बोले काशी : लंका की भोगाबीर कॉलोनी के लोग पूछ रहे, कब खत्म होगा हमारा भोगदंड
Varanasi News - वाराणसी के भोगाबीर कॉलोनी में नागरिकों को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। यहाँ सीवर ओवरफ्लो, प्रदूषित जलापूर्ति और सफाईकर्मियों की कमी जैसी समस्याएँ हैं। स्थानीय लोग वर्षों से इन दिक्कतों का...
वाराणसी। वाराणसी शहर में कई मोहल्ले और कॉलोनियां हैं जिनकी पहचान वाणिज्यिक गतिविधियों से है। कहीं खास बाने का बिजनेस होता है तो किसी कॉलोनी में गर्ल्स-ब्वायज हास्टलों और किराएदारों की बहुलता है। हॉस्पिटल-नर्सिंग होम भी हैं। फिर कॉलोनी-मोहल्ले में बुनियादी सुविधाओं का दो-तिहाई लाभ हॉस्टल-हॉस्पिटल और किराएदार ही उठाते हैं। स्थानीय लोग उस लाभ के लिए जूझते हैं। यह विडंबना लंका क्षेत्र की भोगाबीर कॉलोनी में महसूस होती है। वहां के नागरिक व्यंग्यात्मक लहजे में दर्द बयां करते हैं-‘मुद्दत से समस्याओं का दंश झेल रहे हम बीर लोग हैं। शहर में ‘बीर विशेषण जुड़े कई मोहल्ले हैं-लहुराबीर, भोजूबीर, लौटूबीर, सहोदर बीर, भोगाबीर आदि। इन ‘बीरों के प्रति आमजन में ग्राम देवताओं की तरह सम्मान-श्रद्धा होती है।
उस श्रद्धा से चुनौतियों, दिक्कतों को झेलने की ताकत मिलती है। जब तक असहनीय न हो जाएं, वहां के लोग अपनी दिक्कतों की चर्चा भी नहीं करते। साथ ही, कोई समस्या असहनीय कष्ट का सबब न बन जाए-इसके लिए सचेष्ट भी रहते हैं। कॉलोनी के हरिशंकर मिश्रा ने ‘हिन्दुस्तान से चर्चा के दौरान कहा- ‘ये भाव भोगाबीर कॉलोनी में दिखते हैं।
अविश्वसनीय किंतु सत्य इस कॉलोनी की आबादी 30 हजार से अधिक है। 19 हजार के आसपास वोटर हैं। 10-15 हजार लोग हॉस्टलों, मकानों में किरायेदार के रूप में रहते हैं। 14 के आसपास गर्ल्स, ब्वायज हॉस्टल एवं आधा दर्जन हॉस्पिटल हैं। हॉस्पिटलों में रोज औसत दो से ढाई हजार मरीज और तीमारदार आते हैं।
यह विशाल कॉलोनी नगर निगम के नरिया वार्ड का हिस्सा है। काशी का विश्वविख्यात संकटमोचन मंदिर इसी वार्ड में है- यह बताते हुए मदन मौर्य, दुर्गेश पाठक, नवीन आदि ने सवाल उठाया- ‘क्या सीवर-सफाई, पेयजल आदि की समस्याएं भी संकटमोचन हनुमान जी ही दूर कराएंगे?
सामुदायिक भवन पर वर्षों से कब्जा
लंका की रश्मिनगर से भोगाबीर कॉलोनी की ओर बढ़ते ही एक पुराने अर्धनिर्मित भवन की ओर बरबस ध्यान चला जाता है। पता चला कि यह सामुदायिक भवन है। उस पर अवैध कब्जा है। पूर्व पार्षद अशोक पटेल ने बताया कि यह मसला वर्षों पुराना है। अब तक क्यों नहीं निर्माण पूरा हो सका- नगर निगम ही जाने। हालांकि कॉलोनी के लोग कई बार इस भवन को कब्जा मुक्त कराने की गुहार लगा चुके हैं।
पाइप लाइन में अब ताकत नहीं
सीवर ओवरफ्लो कॉलोनी की प्रमुख समस्याओं में एक है। रूपचंद कश्यप, हरिशंकर मिश्रा ने ध्यान दिलाया कि तीन दशक पहले तब की आबादी के हिसाब से 9 इंच डाया वाली पाइप लाइन पड़ी है। वह पाइप लाइन आज 35 हजार से अधिक आबादी के बोझ तले दब गई है। इसलिए अक्सर ओवरफ्लो या बैक फ्लो करती है। बारिश के दिनों में यह सबसे गंभीर समस्या बन जाती है। पूर्व पार्षद अशोक पटेल ने दावा किया कि शहर के जितने 19-20 वार्डों में नए सिरे से सीवर लाइन बिछाने के लिए सर्वे चल रहा है, उसमें नरिया वार्ड भी है। संभवत: मार्च तक सर्वे पूरा हो जाएगा। इस प्रोजेक्ट के लिए धनराशि न सिर्फ स्वीकृत है बल्कि नगर निगम को अवमुक्त भी हो गई है।
जरूरत 125 की, हैं 32 सफाईकर्मी
नरिया वार्ड पहले से ही बड़ा था, नए परिसीमन के बाद उसकी सीमा तीन गुनी फैल गई है। पुरानी व्यवस्था में बीएचयू भी इस वार्ड का हिस्सा था। तब 125 सफाई कर्मियों की तैनाती की नगर निगम ने कागज पर स्वीकृति दी थी। हालांकि उतने कर्मचारी कभी नहीं थे। हमेशा 38 से 40 के बीच रहे। इन दिनों तैनाती 38 सफाईकर्मियों की है। उनमें दो दिवंगत हो चुके हैं, चार कर्मचारी मुद्दत से गायब हैं। पूर्व पार्षद वरुण सिंह एवं अशोक पटेल ने कहा कि जब वार्ड सीमा का तीन गुना विस्तार हो चुका है, तब 30-32 कर्मियों के भरोसे सफाई व्यवस्था कैसे पटरी पर रह सकती है? 32 में भी कुछ कर्मचारी अधिकारियों की सेवा-टहल में लगे रहते हैं। कॉलोनी की किसी गली में न तो रोज झाड़ू लगती है और न ही कूड़ा उठान होता है। सुमित सिंह ने संसाधनों की कमी दूर करने पर जोर दिया।
जर्जर पाइप, प्रदूषित जलापूर्ति
श्यामबाबू वर्मा, दीनानाथ सिंह ने प्रदूषित जलापूर्ति की ओर ध्यान दिलाया। इसकी वजह दशकों पुरानी पाइप लाइन है। इनमें अक्सर लीकेज कभी बड़ी समस्या थी। किसी तरह दूर हुई लेकिन पीने के पानी में गंदगी की शिकायत बरकरार है। वरुण सिंह ने बताया कि साल भर पहले नरिया प्राइमरी स्कूल के पास लगा ट्यूबवेल चालू हुआ। वह 10 वर्षों तक बंद रहा। उसके उपकरण कमजोर हो गए हैं। सबसे बड़ी बात यह कि जर्जर पाइप लाइन के चलते नलकूप से पूरे प्रेशर के साथ कभी जलापूर्ति नहीं हो पाती। हर घर नल योजना का कहीं अता-पता नहीं है। सीवर के साथ पेयजल की भी नई पाइप लाइन कॉलोनी की सबसे बड़ी जरूरत है।
अंतरगृही मार्ग बने विकल्प
रूपचंद कश्यप, अनिल मौर्य ने रविदास गेट से लंका सिंह द्वार एवं सिंह द्वार से नरिया के बीच लगने वाले जाम की ओर ध्यान दिलाया। बताया कि पहले डिवाइडर का कट खुला रहने से भोगाबीर कॉलोनी के नागरिक आसानी से लंका मेन रोड के दोनों ओर आवाजाही कर लेते थे। अब उन्हें लंबा टर्न लेना पड़ता है। अक्सर जाम में फंसते हैं। उन्होंने कहा कि भोगाबीर कॉलोनी से साकेतनगर की ओर गए पुराने अंतरगृही परिक्रमा मार्ग का चौड़ीकरण और मरम्मत हो जाए तो न सिर्फ कॉलोनी के लोगों को राहत मिलेगी बल्कि यह लिंक रोड का बेहतर विकल्प बन सकता है। यह रोड अभी अतिक्रमण एवं उपेक्षा की शिकार है।
पुलिस चौकी बढ़ाती है संकट
इंद्रजीत सिंह, नवीन एडवोकेट, दीनानाथ सिंह आदि ने ध्यान दिलाया कि श्रद्धालुओं की संख्या में बढ़ोतरी को देखते हुए संकटमोचन मंदिर के बाहर भी ट्रैफिक मैनेजमेंट के ठोस उपाय होने चाहिए। प्रत्येक मंगलवार एवं शनिवार को अपार भीड़ होती है। तब सहोदर बीर पुलिया से मंदिर तक पैदल आना कठिन हो जाता है। मंदिर तक ऑटो-टोटो एवं चार पहिया वाहनों के आने से स्थित विकट हो जाती है। इन वाहनों की पार्किंग बहुत बड़ी समस्या है। दीनानाथ सिंह ने कहा कि संकटमोचन पुलिस चौकी शिफ्ट होनी चाहिए। क्योंकि 60 फीट चौड़ी सड़क में 30 फीट जगह पुलिस चौकी ने घेर रखी है। इससे भी जाम लगता है।
जल निगम की चाल, धूल से बेहाल
भोगाबीर कॉलोनी के निवासी एवं लंका व्यापार मंडल के अध्यक्ष रवि जायसवाल ने जल निगम की गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई की कार्यशैली पर सवाल उठाया। इकाई ने लंका से सहोदर बीर पुलिया तक ब्रांच सीवर लाइन बिछाने के बाद सड़क की पक्की मरम्मत नहीं कराई है। लगभग दो माह हो चुके हैं। जल निगम के अभियंता कहते हैं कि खोदे गए हिस्से में मिट्टी आदि की भराई की गई है। उसे सही तरीके से बैठने तक रोड का पक्का निर्माण नहीं होगा। जबकि लंका मार्केट के दुकानदार, वहां से गुजरने वाले हजारो लोग एवं पड़ोस की कॉलोनियों के निवासी रोज धूल धूसरित होते हैं।
बंदरों से हर रोज लड़ाई
भोगाबीर कॉलोनी के लोग भी उपद्रवी बंदरों से रोज मोर्चा लेते हैं। झुंड के झुंड विचरण करने वाले बेखौफ बंदरों के आतंक से कॉलोनी की महिलाएं और बच्चे काफी खौफ में हैं। देवानंद, दुर्गेश पाठक एवं उत्कर्ष ने कहा कि ये बंदर संकटमोचन दरबार से भगाए गए हैं। भूख-प्यास शांत करने के लिए वे हमारी, पड़ोसी कॉलोनी में धावा बोल रहे हैं। यह स्थिति जीव प्रेमियों के लिए भी गंभीर चुनौती है।
सुझाव
1.सीवर लाइन के लिए सर्वे जल्द पूरा कराया जाए ताकि वर्षों पुरानी समस्या से अगली बरसात से पहले राहत मिले।
2. कॉलोनी में सफाई कर्मियों की संख्या बढ़ाई जाए। रोज कूड़ा उठान की भी व्यवस्था हो।
3. पेयजल की जर्जर पाइप लाइन बदलने पर नगर निगम गंभीरता से पहल करे। प्रदूषित जलापूर्ति से राहत मिले।
4.भोगाबीर-साकेतनगर अंतरग़ृही परिक्रमा मार्ग का चौड़ीकरण एवं मरम्मत कराया जाए। यह लिंक रोड का विकल्प बन सकता है।
5. लंका मेन रोड के डिवाइडर में बीच-बीच में कट खोला जाए ताकि कॉलोनी के लोगों को आवागमन में आसानी हो।
शिकायतें
1. भोगाबीर में तीन दशक से सीवर समस्या बनी हुई है। ओवरफ्लो से लोग रोज परेशान होते हैं।
2. 10 वर्ष पुरानी व्यवस्था के मुताबिक तैनात सफाईकर्मी न तो रोज झाड़ू लगाते हैं और न ही कूड़ा उठाते हैं।
3. पूरी कॉलोनी में जर्जर पाइप के चलते प्रदूषित जलापूर्ति हो रही है। पानी पूरे प्रेशर के साथ नहीं आता।
4. भोगाबीर के लोगों को लंका और संकटमोचन मंदिर के पास जाम से बहुत दिक्कत हो रही है।
5. लंका मेन रोड का पक्का निर्माण न होने से रोज धूल उड़ती है। इससे सांस की बीमारी बढ़ रही है।
बोले पार्षद प्रतिनिधि
फोटो-राजीव पटेल
कॉलोनी में समुचित सफाई और कूड़ा उठान के लिए कर्मचारियों की संख्या एवं संसाधन बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास हो रहा है। जर्जर पेयजल लाइन बदलने के लिए भी निगम को प्रस्ताव दिया गया है।
- राजीव पटेल, पार्षद प्रतिनिधि
सुनें हमारी बात
अंतरगृही परिक्रमा मार्ग को अतिक्रमण मुक्त कराकर चौड़ा किया जाए। जाम से राहत मिलेगी।
- श्याम बाबू वर्मा
जर्जर पाइप लाइन नहीं बदली गई तो जल्द ही पेयजल का गंभीर संकट पैदा हो जाएगा।
- वरुण सिंह
जगह-जगह सीवर ओवरफ्लो हो रहा है। लोग परेशान हैं। गंदगी फैली रहती है।
- मदन मौर्या
आम दिनों में भी ट्रैफिक प्रबंधन वैसा ही हो जैसा वीआईपी आगमन पर होता है।
- अशोक पटेल
संकट मोचन मंदिर के पास वाहन पार्किंग की उचित व्यवस्था हो ताकि जाम ना लगे।
- रुपचंद्र कश्यप
जल्द से जल्द लंका मेन रोड का पक्का निर्माण हो ताकि धूल से राहत मिले।
- रवि जायसवाल
कॉलोनी से संकटमोचन मंदिर जाने वाले रास्ते की चौड़ाई बढ़ाई जानी चाहिए।
- अनिल मौर्या
संकटमोचन पुलिस चौकी ने आधी सड़क घेर ली है। इससे आए दिन जाम लगता है।
- हरिशंकर मिश्रा
कॉलोनी की जर्जर सड़कों पर आवागमन में परेशानी होती है। उनकी मरम्मत हो।
- दुर्गेश पाठक
मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है। इससे बीमारियों का डर बना रहता है।
- सुमित सिंह
लंका के जाम से निजात के लिए सामने घाट-नरिया के बीच ओवरब्रिज बनना चाहिए।
- नवीन
संकटमोचन के पास रमापुरी कॉलोनी के पार्क में पार्किंग की स्थायी व्यवस्था होनी चाहिए।
- दीनानाथ सिंह
लंका मेन रोड के डिवाइडर में कट न होने से आवागमन में बहुत दिक्कत हो रही है।
- इंद्रजीत सिंह
संकटमोचन मंदिर के पास ऑटो और ई रिक्शा के साथ चार पहिया को आने से रोका जाए।
-हैप्पी पाठक
संसाधन बढ़ाए बिना सफाई व्यवस्था नहीं सुधर सकती। पार्षद को ध्यान देना चाहिए।
- उत्कर्ष
सामुदायिक भवन को अवैध कब्जे से मुक्त कराने के लिए प्रभावी पहल हो।
- देवानंद
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