यज्ञ वेदिका है होलिका, मत डालिए कूड़ा-कचरा

शास्त्रों के अनुसार होलिका में जलने वाली अग्नि यज्ञ वेदिका ज्योति की ही प्रतीक है। इसलिए उसकी पवित्रता का पूरा ध्यान रखना जरूरी...

Newswrap हिन्दुस्तान, वाराणसीSun, 14 March 2021 03:03 AM
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वाराणसी। प्रमुख संवाददाता

होलिका दहन 28 मार्च को है। इसके लिए शहर में जगह-जगह सजी होलिकाओं में कूड़ा कचरा और प्लास्टिक धड़ल्ले से डाले जा रहे हैं। कहीं बोरों में भर कर कूड़ा डाल दिया गया है तो कहीं घरेलू कचरा होलिका को बदसूरत बना रहा है। शास्त्रों के अनुसार होलिका में जलने वाली अग्नि यज्ञ वेदिका ज्योति की ही प्रतीक है। इसलिए उसकी पवित्रता का पूरा ध्यान रखना जरूरी है।

वहीं शहर में कुछ लोग ईको फ्रेंडली होलिका सजा रहे हैं। लंका चौराहे पर गोबर के कंडे से बनी होलिका जलाई जाएगी। महामना कॉलोनी, एलआईसी कॉलोनी सामने घाट और पांडेयपुर की अशोक विहार कॉलोनी में सिर्फ गूलर की लकड़ी से होलिका जलेगी। पं. विष्णुपति त्रिपाठी के अनुसार वैदिक युग में होलिका के लिए गूलर की शाखा वसंत पंचमी की तिथि पर गाड़ी जाती थी। दहन भी गूलर की लकड़ियों का ही होता था। गूलर की शाखा पवित्रता और मधुरता का प्रतीक है। होलिका को पवित्रता के साथ विभिन्न रंगों वाली ध्वजिकाओं से सजाया जाता था। इसके समीप जुटने वाले वैदिक पहले अपने-अपने वेद की ऋचाओं का गान करते थे। फिर वेद का समवेत गान करते हुए उस शाखा का दहन करते थे।

महत्व है आम की मंजरी खाने का

बीएचयू में आयुर्वेद विभाग के प्रो. सुशील कुमार दुबे ने बताया कि होली के दिन आम की मंजरी और चंदन मिला कर खाने का बड़ा महात्म्य है। ऐसा करने से कई प्रकार के मौसमी विकारों से बचा जा सकता है। कहते हैं जो लोग फाल्गुन पूर्णिमा के दिन एकाग्र चित्त से हिंडोले में झूलते श्री गोविंद के स्वरूप का ध्यान करते हैं, उन्हें वैकुंठ वास का अधिकार मिलता है।

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