श्रीमद्भागवत कथा कराती है अज्ञानता से निवृत्ति
Varanasi News - वाराणसी में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया गया, जहां प्रेमधन लालन महाराज ने अज्ञानता दूर करने और प्रभु के भजन का महत्व बताया। उन्होंने संगति के प्रभाव और अच्छे गुणों की चर्चा की। शिव चरित्र का वर्णन...
वाराणसी, मुख्य संवाददाता। इस धरा पर कोई ज्ञानी नहीं है। सभी अज्ञानता के सागर में डूबे हैं। इसी अज्ञानता की निवृत्ति के लिए श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन होता है। भगवान का भजन किया जाता है। जब इस अज्ञानता को दूर कर हम एक बार प्रभु के हो जाते है तब वह हमें अखण्डानन्द की प्राप्ति कराते हैं।
ये बातें वृंदावन के कथावाचक प्रेमधन लालन महाराज ने कहीं। वह त्रिदेव मंदिर सेवक परिवार की ओर से दुर्गाकुंड स्थित धर्मसंघ परिसर में हो रही श्रीमद्भागवत कथा में गुरुवार को प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि जीवन में संगति का भी बहुत प्रभाव पड़ता है। अच्छी संगत से अच्छे गुण प्राप्त होते हैं। आज समाज में रोज परिवार में विघटन की सूचनाएं मिलती हैं परंतु जिस घर में स्त्रियां त्याग, प्रेम और सेवा के तीन गुणों से परिपूर्ण होती है वहां विघटन नहीं बल्कि आनंद का वातावरण होगा।
शिव चरित्र का वर्णन करते हुए लालन महाराज ने कहा कि भोलेनाथ अत्यंत सरल और सहज हैं। वे हमारी गलतियों को भी माफ करने वाले हैं। बस जरूरत है उनकी शरण में जाने की। काशी औघड़दानी शिव की सबसे प्रिय नगरी है। यहां महादेव सर्वत्र निवास करते हैं। आरंभ में मुख्य यजमान भरत सराफ एवं किरण सराफ ने व्यासपीठ का पूजन किया। अंत में राधेगोविंद केजरीवाल, अनूप सराफ, सजन सिंघी, सुरेश तुलस्यान, अजय खेमका, श्याम बूबना ने आरती उतारी।
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