बोले काशी : गणपति नगर (सामने घाट):सड़क ही नहीं बनी तो कॉलोनी में विकास कैसे पहुंचे
Varanasi News - वाराणसी के गणपति नगर कॉलोनी के निवासी सड़क, सीवर, सफाई और स्ट्रीट लाइट जैसी बुनियादी सुविधाओं के अभाव से परेशान हैं। नगर निगम में शामिल होने के तीन साल बाद भी विकास की कोई ठोस योजना नहीं है। स्थानीय...
वाराणसी। बनारस शहर का चार दशक पहले विस्तार शुरू हुआ तो कॉलोनियों की बाढ़ आ गई। कुछ कॉलोनाइजरों ने सड़क-सीवर की व्यवस्था करवा दी जबकि अनेक कॉलोनियों में मनमानी की। वहां के नागरिक सड़क-सीवर से वंचित हैं। वीडीए भी आंखें मूंदे रहा। तीन वर्ष पहले नगर निगम सीमा में शामिल हुईं तो वहां के नागरिकों में विकास से जुड़ने की छटपटाहट शुरू हुई। मगर विकास आए भी किस रास्ते? कायदे की सड़क तक नहीं है। इस विडंबना से सामनेघाट क्षेत्र की गणपति नगर कॉलोनी भी जूझ रही है। नवशहरी क्षेत्रों का विकास बहुत गंभीर चुनौती है, यह नगर निगम सीमा में शामिल कॉलोनियों का हाल देख समझा जा सकता है। वास्तव में ये कॉलोनियां अनियोजित विकास की उदाहरण हैं जिनसे अब नगर निगम को जूझना है। सन-2000 में प्लाटिंग की शुरुआत हुई तो गणपति नगर में घर-मकान बनने लगे। 2003 से लोगों ने रहना शुरू किया। 50 से अधिक मकानों में लगभग 600 की आबादी रहती है। यह कॉलोनी छित्तूपुर से मुरारी चौक होते हुए मोहनसराय हाइवे तक जाने वाली लिंक रोड के किनारे बसी है। कॉलोनी के वासी एवं असि नदी के अस्तित्व के लिए एनजीटी तक लड़ाई लड़ रहे हाईकोर्ट के अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने बताया कि कॉलोनी के नामकरण का कॉलोनाइजर से कोई संबंध नहीं है। ‘गणपति नगर इसलिए नाम रखा गया ताकि विघ्नहर्ता की कृपा से हम सारे अवरोध पार करते जाएं। ‘हिन्दुस्तान के साथ समस्याओं पर चर्चा के लिए जुटे भीम सिंह, रामकुमार चौबे को लगता है कि हम बनारस शहर में सबसे उपेक्षित क्षेत्र के निवासी हैं, बावजूद इसके कि हम 20-21 वर्षों से मतदाता हैं, अब नगर निगम के करदाता भी बन जाएंगे। सड़क ऐसी कि कदम डगमगाएं और रात में माहौल ऐसा कि घरों से बाहर निकलने में मन घबराए।
सीवर लाइन के लिए जुटाया चंदा
अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने बताया कि कई बार कहे जाने के बाद नगर निगम ने ध्यान नहीं दिया तो कॉलोनी के लोगों ने आपस में चंदा मिलाकर सीवर लाइन बिछवाई। विनोद पांडेय, रामकुमार चौबे, सुनील पाठक ने इस प्रयास को कॉलोनी की एकजुटता करार देते हुए कहा कि किसी को सहयोग करने में संकोच नहीं हुआ क्योंकि सीवर लाइन सभी की जरूरत थी। इस प्रयास से बड़ी दिक्कत दूर हुई। बाकी जरूरतों की ओर जिम्मेदारों का ध्यान नहीं जा रहा है।
मेन रोड ही चमकती है
दीनदयाल मिश्रा, अनिकेत पटेल, गुप्तेश्वर पांडेय ने बताया कि नगर निगम में कॉलोनी को शामिल हुए तीन साल के आसपास हो रहा है। छित्तूपुर वार्ड में कॉलोनी शामिल है लेकिन यहां सफाई का कोई इंतजाम नहीं है। संयोग से कुछ खाली प्लाट हैं जिनका उपयोग कूड़ा फेंकने के लिए किया जाता है लेकिन यह भी कब तक? उन्होंने बताया कि सफाईकर्मियों का ध्यान मेनरोड को चमकाने पर रहता है। कॉलोनी में कभी नहीं आते। इस ओर पार्षद और उनके प्रतिनिधि का भी कई बार ध्यान दिलाया जा चुका है। विवेक और उदय शंकर दुबे ने कहा कि इस व्यवस्था में स्वच्छ भारत अभियान का सपना कैसे साकार होगा।
मुर्गा गली बनी कॉलोनी की पहचान
कॉलोनी के नुक्कड़ पर मीट की दुकान है। रोज शाम को यहां भारी भीड़ लगती है। दुकान की लाइसेंस नहीं है। चंद्रकांत चतुर्वेदी, उमाशंकर तिवारी, उमेश पांडेय ने बताया कि अब तो गूगल भी गणपति नगर कॉलोनी को मुर्गा गली के नाम से पहचानता है। जबकि दुकान के पास ही छठ पूजा होती है, सूर्य की मूर्ति बैठाई जाती है। दिक्कत यह कि दुकान का कचरा वहीं छोड़ दिया जाता है। उसे कुत्ते पूरी कॉलोनी में फैला देते हैं। आदर्श दुबे, प्रमोद कुमार ने कहा कि दुकानदार अपनी रोजी रोटी के लिए जो भी बेचें लेकिन कॉलोनी के मोड़ पर मीट बिक्री बंद होनी चाहिए।
अंधेरे में छिप जाती हैं गलियां
एक निजी बैंक में मैनेजर प्रदीप कुमार ने बताया कि कॉलोनी में एक स्ट्रीट लाइट नहीं है। शाम होते ही अंधेरा छा जाता है। तब गलियों में कोई निकल नहीं पाता। प्रशासन ने एक सोलर लाइट लगवाई जो कभी नहीं जलती है। खस्ताहाल सड़क पर अंधेरे में चलना किसी चुनौती से कम नहीं होता है। कई बार आग्रह के बाद भी लाइटें नहीं लगीं।
घर-घर डेंगू-मलेरिया के मरीज
गुप्तेश्वर पांडेय और रमाशंकर तिवारी ने ध्यान दिलाया कि कॉलोनी में रोज झाड़ू नहीं लगती। कूड़ा उठान नहीं होता। नगर निगम से मांग की गई लेकिन कोई कंटेनर भी नहीं रखवाया गया जहां कूड़ा फेंका जा सके। इसलिए लोग खाली प्लाटों में कूड़ा फेंक रहे हैं। बारिश के दिनों में प्लाटों में पानी भरने से भारी दुर्गंध उठने लगती है। बोले, मच्छरों के चलते आपको यहां घर-घर मलेरिया और डेंगू के मरीज मिल जाएंगे। नगर निगम फॉगिंग भी नहीं कराता है।
लिंक रोड पर अतिक्रमण से परेशानी
मनीष पांडेय, ज्ञानचंद्र वर्मा ने बताया कि कॉलोनी के सामने से गुजरी सड़क छित्तुपुर से मुरारी चौक होते हुए हाइवे तक जाने की लिंक रोड भी है। हाइवे से सामने घाट की रोड पर जाम लगता है तो लोग इसी लिंक रोड का इस्तेमाल करते हैं लेकिन तब भारी जाम लगता है। क्योंकि अतिक्रमण के चलते 40 फीट की रोड 13 फीट पर सिमट गई है। उससे कॉलोनी के लोगों को भी समस्या होती है। अतिक्रमण हट जाए तो आवागमन में सभी को सहूलियत होगी।
छुट्टा पशुओं का सताता है डर
कॉलोनी में मवेशियों का झुंड प्रतिदिन किसी ना किसी को घायल करता है। विनोद कुमार पांडेय, रामकुमार चौबे, अंकित पटेल ने बताया कि छुट्टा पशुओं को पकड़ने का अभियान हमारी कॉलोनी और आसपास कारगर नहीं है। लोग परेशान हैं। कभी लोग बचाव में भागते वक्त घायल हो जाते हैं तो कभी मवेशी उन्हें घायल कर देते हैं।
शिकायतें
1- कॉलोनी के लोग 16 वर्षों से सड़क के लिए विभागों का चक्कर लगा रहे हैं। 2020 में 30 लाख का इस्टीमेट बना। मगर काम अटका हुआ है।
2-स्ट्रीट लाइट न होने से शाम होते ही कॉलोनी में अंधेरा छा जाता है। एक सोलर लाइट लगी है जो कभी नहीं जलती।
3-सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है। सफाईकर्मी मेन सड़क पर झाड़ू लगाते हैं। कूड़ा उठान नहीं होता है।
4-मवेशियों से लोग परेशान हैं। आए दिन वे किसी न किसी को घायल कर देते हैं। बच्चों का निकलना मुश्किल हो जाता है।
5-कॉलोनी के मोड़ पर बिना लाइसेंस मीट की दुकान चल रही है। उसका कचरा वहीं फेंक दिया जाता है। कुत्ते उसे दूर तक फैला देते हैं।
सुझाव
1-कॉलोनी में मेन रोड की मरम्मत के साथ जल निकासी के लिए पाइप बिछाई जाए। इससे बहुत सहूलियत होगी।
2-स्ट्रीट लाइट की उचित व्यवस्था होनी चाहिए ताकि रात में भी लोग आसानी से आवागमन कर सकें।
3- प्रतिदिन झाड़ू लगे और कूड़े का उठान हो। इससे जगह-जगह कूड़ा जमा नहीं होगा, मच्छर भी नहीं पनपेंगे।
4-नगर निगम मवेशियों को पकड़ने का व्यापक अभियान चलाए। छुट्टा पशुओं को गोशाला में छोड़ा जाए।
5-कॉलोनी के मोड़ से मीट की दुकान हटवाई जाए। स्थानीय लोगों के साथ ही राहगीरों को भी राहत मिलेगी।
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कोट
सीवर लाइन कॉलोनी के लोगों ने मिलकर डलवाया। बाकी सुविधाओं पर भी नगर निगम का ध्यान नहीं है।
- सौरभ तिवारी
कॉलोनी में सही सड़क न होने से आवागमन में परेशानी होती है। आए दिन लोग घायल हो रहे हैं।
- भीम सिंह
कालोनी में सफाई न होने से मच्छरों का आतंक बढ़ गया है। बीमारियां भी तेजी से बढ़ रही हैं।
- विनोद पांडेय
कॉलोनी से छित्तुपुर जाने वाले रोड पर अतिक्रमण है। संकरी रोड पर पशु भी बांधे जा रहे हैं।
- सुनील पाठक
छुट्टा पशुओं से पूरी कॉलोनी त्रस्त है। वे अक्सर किसी ना किसी को घायल करते हैं।
- दीनदयाल मिश्रा
कॉलोनी के लोग मच्छरों से परेशान हैं। इधर कभी फॉगिंग या दवाओं का छिड़काव नहीं होता है।
- अनिकेत पटेल
स्ट्रीट लाइट न होने से शाम होते ही अंधेरा छा जाता है। लोगों को आवागमन में परेशानी होती है।
- उज्ज्वल तिवारी
जल निकासी और पानी की पाइप लाइन बिछना जरूरी है। गर्मी-बरसात में बहुत दिक्कतें होती हैं।
- रामकुमार चौबे
कॉलोनी की मेन रोड बनाने के लिए कई बार आग्रह किया गया है नगर निगम से।
- दुर्गेश मिश्रा
कॉलोनी की सड़कों का निर्माण हो और सीवर लाइन डाली जाए। टैक्स देने की सुविधा भी मिले।
- उदय शंकर दुबे
सभी घरों में पीएनजी की सप्लाई अभी शुरू नहीं हुई है। इस ओर गेल को ध्यान देना चाहिए।
- प्रमोद कुमार
कॉलोनी की गलियों में अतिक्रमण से लोगों को आवागमन में परेशानी होती है।
- अजय शंकर दुबे
रोज सफाई और कूड़े का उठान हो। इससे खाली प्लॉटों में कूड़ा फेंकना बंद होगा।
- विवेक
नगर निगम में शामिल होने के बाद भी हमें बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं।
- चंद्रकांत चतुर्वेदी
काशी स्वच्छ सर्वेक्षण में नंबर एक रहे बशर्ते नवशहरी कॉलोनियों में समग्र विकास हो।
-मनीष पांडेय
कॉलोनी के मोड़ पर मीट की दुकान का कई बार विरोध हुआ लेकिन हटाई नहीं गई।
-ज्ञानचंद वर्मा
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