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बोले काशी : न्यू जनकपुर कॉलोनी (रामनगर): नगरपालिका जैसी सुविधाएं भी नहीं दे रहा निगम

Varanasi News - वाराणसी के न्यू जनकपुरी कॉलोनी के निवासी बुनियादी सुविधाओं के अभाव से जूझ रहे हैं। तीन वर्षों में नगर निगम से कोई सुधार नहीं हुआ है। लोग सीवर, बिजली और सफाई की समस्याओं से परेशान हैं। कॉलोनी में पार्क...

Newswrap हिन्दुस्तान, वाराणसीSat, 4 Jan 2025 06:41 PM
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वाराणसी। बनारस में गंगा किनारे बसने की इच्छा लिये बड़ी संख्या में गैर प्रांतों के लोगों ने रामनगर क्षेत्र में भी अपने घर-मकान बनाए हैं। गुजरे चार दशकों के दौरान अनेक कॉलोनियां आबाद हुई हैं। उन कॉलोनियों में बहुतेरी तत्कालीन नगरपालिका का हिस्सा रहीं। पालिका ने वहां कम से कम सीवर-सफाई की व्यवस्था की थी। लगभग तीन साल पहले उम्मीद जगी कि नगर निगम बुनियादी सुविधाएं बढ़ाएगा लेकिन विडंबना यह कि अब पालिका जैसी सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं। न्यू जनकपुरी कॉलोनी भी उसी कड़वे अनुभव से दो-चार है। नगर निगम का हिस्सा बनने के बाद रामनगर का तत्कालीन नगरपालिका क्षेत्र चार वार्डों (रामनगर, रामपुर मछरहट्टा, गोलाघाट और सूजाबाद) में विभक्त हो गया है। बड़ा एवं विकासशील इलाका होने के कारण नगर निगम ने उन चार वार्डों का जोन बना दिया। नगरपालिका के पुराने भवन में जोनल कार्यालय खुल गया। वहां भी जोनल अधिकारी बैठते हैं। इस व्यवस्था के अलावा रामनगर जोन में संसाधन नहीं बढ़ाए गए। इसके दुष्परिणाम बुनियादी सुविधाओं से जुड़ी शिकायतों के रूप में आ रहे हैं। ‘हिन्दुस्तान से चर्चा के दौरान न्यू जनकपुर कॉलोनी के लोगों ने अपने दर्द बयां किए। रामनगर वार्ड की यह कॉलोनी 30 साल पहले बसनी शुरू हुई थी। यहां 500 से ज्यादा मकान यहां बने हैं। अभी 40-50 प्लाट खाली हैं। कॉलोनी की आबादी 20 हजार से अधिक है। कॉलोनी के लोगों की सबसे बड़ी पीड़ा यह है कि बीते लगभग तीन वर्षों के दौरान यहां महापौर, नगर आयुक्त या अन्य कोई अधिकारी समस्याएं जानने-देखने आए। रामनगर व्यापार मंडल की तरह इस कॉलोनी के भी लोगों ने कहा कि जोनल अधिकारी तो दफ्तर से रामनगर चौक तक भी शायद कभी टहलते हुए पहुंचे हों। धनंजय सिंह, कुबेरनाथ पाठक ने कहा कि जब अफसरों का रवैया उपेक्षा से भरा हो तब समस्याएं सिर उठाएंगी ही। फिर सफाईकर्मी महीने में एक-दो बार ही दिखेंगे। शिकायतें जलकल और बिजली विभाग के भी अधिकारियों से है।

कई जगह पोल नहीं, हैं भी तो तार गायब

धनंजय सिंह, कुबेरनाथ पाठक, दीपक शर्मा, लल्लन पाण्डेय ने बिजली विभाग की लापरवाही की ओर ध्यान खींचा। बताया कि कॉलोनी में कई जगह पोल नहीं लगाए गए हैं। जहां पोल हैं भी, वहां तार नहीं हैं। तार झूलते रहते हैं। उनसे कभी भी दुर्घटना हो सकती है। कॉलोनीवासियों ने कई बार बिजली अधिकारियों से शिकायतें की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

दो-तिहाई घरों में सीवर कनेक्शन नहीं

कॉलोनी के आशुतोष सिन्हा, दिवाकर पाण्डेय, जयकुमार सिंह, तनिष पाण्डेय, गोवर्द्धन नाइक ने बताया कि दस साल पहले नगरपालिका प्रशासन ने सीवर लाइन बिछवाई थी लेकिन 75 प्रतिशत मकानों में कनेक्शन नहीं दिया गया। जिन घरों में कनेक्शन है, वहां भी सीवर लाइन ध्वस्त होने के कारण समस्या बनी रहती है।

तब घर-घर होता था कूड़ा उठान

यश नाइक, राज पाण्डेय ने कहा कि नगर पालिका के कार्यकाल में बेहतर स्थिति थी। तब घर-घर कूड़ा उठान होता था। उन्हें उम्मीद थी कि नगर निगम का हिस्सा बनने के बाद सफाई व्यवस्था बेहतर होगी लेकिन अब तक उम्मीद पूरा होने का इंतजार हो रहा है। बल्कि व्यवस्था बदतर होती जा रही है।

महीने में एक बार लगती है झाड़ू

कॉलोनी के लोगों ने गंदगी की ओर ध्यान दिलाया। जहां-तहां बिखरा कूड़ा-कचरा और उनसे फैलती दुर्गंध। छुट्टा पशुओं के चलते कचरा फैलता रहता है। बारिश के दिनों में सड़ांध से रहना मुश्किल हो जाता है। बाशिंदों ने बताया कि महीने में एक बार ही झाड़ू लगती है। एक-दो बार सफाईकर्मी आते हैं। लचर सफाई व्यवस्था की जोनल कार्यालय से लेकर हर जिम्मेदार से शिकायत की गई है लेकिन नतीजा अब तक शून्य रहा है। लोगों को मलाल है कि नगर निगम का हिस्सा बने तीन साल होने जा रहे हैं लेकिन अब तक मुकम्मल सफाई की व्यवस्था नहीं हो सकी है।

स्मार्ट मीटरों ने दिक्कतें बढ़ाईं

कॉलोनी के आनंद कुमार मिश्रा ने बताया कि स्मार्ट मीटर लगने के बाद से बिजली के बिल गलत आ रहे हैं। 26 सितंबर 2024 को 2600 रुपये जमा किए थे लेकिन अभी पिछले तीन माह का बिल 24000 रुपये का तीन माह का बिल भेज दिया गया है। इतनी राशि कैसे बढ़ गई, समझ में नहीं आ रहा है जबकि बिजली का एक भी नया उपकरण घर में नहीं लगा है। विभागीय अधिकारी अधिक बिल आने की शिकायतें अनसुनी कर रहे हैं। वे अधिक बिल के ही भुगतान का दबाव बना रहे हैं। रामानंद राय ने बताया कि स्मार्ट मीटर लगने के बाद से काफी ज्यादा बिजली बिल आ रहा है। सबसे बड़ी बात है कि बिजली विभाग मोबाइल पर हर महीने बिल राशि का मैसेज भी नहीं भेजता है। बिजली कार्यालय जाने पर भारी भरकम बिल पकड़ा दिया जाता है।

बच्चे कहां खेलें, बड़े कहां टहलें

स्थानीय लोगों ने बताया कि कॉलोनी में एक भी पार्क नहीं है। इस कारण बच्चों, युवाओं के लिए खेलने का स्थान नहीं है। बच्चे आउटडोर खेलों से वंचित रह जाते हैं। महिलाओं, बुजुर्गों के टहलने का कोई स्थान नहीं है।

सीवर लाइन के पहले इंटरलॉकिंग

नगर निगम की विचित्र कार्यशैली देखनी हो तो न्यू जनकनगर कॉलोनी उसका अच्छा उदाहरण है। इस कॉलोनी की गलियों में सीवर लाइन बिछाए बगैर इंटरलॉकिंग टाइल्स लगा दी गई है। इससे सीवर ओवरफ्लो की समस्या गंभीर हो गई है। कई घरों में सीवेज घुसने से लोग काफी परेशान होते हैं।

लीलास्थल के पास अंधेरा

इस कॉलोनी में कुछ स्थानों पर रामनगर की प्रख्यात रामलीला के प्रसंग होते हैं। अहिल्याकरण लीलास्थल के पास एक पोल पर चार स्ट्रीट लाइटें लगी हैं। उनमें तीन खराब हैं दो वर्षों से। इस क्षेत्र में अंधेरा पसरा रहता है। अपराध की घटनाओं को बढ़ावा मिलता है। कॉलोनी के जयकुमार सिंह और अजय पांडेय ने बताया कि छोटी समस्याओं के भी समाधान के लिए हमें महीनों इंतजार करना पड़ता है। कॉलोनीवासियों का कहना है कि रामलीला स्थल के मैदानों के सौंदर्यीकरण से कॉलोनी की भी खूबसूरती बढ़ेगी। अभी लीलास्थलों पर गंदगी पसरी रहती है। रामलीला के दौरान ही सफाई होती है।

समस्याएं

1. कॉलोनी में सीवर ओवरफ्लो सबसे बड़ी समस्या है। नगर निगम ने अब तक कोई योजना नहीं बनाई है।

2. कई जगह बिजली विभाग ने पोल लगाए लेकिन तार नहीं लगे। बिजली के झूलते तार खतरा बने हुए हैं। कई जगह पोल भी नहीं हैं।

3. दस साल पहले बिछी सीवर लाइन क्षतिग्रस्त हो गई है। ज्यादातर घरों से कनेक्शन भी नहीं हुआ है।

4. एक महीने में एक या दो बार झाड़ू लगाई जाती है। इससे कॉलोनी में गंदगी फैली रहती है।

5. कई जगह स्ट्रीट लाइटें खराब हैं। कॉलोनी में पार्क नहीं है। सड़क खस्ताहाल है। 80 फीसदी गलियों के पत्थर उखड़े हुए हैं।

सुझाव

1. सीवर लाइन का प्रोजेक्ट बनाकर नगर निगम को कार्य शुरू कराना चाहिए। सबसे गंभीर समस्या का समाधान जरूरी है।

2. कॉलोनी में सभी जगहों पर बिजली विभाग पोल लगवाए और खाली पोलों पर तार लगवाए जाएं।

3. नई सीवर लाइन बिछाई जाने तक पुरानी लाइन की मरम्मत हो ताकि सीवर ओवरफ्लो से निजात मिले।

4. नगर निगम को कॉलोनी में नियमित रूप से सफाई और कूड़ा उठान सुनिश्चित करना चाहिए।

5. खराब स्ट्रीट लाइटों, गली-सड़क की मरम्मत कराई जाए। कॉलोनी में पार्क होना बहुत जरूरी है।

यह दर्द गहरा है

नगरपालिका के दिनों में घर-घर कूड़ा उठान होता था। 75 प्रतिशत घरों में सीवर कनेक्शन नहीं है।

-दिवाकर दुबे

कॉलोनी में एक माह में एक बार झाड़ू लगती है। सफाई व्यवस्था अच्छी नहीं है।

-अजय पाण्डेय

स्मार्ट मीटर का बिल ज्यादा आता है। बिजली विभाग में इसकी सुनवाई नहीं हो रही है।

-रामानंद राय

कॉलोनी में सबसे गंभीर समस्या सीवर की है। नगर निगम को नई लाइन बिछानी चाहिए।

-धनंजय सिंह

कॉलोनी में अक्सर बिजली के तार टूटते रहते हैं। नए तार नहीं लगाए जा रहे हैं।

-यश नाइक

ज्यादातर गलियां खस्ताहाल हैं। वर्षों पहले लगे पत्थरों का रखरखाव नहीं हो रहा है।

-आनंद मिश्रा

पोल पर मानक के अनुसार बिजली के तार नहीं लगे हैं। वे लटकते रहते हैं।

-जय कुमार सिंह

नगर निगम या अन्य किसी विभाग के अफसर समस्याएं जानने नहीं आते हैं।

-रजत त्रिपाठी

बरसात में दूषित पेयजल की गंभीर समस्या रहती है। बीमारियों को मौका मिल जाता है।

-कुबेरनाथ पाठक

कॉलोनी में पार्क नहीं है। इससे बच्चों-युवाओं और बुजुर्गों-महिलाओं को दिक्कत होती है।

-दीपक शर्मा

खराब स्ट्रीट लाइटों की जल्द मरम्मत नहीं होती है। हम केवल शिकायतें करते रहते हैं।

-अभिषेक उपाध्याय

गली में सीवर लाइन डाले बिना इंटरलॉकिंग हो गई थी। इससे सीवर समस्या गंभीर हो गई है।

-आशुतोष सिन्हा

बोले जिम्मेदार-1

समस्याओं के समाधान का प्रयास जारी

सभी निर्माण विधायक निधि और महापौर के जरिए कराए जा रहे हैं। निर्माण कार्य की शिकायतें विधायक ही दूर कर सकते हैं। नगर निगम में समय-समय पर शिकायतें की जाती हैं। उनके समाधान का प्रयास रहता है।

रामकुमार यादव, पार्षद

बोले जिम्मेदार-2

....नगर आयुक्त या दूसरे अधिकारी का वर्जन दिया जाएगा

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