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बोले काशी : महामनापुरी (सुसुवाहीं): मकान नंबर के इंतजार में एक वीआईपी कॉलोनी

Varanasi News - वाराणसी के महामनापुरी कॉलोनी में बुनियादी समस्याएं हैं जैसे सीवर लाइन और पेयजल की अनुपलब्धता। कॉलोनी के निवासी कूड़ा उठाने के लिए निजी व्यवस्था कर रहे हैं और छुट्टा पशुओं के कारण असुरक्षित महसूस कर...

Newswrap हिन्दुस्तान, वाराणसीSat, 18 Jan 2025 06:54 PM
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वाराणसी। वाराणसी में नवशहरी क्षेत्र में शामिल इलाकों, कॉलोनियों में नगर निगम या जलकल के जिम्मेदार नहीं जाते क्योंकि वहां सीवर-पानी, सड़क और जलनिकासी की बुनियादी समस्याएं मुंह बाए खड़ी हैं। इसलिए वहां की बाकी समस्याएं भी सामने नहीं आ पातीं। कुछ कॉलोनियों को नवशहरी हुए तीन साल पूरे होने को हैं मगर वहां बने मकानों को नगर निगम से नंबर नहीं मिले हैं। उनमें सुसुवाहीं क्षेत्र की महामनापुरी भी है। यहां बसे प्रोफेसर और डॉक्टर आदि अपने पोस्टल एड्रेस में मकान नहीं, प्लाट नंबर लिखते हैं। महामनापुरी इधर चार-पांच वर्षों में नहीं बनी है। एक दशक से अधिक समय बीत चुका है कॉलोनी के दो हजार घरों को आबाद हुए। पास-पड़ोस के लोग कॉलोनी लगभग आठ हजार आबादी को एक वीआईपी कॉलोनी का बाशिंदा मानते हैं। यह परिचय सुनकर महामनापुरी के लोगों को लगता है कि कोई चिढ़ा रहा है। ‘हिन्दुस्तान के साथ चर्चा में उन्होंने कहा, ‘विकास यहां सीवर के रूप में ओवरफ्लो करता है, सड़क पर चलते झटके देता है, मच्छरों के साथ हर शाम गुनगुनाता है। बारिश के दिनों में जलजमाव के साथ घरों में घुस जाता है। शाम से छाये अंधेरे में किसी हॉरर फिल्म जैसा माहौल बनाता है। उनका इशारा सीवर-सड़क और सफाई के साथ स्ट्रीट लाइटों से जुड़ी समस्याओं की ओर था। कॉलोनी के निवासी एवं पर्यावरण दूत अनिल कुमार सिंह ने कहा कि इन सबसे अधिक कोफ्त अब तक मकान नंबर न मिलने की है।

पानी और सीवर लाइन नहीं

इतनी आबादी वाली कॉलोनी में न तो सीवर लाइन और न ही पेयजल की पाइप लाइन है। सोकपिट के सहारे सीवेज निस्तारण होता है। बारिश के दिनों में बाहर गंदगी फैलाता है। कई घरों का पानी करौंदी नाले में जाता है। मृत्युंजय कुमार ने कहा कि दो दशक तक जिला पंचायत से गुहार लगाते रहे, अब नगर निगम से उम्मीद लगाए हुए हैं कि समस्याएं कुछ तो कम हों। रवींद्र कुमार सिंह, रणवीर सिंह ने बताया कि पेयजल के लिए लोग सबमर्सिबल पर निर्भर हैं।

निजी कंपनी से करा रहे कूड़ा उठान

कॉलोनी के लोगों ने कूड़ा उठाने के लिए निजी व्यवस्था कर रखी है। कंपनी के कर्मचारी प्रतिदिन कूड़ा ले जाते हैं। उन्हें पैसा दिया जाता है। जो इस एवज में शुल्क नहीं देते, वे कुछ खाली प्लॉटों में या इधर-उधर कूड़ा फेंक रहे हैं। महेंद्रनाथ, अनिल दुबे ने बताया कि कॉलोनी में कूड़े का कंटेनर भी नहीं रखा गया है। सुरेंद्र प्रजापति, दिनकर, मुन्ना ने बताया कि कभी-कभी नगर निगम के कर्मचारी आते हैं, मुख्य मार्ग पर झाड़ू लगाकर चले जाते हैं। इसलिए कूड़ा-कचरा फैला रहता है। इससे मच्छरों के साथ उनसे होने वाली बीमारियों का साया बना रहता है।

छुट्टा पशुओं का जमावड़ा

महामनापुरी छुट्टा पशुओं का भी जमावड़ा लगता है। वे आक्रामक अंदाज में कब किसे दौड़ा लें, कोई नहीं जानता। कई लोग उनकी चपेट में आकर घायल हो चुके हैं। कॉलोनी में उन्हें विचरते देख बच्चे घरों से बाहर नहीं निकलते। मवेशियों का झुंड कॉलोनी में गंदगी भी फैलाता है। राजीव वर्मा, सुनील सिंह ने बताया कि मवेशियों को पकड़ कर गोशाला भेजने के अभियान का असर यहां नहीं दिखता। कई बार वे अचानक बीच सड़क पर आ जाते हैं। इससे दुर्घटनाएं होती हैं।

वीडीए लगाए कैंप

कॉलोनी के लोग चाहते हैं कि वीडीए यहां समन कैंप लगाए। उसमें भवनों के मानचित्र से जुड़ी समस्याओं पर गौर किया जाए। सतीश, अनिल सिंह ने कहा कि नक्शा पास कराने के लिए वीडीए का बहुत चक्कर लगाना पड़ता है। कॉलोनी में या आसपास नजदीक कहीं कैंप लगने से समस्या का समाधान कराया जाना चाहिए। इससे सहूलियत होगी।

करौंदी चौराहे से चले बस

करौंदी चौराहा से अमरा बाइपास तक पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधा नहीं है। लोगों को आवागमन में परेशानी होती है। इस क्षेत्र में ऑटो और टोटो भी इक्का-दुक्का ही चलते हैं। लोगों को वाहन रिजर्व करके कहीं जाना पड़ता है। महिलाएं इसमें खुद असुरक्षित महसूस करती हैं। सतीश, भारती गुप्ता ने बताया कि प्रशासन को इस मार्ग पर बस संचालन करवाना चाहिए। दिन में कम से कम एक से दो चक्कर भी बस आए जाए तो लोगों को राहत मिलेगी।

कॉलोनी में नहीं होती पुलिस गश्त

महामनापुरी की भारती गुप्ता, अनिल सिंह, रणवीर सिंह ने बताया कि यहां चोरी और छिनैती की कई घटनाएं हो चुकी हैं। पुलिस की गश्त नहीं होती है। इससे लोगबाग खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं। दिनकर सिंह, अजय कुमार खरवार ने कहा कि पुलिस की सक्रियता से कई तरह की हरकतें बंद हो सकती हैं, अराजक घटनाओं में कमी आ जाएगी। लोग सुकून महसूस करेंगे।

खराब होने के बाद नहीं जलती स्ट्रीट लाइट

कॉलोनी में पर्याप्त स्ट्रीट लाइटें लगी हैं। इससे लोगों में संतुष्टि दिखी लेकिन उनका कहना है कि एक बार स्ट्रीट लाइट खराब होती है तो महीनों नहीं जलती है। कई बार टोल फ्री नंबर पर फोन करने के बाद समाधान नहीं होता है। रवींद्र कुमार सिंह ने बताया कि एक लाइट खराब हुई तो कई बार टोल फ्री नंबर पर फोन किया। महीनों बाद विभाग में जाकर शिकायत की गई तब ठीक हुई।

शिकायत

1- कॉलोनी में सीवर लाइन नहीं होने से समस्या होती है। सोकपिट के सहारे सीवेज बह रहा है। कई लोगों के घरों का पानी करौंदी नाले में बह रहा है।

2- कई बार चोरी और छिनैती की घटनाएं हो चुकी हैं। शिकायत करने पर पुलिस आती है। गश्त नहीं होने से लोगों में असुरक्षा का भाव रहता है।

3-करौंदी से बाइपास तक पब्लिक ट्रांसपोर्ट की कोई सुविधा नहीं है। ऑटो और टोटो भी नहीं चलते हैं। इससे आवागमन में परेशानी होती है।

4- बारिश के दिनों में कॉलोनी में जलजमाव हो जाता है। कई घरों में पानी चले जाने से रहना मुश्किल हो जाता है।

5- वीडीए में नक्शा पास करने के लिए बहुत परेशान होना पड़ता है। छुट्टा पशुओं की धरपकड़ के लिए अभियान प्रभावी नहीं है।

सुझाव

1- प्राथमिकता के आधार पर कॉलोनी में सीवर लाइन की व्यवस्था हो। सीवेज समस्या का यही एकमात्र समाधान है।

2-इतनी बड़़ी आबादी वाली कॉलोनी के लिए पुलिस पिकेट बने। साथ ही पुलिस की गश्त होनी चाहिए। इससे लोग सुरक्षित महसूस करेंगे।

3-करौंदी से बाइपास तक पब्लिक ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था होनी चाहिए। कम से कम दिन में एक से दो बार इलेक्ट्रिक बस चलाई जाए। इससे आवागमन में सहूलियत होगी।

4- कॉलोनी में जलनिकासी के लिए नाला और गली पिट बने। इससे बारिश के दिनों में जलजमाव की समस्या से मुक्ति मिलेगी।

5-वीडीए समय-समय पर नक्शा पास कराने के लिए कैंप लगवाए। छुट्टा पशुओं को पकड़ने के लिए प्रभावी अभियान चले।

दर्द अपना

मकान नंबर अलॉट न होने से लोगों को परेशानी होती है। बैंक में लोन या अन्य कामों में पीले कार्ड की मांग की जाती है। - अनिल सिंह

लोगों के घरों में भी बारिश का पानी चला जाता है। ये कॉलोनी की बड़ी समस्या बन गई है।

- मृत्युंजय कुमार

सीवर लाइन नहीं होने से सोकपीट के सहारे सीवेज बह रहा है। कई घरों का पानी करौंदी नाले में बहाया जाता है।

- रवींद्र सिंह

करौंदी से बाइपास तक पब्लिक ट्रांसपोर्ट की सुविधा न होने से लोग परेशान हैं। ऑटो और टोटो भी नहीं चलते।

- रणवीर सिंह

कई चक्कर लगाने के बाद भी मकान का नक्शा कराने में दिक्कत होती है। वीडीए की ओर से कैंप लगना चाहिए।

- सुरेंद्र कुमार प्रजापति

कॉलोनी में पुलिस गश्त नहीं होती है। कई चोरी और छिनैती की घटनाएं हो चुकी हैं। बुलाने पर पुलिस आती है।

- अनिल कुमार सिंह

स्ट्रीट लाइट खराब होती है तो महीनों नहीं बनती। कई बार टोल फ्री नंबर पर फोन करने के बाद भी समाधान नहीं होता। - दिनकर सिंह

हम मवेशियों से परेशान हैं। वे कभी किसी को घायल कर देते हैं तो कभी उनसे बचने में लोग घायल हो जाते हैं।

- अजय खरवार

नगर निगम की ओर से कूड़ा उठान नहीं होता। कंटेनर नहीं होने से खुले में कूड़ा फेंका जा रहा है।

- मुन्ना

पेयजल की पाइपलाइन नहीं आई है। जो सबमर्सिबल नहीं लगवा पाए हैं, वे हैंडपंप से पानी लाने को मजबूर हैं।

- सुनील सिंह

कॉलोनी की जर्जर हो गई है। आवागमन में परेशानी होती है। कई सालों से मरम्मत नहीं हुई है।

- अनिल दुबे

कई जगहों पर पेड़ों पर बिजली के तार लटक रहे हैं। कभी भी घटना हो सकती है। इसका स्थायी समाधान होना चाहिए। - सतीश

कॉलोनी में सड़क से लेकर सभी लेन में नियमित सफाई होनी चाहिए। तभी स्वच्छता अभियान सफल होगा।

- भारती गुप्ता

सफाई के लिए निगम के कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई जाए। इससे रोज कम से कम झाड़ू तो लगेगी।

- राजीव वर्मा

पार्षद बोले

कॉलोनी की समस्याओं को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। नगर निगम की कार्यकारिणी में कॉलोनी के मुद्दे को उठा रहा हूं। करौंदी नाले तक सीवरलाइन का प्रस्ताव भेजा गया है। बजट आने पर निर्माण कराया जाएगा।

- श्यामभूषण शर्मा

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