वाराणसी: मां शीतला का चरण पखारने के बाद गंगा का वेग हुआ कम, वरुणा किनारे वालों को मिली राहत
वाराणसी में दशाश्वमेध घाट पर स्थित अति प्राचीन मां शीतला का पांव पखारने के बाद गंगा का वेग थोड़ा कम हो गया है। बुधवार को ढाई सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हो रही बढ़ोतरी अब एक सेंटीमीटर...
वाराणसी में दशाश्वमेध घाट पर स्थित अति प्राचीन मां शीतला का पांव पखारने के बाद गंगा का वेग थोड़ा कम हो गया है। बुधवार को ढाई सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हो रही बढ़ोतरी अब एक सेंटीमीटर प्रति घंटे हो गई है। इससे तटवर्ती इलाकों में रहने वालों के साथ ही नाविकों ने भी राहत की सांस ली है।
वाराणसी में गंगा का जलस्तर बढ़ने से सबसे ज्यादा परेशानी वरुणा किनारे रहने वालों को होती है। बुधवार की रात करीब 11 बजे गंगा के मां शीतला मंदिर में प्रवेश करते ही वरुणा का पलट प्रवाह भी तेज हो गया था। इससे तटवर्ती इलाकों के लोगों ने अपना सामान बांधना शुरू कर दिया था। इसी बीच गुरुवार की भोर से गंगा के जलस्तर में बढ़ाव की रफ्तार कम होने से राहत मिली है। बुधवार की रात आठ बजे गंगा का जलस्तर जहां 66.03 मीटर पर था। वहीं, गुरुवार की सुबह आठ बजे 66.15 मीटर पहुंचा था। वाराणसी में चेतावनी बिंदु 70.26 और खतरे का निशान 71.26 मीटर पर है।
इससे पहले बुधवार को जलस्तर के लगातार बढ़ने से राजघाट से अस्सी के बीच गंगा के सभी पक्के घाटों का संपर्क पूरी तरह भंग हो गया था। वहीं, मणिकर्णिका घाट पर शवदाह स्थल का 80 फीसदी निचला हिस्सा पानी में समा चुका है। हरिश्चंद्र घाट पर एकमात्र छोटा प्लेटफार्म ही शवदाह के लिए बचा है। इस घाट पर गंगा किनारे करीब एक मंजिल की ऊंचाई पर स्थित श्मशानेश्वर महादेव के शिवलिंग को गंगा का जल स्पर्श करने लगा है। दशाश्वमेध घाट पर माता शीतला के मंदिर के प्रवेश द्वार की एक सीढ़ी पानी में डूब चुकी है। सभी प्रमुख घाटों पर नाविकों ने निगरानी बढ़ा दी है।
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