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बोले काशी : अवैध पार्किंग और अराजकता की शिकार पॉश कॉलोनी राजेन्द्र विहार

Varanasi News - वाराणसी के राजेन्द्र विहार कॉलोनी में नागरिकों ने समस्याओं के समाधान की मांग की है। अवैध पार्किंग, बंदरों का आतंक, साफ-सफाई की कमी और अराजक तत्वों की आवाजाही जैसे मुद्दे यहां के निवासियों को परेशान कर...

Newswrap हिन्दुस्तान, वाराणसीTue, 24 Dec 2024 06:48 PM
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वाराणसी। शहर में हालिया वर्षों के दौरान कई पॉश कॉलोनियां विकसित हुई हैं जहां डॉक्टर, प्राध्यापक, उद्यमी-व्यापारी, न्यायिक एवं प्रशासनिक अधिकारी आदि बसे हैं। उन कॉलोनियों के नाम कौंधते ही एकबारगी लगता है कि वहां कौन समस्या होगी? होगी भी तो लंबे समय तक नहीं रहेगी क्योंकि वहां प्रभावशाली रहते हैं। लेकिन, सभी कॉलोनियों में अनुकूल माहौल नहीं दिखता। वहां के नागरिक मुखर भले न हों मगर परेशान जरूर रहते हैं। उन कॉलोनियों में है सुंदरपुर का राजेन्द्र विहार। यहां के उद्यमी-व्यापारी और डॉक्टर समस्याओं का इलाज ढूंढ़ रहे हैं। तीन दशकों के दौरान बनारस का बरेका और बीएचयू के बीच तेजी से विकास हुआ। कई बड़ी-छोटी कॉलोनियां बनीं। विशाल आबादी विशाल शहर से जुड़ी। इससे उस इलाके में बिजनेस भी कई रूपों में फलता-फूलता गया। कुल मिलाकर नियोजित विकास का लघु स्वरूप दिखता है लेकिन शहरी विकास से जुड़े विभागों की कार्यशैली से समस्याओं ने भी जड़ें जमाई हैं। कहीं गंभीर हैं तो कहीं लोगबाग उन्हें नजरंदाज करते हैं। यह सोचकर कि कौन चक्कर लगाने जाए क्योंकि सिवाय आश्वासन के कुछ मिलेगा नहीं। और, संबंधित विभागों के कर्मचारी या अधिकारी उधर झांकने नहीं जाते। 13 लेन वाली राजेन्द्र विहार कॉलोनी के लोगों ने ‘हिन्दुस्तान से चर्चा के दौरान अपनी समस्याएं साझा कीं। कॉलोनी के एंट्री प्वाइंट पर निवास करने वाले उद्यमी देव भट्टाचार्य की टिप्पणी गौरतलब है- ‘सुशासन सिर्फ कागज पर है। धरातल पर लोगों का असंतोष बढ़ रहा है। कॉलोनीवासियों के अनुसार समस्याओं का समाधान संतोषजनक है या नहीं, इसका फॉलोअप न होना सबसे बड़ी ‘समस्या है। पता नहीं, सरकार और शासन के प्रतिनिधियों को इस बात का एहसास है या नहीं।

अवैध पार्किग बनीं कॉलोनी की सड़कें

बरेका से बीएचयू के आगे सामनेघाट तक निजी अस्पतालों का जाल है। राहुल कुमार, राजा सिंह, आनंदप्रकाश सिंह ने बताया कि एंबुलेंस चालक रोज रात को राजेन्द्र विहार कॉलोनी की सड़कों पर ही अपने वाहन खड़े कर देते हैं। उनके अलावा छोटे मॉलवाहक भी खड़े होते हैं। स्थानीय निवासियों को इमरजेंसी में अपने वाहनों से आवागमन में भारी मुश्किल होती है। पिछले कई माह से यह समस्या बनी हुई है। चूंकि रात में कॉलोनी का गेट बंद नहीं होता, इसलिए भी बाहरी वाहन बेरोकटोक आते जाते हैं।

अराजक तत्वों का सेफ जोन

बीएचयू में रेडियोलॉजिस्ट विभाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. आरसी शुक्ला, प्रो. नीलिमा सिंह, रितुपर्णा के साथ ही सुरेश पांडेय, राजाराम सिंह ने कॉलोनी में अराजक तत्वों की आवाजाही की ओर ध्यान दिलाया। प्राय: हर रोज अंधेरा घना होते ही न जाने कहां-कहां से बाइक सवार कॉलोनी में बीयर-शराब पीने चले आते हैं। चूंकि कई लेन में स्ट्रीट लाइटें नहीं है, इसलिए वे निश्चिंत रहते हैं। कॉलोनी की सड़कें उनके लिए सेफ जोन बन गई हैं। उनकी गतिविधियां देख कॉलोनी के लोग देर शाम बाहर निकलने से कतराने लगे हैं।

कॉलोनी में कोई पार्क नहीं

राजेन्द्र विहार शहर की उन कॉलोनियों में शुमार है जहां एक भी पार्क नहीं है। 15 साल पहले कॉलोनाइजर ने वहां भी प्लाटिंग करा दी। सुखराम पटेल, मोहन प्रकाश, चंद्रकुमार वर्मा ने बताया कि वीडीए ने पार्क के लिए कॉलोनाइजर को कभी कटघरे में नहीं खड़ा किया। कॉलोनी के वरिष्ठ नागरिकों को टहलने-बैठने के लिए कोई मुफीद जगह नहीं है तो बच्चे खेलकूद से वंचित हैं। उन्हें बरेका या बीएचयू के मैदान में जाना पड़ता है। दोनों की मैदान राजेन्द्र विहार से दूर हैं, इसलिए अभिभावक अपने बच्चों को वहां जाने की खुली छूट नहीं देते।

अधूरी इंटरलॉकिंग, मलबा नहीं उठाया

प्रो. नीलिमा सिंह और देव भट्टाचार्य ने बताया कि कॉलोनी में कुछ दिन पहले इंटरलॉकिंग शुरू हुई लेकिन वह अधूरी ही छोड़ दी गई। उसके लिए खोदी गई मिट्टी और मलबा सड़क किनारे ही छोड़ दिया गया है। मिट्टी धूल बनकर लोगों के आलीशान घरों में पहुंच रही है। प्रो. नीलिमा ने कहा कि यह मिट्टी बारिश के दिनों में भारी परेशानी का सबब बनेगी।

यहां भी तारों का जाल

राजेन्द्र विहार कॉलोनी में भी बिजली के तारों का जाल फैला हुआ है। बेतरतीब तार अक्सर शार्ट सर्किट की वजह बनते हैं। बंदरों के उपद्रव के चलते भी टूटकर गिरते हैं। डॉ. एएन सिंह, रोहित रघुनाथ ने बताया कि इस बाबत विभाग में शिकायतें की गई हैं, कई बार इलाकाई जेई को बताया गया लेकिन समस्या दूर नहीं हुई है। कॉलोनी के लोगों की एक शिकायत यह भी है कि बिजली के कनेक्शन चैंबर खतरनाक ढंग से बनाए गए हैं। उससे हर समय दुर्घटना का डर बना रहता है।

रोज नहीं उठता कूड़ा-कचरा

राजेन्द्र विहार की शशि सिंह, पुष्पा सिंह, नीलिमा और रीना यादव ने कॉलोनी में नियमित सफाई न होने और कूड़ा न उठने की शिकायत की। बोलीं, कई बार प्राइवेट सफाईकर्मी से अपनी-अपनी लेन साफ करानी पड़ती है क्योंकि छुट्टा पशुओें के चलते कूड़ा बिखरता रहता है। इन गृहिणियों को नगर निगम को टैक्स देने के बाद भी सफाई का खुद इंतजाम करना बहुत अखरता है। कॉलोनी में छुट्टा पशुओं का निर्द्वंद्व विचरण भी लोगों की चिंता का एक प्रमुख बिंदु है। नीलिमा ने कहा कि वे गंदगी फैलाने के साथ पैदल चलने वालों पर आक्रमण भी कर बैठते हैं।

बंदर, भगवान बचाए इनसे

राजेन्द्र विहार कॉलोनी के पेड़ों पर बंदरों ने डेरा डाल रखा है। कॉलोनी के 350 घरों के निवासियों में उन्होंने दहशत फैला रखी है। ‘सावधानी हटी-दुर्घटना घटी की तर्ज पर जिसकी नजरें चूकीं, वह बंदरों का शिकार बना। अक्सर किसी न किसी के घायल होने की सूचना मिलती रहती है। पुष्पा सिंह, रितुपर्णा आदि ने कहा कि भगवान बचाए इन बंदरों से। निश्चिंत होकर निकलना-चलना मुश्किल हो गया है। इन बंदरों का जमावड़ा खत्म करने के लिए प्रो. नीलिमा सिंह ने कहा कि पेड़ों की डालियों की विधिवत छंटाई होनी चाहिए। वन विभाग की मदद से नगर निगम इतना तो कर ही सकता है।

नागरिक समन्वय समितियां बनें

प्रो. आरसी शुक्ला, उद्यमी देव भट्टाचार्य, डॉ. एएन सिंह, राहुल कुमार, आदित्य भट्टाचार्य आदि ने कहा कि राजेन्द्र विहार समेत शहरी सीमा की कॉलोनियों की समस्याओं के निदान के लिए नागरिक समन्वय समितियां प्रभावी भूमिका निभा सकती हैं। उन समितियों में कॉलोनियों के नागरिकों के अलावा क्षेत्रीय पार्षद, सफाई एवं स्वास्थ्य निरीक्षक सदस्य बनाए जाएं। इन समितियों के माध्यम से नगर निगम तक पहुंचने वाली समस्याओं का जल्द निस्तारण होगा। नगर आयुक्त को इस सुझाव पर ध्यान देना चाहिए।

सुझाव

1. कॉलोनी में एंबुलेंस आदि वाहनों की अवैध पार्किंग पर तत्काल रोक लगाई जाए। न मानने वालों के खिलाफ पुलिस प्रभावी कार्यवाही करे।

2. कॉलोनी में बंदरों और छुट्टा पशुओं की धरपकड़ के लिए नगर निगम प्रभावी अभियान चलाए। बंदरों को दूर छोड़ा जाए ताकि वे लौटकर न आ सकें।

3. कॉलोनी में पुलिस की नियमित गश्त हो ताकि अराजक तत्वों की आवाजाही एवं उनकी गतिविधियां बंद हों।

4. सफाई एवं कूड़ा उठान पर नगर निगम विशेष ध्यान दे। सफाईकर्मियों की संख्या बढ़ाई जाए।

5. अधूरी इंटरलॉकिंग के बाद पड़ा मलबा निस्तारित हो। बिजली के तारों के जाल से कॉलोनी को मुक्ति दिलाई जाए।

शिकायतें

1. एंबुलेंस आदि वाहनों की अवैध पार्किंग से कॉलोनी के लोगों को वाहन से आवागमन में परेशानी होती है।

2. कॉलोनी में बंदरों और छुट्टा पशुओं के चलते लोग सहज ढंग से कॉलोनी में भी नहीं निकल पाते। यह गंभीर समस्या है।

3. अराजक तत्वों की रोज शाम से रात तक आवाजाही और आपत्तिजनक गतिविधियां कॉलोनी का माहौल खराब कर रही हैं।

4. पूरी कॉलोनी में सफाई व्यवस्था बहुत लचर है। रोज न झाड़ू लगती है और न ही कूड़ा-कचरा उठाया जाता है। कई स्ट्रीट लाइटें भी खराब पड़ी हैं।

5. बिजली के बेतरतीब तारों में शार्ट सर्किट से अक्सर बिजली आपूर्ति प्रभावित होती है। वे टूटते भी रहते हैं।

जिम्मेदार सुनें मेरी बात

कॉलोनियों की समस्याएं दूर करने के लिए नागरिक समितियों का गठन उपयोगी कदम होगा।

-देव भट्टाचार्य

एंबुलेंस आदि वाहनों की कॉलोनी में पार्किंग बंद होनी चाहिए। इससे बहुत दिक्कत होती है।

-डॉ. आरसी शुक्ला

कॉलोनी के लोगों को भयमुक्त वातावरण का एहसास कराना प्रशासन की जिम्मेदारी है।

-प्रो. नीलिमा सिंह

कॉलोनी में नगर निगम के अधिकारियों को समय-समय पर निरीक्षण, संवाद करना चाहिए।

-डॉ. एएन सिंह

जलनिकासी का समुचित प्रबंध न होना कॉलोनी की सबसे गंभीर समस्या है।

-राजा सिंह

स्वच्छ काशी-सुंदर काशी का सिर्फ नारा न लगे, उसके लिए ठोस काम भी होना चाहिए।

-रितुपर्णा

उपद्रवी बंदरों से नगर निगम राहत दिला दे, मान लेंगे सभी दिक्कतें दूर हो गईं हमारी।

-नीलिमा

नियमित सफाई और कूड़ा उठाने का प्रभावी इंतजाम हो। जवाबदेही भी तय हो।

-पुष्पा सिंह

कॉलोनी के पेड़ों की विधिवत छंटाई होनी चाहिए। इससे बंदर भी कम हो सकते हैं।

-राहुल कुमार

पुलिस रोज 10 मिनट के लिए भी घूम ले तो कॉलोनी का वातावरण बदल जाएगा।

-सुरेश पांडेय

नियमित झाड़ू नहीं लगती यहां तो किस बात की पॉश कॉलोनी? खुद करानी पड़ती है सफाई।

-रीना यादव

बिजली के बेतरतीब तार सही किए जाएं। कॉलोनी में पड़ा मलबा हटवाया जाए।

-आनंदप्रकाश

कॉलोनी में पार्क न होने से बुजुर्गों और बच्चों को काफी दिक्कत होती है।

-शशि सिंह

बाहरी लोगों का जमावड़ा रोकने के लिए पुलिस प्रभावी कार्रवाई करे। बहुत जरूरी है।

-मोहन प्रकाश

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