ज्ञानवापी प्रकरण: वुजूखाना के सर्वेक्षण की मांग पर अंजुमन को नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी स्थित वुजूखाना के एएसआई सर्वेक्षण की मांग पर अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद समिति को नोटिस जारी किया है। न्यायालय ने हिंदू पक्ष की याचिका पर सुनवाई 17 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर...
नई दिल्ली/वाराणसी, हिटी। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ज्ञानवापी स्थित वुजूखाना का भारतीय पुरातत्व विभाग (एएसआई) से सर्वेक्षण कराने की मांग पर अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद समिति को नोटिस जारी कर दो हफ्ते में जवाब मांगा है। पीठ ने नोटिस जारी करते हुए सुनवाई 17 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने हिंदू पक्ष की ओर से दाखिल उस अर्जी पर आदेश दिया है जिसमें वुजूखाना और उसमें मिली शिवलिंग जैसी आकृति का एएसआई से सर्वेक्षण कराने की मांग की गई है। दोनों क्षेत्र सुप्रीम कोर्ट के ही आदेश पर सील किया गया है। पीठ ने इस मामले में भारतीय पुरातत्व विभाग को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
हिंदू पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान और अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने पीठ से सीलबंद क्षेत्र का एएसआई से सर्वे कराने की मांग को दोहराया। इसके साथ ही पीठ के समक्ष सभी मुकदमों को एकीकृत करने और उन्हें जिला न्यायालय से इलाहाबाद उच्च न्यायालय स्थानांतरित करने की मांग को लेकर दाखिल अर्जी का भी उल्लेख किया। यह अर्जी शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं थी।
प्राथमिकता के आधार पर सुनने की मांग की
अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद समिति की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने पीठ से उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दाखिल विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) को प्राथमिकता के आधार पर सुनने की मांग की। मुस्लिम पक्ष ने इसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी है, जिसमें पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 के तहत प्रतिबंध के कारण मुकदमों को खारिज करने के लिए सीपीसी के आदेश 7 नियम 11 के तहत मस्जिद समिति की याचिका को खारिज कर दिया गया था। अहमदी ने पीठ को यह भी बताया कि एएसआई सर्वेक्षण कराने के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली उनकी अपील भी सूचीबद्ध नहीं है। उन्होंने सभी मामलों को एक साथ सुनने का आग्रह किया और कहा कि इसे प्राथमिकता दी जानी चाहिए। सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने मौखिक तौर पर हिंदू पक्ष की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता दीवान से कहा कि वह इस पर विचार करें कि क्या मामलों को जिला न्यायालय के समक्ष ही समेकित किया जा सकता है, ताकि उच्च न्यायालय को अपीलीय मंच के रूप में रखा जा सके।
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