानी भरा था।

डॉक्टर कम से कम दो महीने से इन मरीजों का टीबी का इलाज कर रहे थे। इन मरीजों के फेफड़े की जांच थोरेकोस्कोपी की मदद से की गई। इसकी रिपोर्ट चौंकाने वाली रही। इनमें 16 मरीज ऐसे मिले जिनके फेफड़ों में कैंसर के कारण पानी बना था जबकि 20 मरीज के फेफड़ों में टीबी मिला। चार मरीजों के फेफड़ों में पानी की वजह का पता नहीं चल सका।

थोरेक्स कैविटी से पता चला बीमारी का कारण

डॉ. अश्वनी ने बताया कि ऐसे 40 मरीजों को चुना गया जो कम से कम दो महीना टीबी की दवा खा चुके थे। इसके बावजूद उनके फेफड़े में पानी नहीं सूखा था। ऐसे मरीजों में अधिकतर कैंसर पाया गया। थोरेकोस्कोपी की मदद से मरीजों के पसलियों के बीच फेफड़े की झिल्ली (थोरेक्स) पर जमी कैविटी की जांच की गई। मरीजों के फेफड़ों में जमे पानी की भी जांच हुई। थोरेकोस्कोपी में लगी दूरबीन से फेफड़ों की झिल्ली की जांच की गई तो यह पता चला कि उनमें से 16 को कैंसर, 20 को टीबी और चार को किसी अन्य कारणों से फेफड़े में पानी था।

यह निकला निष्कर्ष

डॉ. अश्वनी ने बताया कि शोध से निष्कर्ष निकला कि अगर चेस्ट एक्स-रे से फेफड़े में पानी दिखता है, तो परंपरागत तरीके से मरीज की टीबी की दवा शुरू करना सही फैसला नहीं होता है। चिकित्सक ऐसे मरीजों का थोरेकोस्कॉपी जांच कराएं। कारण पता कर इलाज शुरू करने से सफलता की संभावना बढ़ जाती है। पूर्वी यूपी में ही इस पर पहली बार शोध हुआ है। इसे अंतराष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित करने के लिए भेजा जा रहा है।

अगला लेखऐप पर पढ़ें