आरपी घाट पर बुद्धिजीवी ‘मूर्खों का जुटान
Varanasi News - वाराणसी में 1 अप्रैल को 56वें महामूर्ख सम्मेलन का आयोजन हुआ। डॉ. राजेंद्र प्रसाद घाट पर आयोजित इस सम्मेलन में कवियों ने ठिठोली के साथ विवाह कराया, जिसमें दुल्हन की मूंछें और दूल्हे का टकला होना विवाद...

वाराणसी, वरिष्ठ संवाददाता। काशी के अद्भुत और अड़भंगी आयोजनों में एक महामूर्ख सम्मेलन मंगलवार यानी पहली अप्रैल को अपने 56वें वर्ष में मनाया गया। डॉ.राजेंद्र प्रसाद घाट के मुक्ताकाशीय मंच की सीढ़ियों पर जमी भीड़ ने कवियों की ठिठोली पर खूब ठहाके लगाए। गड़बड़ मंत्रोच्चार के बीच विवाह हुआ और फिर दुल्हन की मूंछें और दूल्हे के टकला होने पर विवाद, समझावन-बुझावन भी काम नहीं आया। अंतत: विवाह विच्छेद की परंपरा कायम ही रही।
महामूर्ख सम्मेलन का आगाज गर्दभ ध्वनि से किया गया। विवाह परंपरा को निभाने के लिए राजकीय चिकित्साधिकारी डॉ. शिवशक्ति प्रसाद द्विवेदी दुल्हन बने और उनकी पत्नी डॉ. नेहा द्विवेदी दूल्हे की भूमिका में थीं। प्रवीण बिस्वास नाउन बने तो बृजेश सिंह पाठक ‘बड़कू पंडित और डॉ. रमेश दत्त पांडेय पुरोहित बने। बंगाली रीति रिवाज का मुकुट धारण कर दूल्हा बारात लेकर पहुंचा। कवियों ने गड़बड़ मंत्रोच्चार कर विवाह कराया फिर कुछ ही देर में नोकझोंक शुरू हो गई। दूल्हे ने कहा कि दुल्हन को मूंछ है और दुल्हन ने दूल्हे को टकला बताया। कवियों और विशिष्टजनों की टोली दोनों पक्षों को मनाने में जुटी मगर काशी की अड़भंगी परंपरा जीत गई। तर्क-वितर्क और कुतर्कों के साथ शब्दबाणों ने लोगों के ठहाके रुकने नहीं दिए। इस दौरान कलाकारों ने कालबेलिया नृत्य की भी प्रस्तुति की।
कवि सम्मेलन में महेश जायसवाल ने ‘चाहें रखा बीएमडब्लू चाहे कुछ भौकाल गढ़ा, सब गड़ियन क ऐसी तैसी सबसे हिट बुलडोजर हौ सुनाकर तालियां और ठहाके बटोरे। कवि अखिलेश द्विवेदी, सौरभ जैन सुमन, बिहारी लाल अंबर, सुदीप भोला, बादशाह प्रेमी, संजय सिंह, श्याम लाल यादव और डॉ प्रशांत सिंह ने भी हास्य रचनाओं से श्रोताओं को खूब गुदगुदाया। संचालन दमदार बनारसी ने किया। साइबर क्राइम विशेषज्ञों ने भी सम्मेलन में जागरूकता फैलाई।
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