बोले काशी- शिवनगर अकथा- नीचे पत्थर चौका, ऊपर बिजली के तार देते हैं झटके
Varanasi News - वाराणसी के शिवनगर कॉलोनी में विकास की स्थिति अत्यंत खराब है। यहां की सड़कें उबड़-खाबड़ हैं, बिजली के तार खतरनाक स्थिति में हैं और जलापूर्ति भी प्रदूषित है। लोग नगर निगम से बार-बार शिकायतें कर चुके...
वाराणसी। वाराणसी नगर निगम के पुराने क्षेत्रों में भी ‘विकास कई जगह अटपटे ढंग से गुजरा है। किसी मोहल्ले-कॉलोनी की एक सड़क और उसके अगल-बगल की रिहाइश खुश तो मान लिया गया सभी खुश। जबकि उसी कॉलोनी में लोगबाग संबंधित विभागों को कोस रहे होते हैं। वरुणापार अकथा वार्ड की शिवनगर कॉलोनी का भी यही हाल है। यहां की दो-तिहाई आबादी अपनी गली में पत्थर के उबड़-खाबड़ चौकों और बिजली के तारों से रोज झटके खा रही है। हर दिन बीतने के बाद लोगबाग अगली सुबह एक दूसरे की खैरियत पूछते हैं। नगर निगम के पिछले परिसीमन के बाद अकथा वार्ड की सीमा पंचक्रोशी रोड तक बढ़ गई है। पांडेयपुर-पैगबंरपुर रोड पर लक्ष्मीमंदिर के आगे 35 साल पहले बसी है शिवनगर कॉलोनी। पुराना नाम टंड़िया चकबीही है। 1990 में बनी कॉलोनी में लगभग तीन सौ मकान हैं जिनमें लगभग ढाई हजार की आबादी रहती है। ‘हिन्दुस्तान से चर्चा के दौरान लोगों ने दिखाया कि विकास ने उन्हें किस कदर छला है। छोटे-बड़े जनप्रतिनिधियों ने भी अधूरे कामों को सबका विकास मान लिया है। बेतरतीब पत्थर चौकों में फंसकर पैर तुड़वा बैठे रवीन्द्र सोनकर ने बताया कि साल भर पहले गली के पुराने पत्थर उखाड़ दिए गए यह कहते हुए कि नए चौके बिछेंगे। लंबे इंतजार के बाद नए चौके नहीं बिछे तो लोगों ने नगर निगम से पुरानों की ही री-सेटिंग करा देने का आग्रह किया। नगर निगम के ठेकेदार ने किसी तरह पत्थर बिछवा दिए। उन पर आवागमन के दौरान बुजुर्ग चंपा देवी, आशा पटेल और सूरजचंद का हाथ टूट गया है। पुच्छू कन्नौजिया कमर का इलाज करवा रहे हैं। इन्हें-उन्हें मोच आने की शिकायतें तो रोज मिलती हैं। पास के शिव मंदिर के लिए निकलीं चंपा देवी ने इशारा किया-‘कॉलोनी के दूसरे हिस्से में सड़क-गली चकाचक है। वह सड़क आगे पुराने आरटीओ कार्यालय तक जाती है। बड़ी आबादी परेशान है। रवीन्द्र सोनकर ने बताया कि छह माह के दौरान नगर निगम से लेकर पार्षद-विधायक तक गुहार लगा चुके हैं, सबसे आश्वासन ही मिला है।
बच्चे-किशोर करते हैं तारों से अठखेलियां
शिवनगर की पुरानी बस्ती में एरियल बंच कंडक्टर (एबीसी) ही लगा है लेकिन बल्लियों के सहारे। कुछ बल्लियां टूट गईं तो किसी घर में लोहे की कुंडी या एंगल के सहारे तार फंसा दिए गए। उर्मिला, राजेश्वरी ने दिखाया कि दो जगह बल्लियां जमीन से उखड़ गई हैं। दोनों ओर तारों का खिंचाव ही उन्हें सीधा किए हुए है। गली में होने के नाते तेज हवा से बची रहती हैं लेकिन तब तार खूब ‘झूमते हैं, उस समय उनके चिंगारियां भी निकलती हैं। तारों की ऊंचाई इतनी ही कि आते-जाते बच्चे और किशोर उन्हें छूते रहते हैं। तब उनके अभिभावकों की तेज आवाज गूंजती है-‘काहें खेला करत हऊवे, चपकल रह जईबे। कई बार करंट लग भी चुका है। रोजमर्रा की समस्या देखते हुए सूरजचंद ने कुछ लोगों की मदद से एक गली के कोने में सीमेंट का एक खंभा गड़वा कर बिजली विभाग से आग्रह किया कि उससे तार बंध जाएं तो अनेक घरों को राहत मिल जाएगी। अब तक उनका आग्रह अनसुना है।
घिस चुकी है छोटी पचक्रोशी रोड
शिवनगर का एक रास्ता अंदर ही अंदर पंचक्रोशी चौराहा तक चला जाता है। जब भारी बरसात के चलते मेनरोड पर वरुणा का पानी आ जाता है तब यह रोड लिंकरोड बन जाती है। इसे छोटी पंचक्रोशी रोड भी कहा जाता है। सेवानिवृत्त प्राध्यापक कमलाकांत पांडेय के अलावा रमेश कन्नौजिया, अरविंद विश्वकर्मा, पंकज उपाध्याय ने बताया कि खड़ंजे की यह सड़क लगभग 20 वर्ष बनी। कही जगह ईंटें घिस गई हैं। बरसात के दिनों में पानी जमा हो जाता है। पंकज उपाध्याय ने कहा कि कॉलोनी की सीमा तक सड़क को नए सिरे से बनवाने की कई बार बात हुई लेकिन हमारी उम्मीद अब तक अधूरी है।
खुला नाला में फेकते हैं कचरा
राजनाथ, किशन यादव, संत लाल आदि ने कहा कि कॉलोनी के चंद मकानों तक ही सफाईकर्मियों की आवाजाही होती है, बाकी मुहल्ला त्योहारों या किसी खास मौके के लिए निजी सफाईकर्मियों की मदद से अपने-अपने घरों के सामने और गली में सफाई करवाता है। कुछ लोग सुबह खुद झाड़ू लगाते हैं। कूड़ा जमा करने को डस्टबिन नहीं है। लिहाजा, ज्यादातर घरों का कूड़ा-कचरा खुला नाला में जाता है। अकथा की ओर से पहड़िया क्रॉस करते हुए आ रहे 15 फीट चौड़े और उतने ही गहरे नाले में पानी कभी कचरा को बहा ले जाता है तो कभी कचरा जमा रहता है। बारिश के दिनों में लबालब नाला बैकफ्लो करता है, तब गंदगी भी कमरे-आंगन तक पहुंच जाती है।
बदबूदार पानी की सप्लाई
शिवनगर के बाशिंदों को अक्सर प्रदूषित जलापूर्ति से भी परेशानी होती है। पूर्व प्राध्यापक कमलाकांत पांडेय, सूरजचंद जैसे कुछ घरों में सबमर्सिबल लगे हैं। उनसे ही आसपास के लोग पीने का पानी ले जाते हैं। मिथिलेश विश्वकर्मा, अशोक कुमार ने बताया कि कई लोग रोज 20 लीटर के जार में पानी मंगवाते हैं। तब दिन की जरूरतें पूरी हो पाती हैं। सूरजचंद ने बताया कि पुरानी पेयजल लाइन में लीकेज है। बगल से ही नाला गुजरा है। इसलिए बहुत कुछ संभावना उनके क्रॉस होने की है। इसलिए हमें यह परेशानी झेलनी पड़ती है।
मच्छर केन्द्र बना नाला
पहड़िया की ओर से आने वाला विशाल नाला मच्छरों का केन्द्र बना हुआ है। कूड़ा कचरा जमा रहने से मच्छर खूब पनपते हैं। वे दिन में भी लगते हैं। शाम को उनसे बचाव के लिए धुआं करते हैं कॉलोनी के लोग लेकिन यह उपाय पूरी रात राहत नहीं दे पाता। रवीन्द्र सोनकर ने बताया कि कोरोना काल में ही इधर फागिंग हुई थी। कीटनाशकों का छिड़काव कभी नहीं होता। अरविंद राम ने कहा कि हमारे मोहल्ले जैसा गंदा इलाका शायद ही कहीं हो।
कचोटता है स्ट्रीट लाइट का अभाव
वरुणापार की ज्यादातर कॉलोनियों की तरह शिवनगर में भी स्ट्रीट लाइटों का अभाव है। कॉलोनी के मोड़ पर और अंदर मिलाकर तीन लाइटें जलती हैं। पंकज उपाध्याय ने कहा कि एक लाइट लोगों ने चंदा जुटाकर लगवाई है।
सुझाव
1. कॉलोनी की गलियों में पत्थर चौकों की री-सेटिंग सही तरीके से कराई जाए ताकि आवागमन में दिक्कत न हो।
2. सीमेंट के खंभे लगवाकर तार सही कराए जाएं ताकि खतरा टले। पुराने तारों को बदलने की भी जरूरत है।
3. प्रदूषित जलापूर्ति की समस्या का समाधान कराया जाए। पुराने पाइप की चेकिंग कराई जाए ताकि समस्या की वजह सामने आए।
4. कॉलोनी में नियमित सफाई के साथ दो डस्टबिन के भी प्रबंध हों। कूड़ा उठवाने की भी व्यवस्था की जाए।
5. छोटी पचकोशी रोड कही जाने वाली सड़क का नए सिरे से निर्माण हो। स्ट्रीट लाइटें लगवाई जाएं।
शिकायतें
1. पत्थर के ऊबड़-खाबड़ चौकों पर आवागमन के दौरान कई लोग घायल हो चुके हैं। यह समस्या कई महीने से बनी हुई है।
2. बल्लियों के सहारे दौड़ाए गए बिजली के तार हर वक्त खतरा बने रहते हैं। वे बहुत लटके हुए भी हैं।
3. पिछले कई माह से गंदा और बदबूदार पानी की सप्लाई हो रही है। पुरानी पाइप लाइन में लीकेज के चलते यह समस्या है।
4. सफाईकर्मी कॉलोनी के मोड़ और कभी कुछ घरों के सामने तक झाड़ू लगाते हैं। बाकी कॉलोनी को छोड़ देते हैं।
5. कॉलोनी की सबसे महत्वपूर्ण रोड 20 साल पहले बनी। अब चलने लायक नहीं है। उस पर जलजमाव भी होता है।
किसे सुनाएं दर्द
समझ में नहीं आ रहा कि कॉलोनी के एक तिहाई हिस्से में ही विकास क्यों हुआ है?
-पंकज उपाध्याय
छोटी पचकोशी रोड का नए सिरे से निर्माण कराना जरूरी है। मच्छर भी बहुत लगते हैं।
-कमलाकांत पांडेय
नगर निगम की जनसुनवाई में अफसर सिर्फ औपचारिकता निभा रहे हैं वरना हमारी दिक्कतें दूर होतीं।
-रवीन्द्र सोनकर
गली में दौड़े बिजली के तारों से हर वक्त हादसे का खतरा रहता है। इससे निजात दिलाइए।
-सूरजचंद
गली से आते-जाते हम ही नहीं, कई लोग गिर चुके हैं। मुझे तो अब भी दूर तक चला नहीं जाता।
-चंपा देवी
पत्थरों को सही ढंग से बिछवाया जाए। हम दो माह से कमर में लगी चोट की दवा करा रहे हैं।
-रमेश कन्नौजिया
गंदा पानी आता है नल से। पड़ोसी के घर से पानी न मिले तो हम प्यासे रह जाएं।
-संत लाल
गली-तार की समस्या पार्षद को भी बताई गई लेकिन उनका रूख सही नहीं रहा।
-मुन्ना लाल
अक्सर लोग हमारे हालात देखने-सुनने आते हैं लेकिन समाधान कुछ नहीं होता।
-गुंजा देवी
ये तार सही करवा दें, हमारी सब दिक्कत दूर हो जाएगी। हर वक्त डर लगा रहता है।
-राजेश्वरी
सफाई कर्मियों का व्यवहार बहुत खराब रहता है। वे हमारी ओर कभी नहीं आते।
-मिथिलेश विश्वकर्मा
मच्छरों से राहत दिलाने का उपाय हो। ये दिन में भी काटते हैं। वे बीमार बना रहे हैं।
-चंद्रकुमार
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