जनपद में 11 दिन में सात हत्याएं, दहले लोग
- जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों में ही पांच हत्या की घटनाएं - ग्रामीण क्षेत्रों
- जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों में ही पांच हत्या की घटनाएं
- ग्रामीण क्षेत्रों में कई आपराधिक घटनाएं सामने आईं
- दो हत्याएं कमिश्नरेट क्षेत्र में बादमाशों ने कीं, एक सरेशाम
- जनपद में अपराध पर अंकुश लगाना चुनौती बना
वाराणसी। कार्यालय संवाददाता
जनपद में 11 दिन में कुल सात हत्याएं हुईं। 26 मार्च से पांच मार्च तक एक-एक कर सात हत्याओं ने ग्रामीण क्षेत्र से लेकर शहर तक के लोगों को सकते में डाल दिया। इसमें कुछ अपनों ने हत्याएं की तो कुछ पुरानी रंजिश में, कुछ मनबढ़ई में घटना को अंजाम दिया गया।
चोलापुर से हत्या का सिलसिला शुरू हुआ। आयर बाजार में पड़ोसी आपराधिक किस्म के मनबढ़ों ने चाकू मारकर युवक की हत्या कर दी थी। शव खेत में फेंक दिया था। अभी एक दिन तक जिला शांत था कि 28 मार्च की शाम मिर्जामुराद के बिहड़ा में शराब पीकर मनबढ़ों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर किशोर की हत्या कर दी। गोली लगने से बच्ची समेत दो घायल भी हो गये। ठीक होली के दिन भी जिले में अशांति रही। चौबेपुर के बराई में दिनदहाड़े पीट-पीट कर पूर्व बीडीसी सदस्य की हत्या कर दी गई तो दूसरी ओर लोहता में अपनी भाभी पर धारदार हथियार से वारकर उसे मौत के घाट उतार दिया। दो दिन सब कुछ शांत रहा कि कमिश्नरेट क्षेत्र के सारनाथ में एक युवक की हत्या कर शव ट्रैक पर फेंक दिया गया। पूरी साजिश के तहत नटुई से युवक को बुलाकर लाया गया। इसके बाद उसकी हत्या कर दी गई। फिर पांच अप्रैल की शाम एक साथ दो-दो हत्याओं से जिला दहल उठा। रोहनिया में प्रापर्टी डीलर को रात में गोलियों से उड़ा दिया गया, तो लंका में सरेशाम चाकू घोपकर फल विक्रेता की हत्या कर दी गई।
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