संपूर्णानंद संस्कृत विवि की फर्जी डिग्री पर 1130 शिक्षक बने
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की फर्जी डिग्रियों के सहारे प्रदेश के 75 जिलों के प्राथमिक विद्यालयों में 1130 लोगों ने शिक्षक की नौकरी हासिल की...
वाराणसी। वरिष्ठ संवाददाता
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की फर्जी डिग्रियों के सहारे प्रदेश के 75 जिलों के प्राथमिक विद्यालयों में 1130 लोगों ने शिक्षक की नौकरी हासिल की है। इसका खुलासा फर्जीगीरी की जांच कर रही एसआईटी की रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट उच्च शिक्षा विभाग को दोषियों के खिलाफ कारवाई के लिए भेजी गई थी। उसे उच्च शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालय को भेजा है।
फर्जी डिग्रियों का मामला सामने आने पर प्रदेश शासन ने जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था। एसआईटी ने 2004 से 2014 के बीच प्राथमिक विद्यालयों में चयनित उन शिक्षकों के अभिलेखों का दोबारा सत्यापन कराया, जिन्होंने संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से उपाधि हासिल की है। अभी छह जिलों की सत्यापन रिपोर्ट एसआईटी को नहीं मिल पाई है। बाकी जिलों की जांच रिपोर्ट शासन को नवंबर में सौंपी गई थी। इस प्रकार संस्कृत विवि के उपाधिधारकों में करीब 23 प्रतिशत फर्जी हैं।
एसआईटी ने 69 जिलों में तैनात 5797 शिक्षकों का सत्यापन कराया था। उनमें 1130 के अभिलेख फर्जी और 207 के संदिग्ध मिले हैं। इस तरह 1327 शिक्षकों ने फर्जी डिग्रियों से नौकरी पाई। यह संख्या और बढ़ सकती है। विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग ने 73 जनपदों में नियुक्त शिक्षकों का सत्यापन भेज दिया है।
एसआईटी की रिपोर्ट मिलने के बाद से विश्वविद्यालय में खलबली है। एसआईटी ने अपनी जांच में विश्वविद्यालय के दस अधिकारियों-प्रोफेसरों व नौ कर्मचारियों को दोषी माना है। उनमें कुछ अधिकारी सेवानिवृत हो चुके हैं। संदेह के घेर में आए तीन प्रोफेसर में दो वर्तमान में दो विश्वविद्यालयों के कुलपति हैं।
वाराणसी के भी 29 शिक्षकों की नौकरी खतरे में
पूर्वांचल के ज्यादतर जिलों में संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के फर्जी डिग्री धारक शिक्षक पढ़ा रहे हैं। इनमें सर्वाधिक बलिया में 136 शिक्षक हैं। उनमें कुछ के खिलाफ कार्रवाई हो चुकी है।
एसआईटी की रिपोर्ट के मुताबिक वाराणसी में 167 शिक्षकों की डिग्रियां संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की हैं। इनमें 28 की डिग्री फर्जी मिली है जबकि एक अभिलेख अभी संदिग्ध की श्रेणी में रखा गया है। गाजीपुर में 87 में 81 का सत्यापन हुआ जिनमें 11 की डिग्री फर्जी और 15 की संदिग्ध है। जौनपुर के 356 शिक्षकों में 49 की फर्जी और तीन शिक्षकों की डिग्रियां संदिग्ध हैं। चंदौली के 188 में 15 फर्जी और एक संदिग्ध, मिर्जापुर के 76 में 17 फर्जी और दो संदिग्ध, भदोही के 221 में 30 फर्जी, सोनभद्र में 68 में 17 फर्जी, आजमगढ़ में 125 में 43 फर्जी, बलिया में 232 में 136 फर्जी और मऊ में 94 में 21 फर्जी हैं।
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