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बोले काशी : बालाजी नगर (सामनेघाट): सीवर, शोहदों का इलाज चाहती हैं महिलाएं और युवतियां

Varanasi News - वाराणसी के बालाजी नगर के निवासियों को सीवर, पानी, और सुरक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी का सामना करना पड़ रहा है। यहां की महिलाएं छेड़खानी से परेशान हैं, और बंदरों का आतंक भी बढ़ता जा रहा है।...

Newswrap हिन्दुस्तान, वाराणसीSat, 28 Dec 2024 07:22 PM
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वाराणसी। लोगों के नाम के मुताबिक कार्य-आचरण दिखते हैं तो एक जुमला बरबस कौंधता है-‘यथा नाम, तथा गुण। विपरीत आचरण या माहौल दिखने पर यह भी टिप्पणी सुनी जाती है- ‘नाम बड़े और दर्शन छोटे। वहीं कॉलोनियों के भी नाम बहुत सोच-समझ कर रखे जाते हैं। उनमें कहीं नाम के अनुरूप माहौल होता है, कहीं एकदम उलट। नाम के उलट माहौल वाली कॉलोनियों में सामनेघाट क्षेत्र का बालाजी नगर भी है। यहां के नागरिक, महिलाएं-युवतियां सीवर समस्या और बेलगाम शोहदों से क्षुब्ध दिख रहे हैं। बीएचयू के इर्द-गिर्द शहरीकरण की बेल फैलनी शुरू हुई तो सबसे पहले बालाजी नगर कॉलोनी अस्तित्व में आई। सन-1988 में बसी इस विशाल कॉलोनी का एक्सटेंशन भी हो चुका है। दोनों को मिलाकर करीब तीन हजार मकानों में लगभग 30 हजार की आबादी रहती है। यह कॉलोनी नवशहरी भगवानपुर वार्ड का हिस्सा है। भगवानपुर ढाई वर्ष पहले तक काशी विद्यापीठ ब्लॉक का ग्राम सभा था। हालांकि बड़े-बड़े सैकड़ों मकानों के चलते भगवानपुर दो दशक से ग्राम सभा नहीं लगता था। बहरहाल, बीएचयू ट्रामा सेंटर की पूर्वी बाउंड्री जहां खत्म होती है, वहां से बालाजी नगर की सीमा शुरू होती है। कॉलोनी के लोगों ने वीडीए को विकास शुल्क के रूप में करोड़ो रुपये अदा किए हैं मगर उन्हें 34 वर्षों से सीवर तक की सुविधा मयस्सर नहीं हो सकी। कॉलोनी में अनेक ऊर्जावान लोग रहते हैं लेकिन वे सीवर जैसी बुनियादी सुविधा के लिए वीडीए या नगर निगम को मजबूर नहीं कर सके। ‘हिन्दुस्तान से चर्चा में कॉलोनी के राधेश्याम त्रिपाठी, रवि मिश्रा, देवेश सिंह ने कमोबेश एक स्वर में कहा-‘ढाई वर्षों में हम आवेदन देते आ रहे हैं। सुलझने की जगह समस्याएं बढ़ती जा रही हैं।

सबसे बड़ी जरूरत सीवर लाइन

बालाजी नगर के निवासियों की सबसे बड़ी जरूरत सीवर लाइन है। मकानों में बने सोख्ता टैंक जवाब दे रहे हैं। गंदगी सड़कों पर बजबजाने लगती है। तब पैदल चलना कठिन हो जाता है। बरसात के दिनों में समस्या बढ़ जाती है। रामेश्वर पाण्डेय, सुभाष उपाध्याय ने बताया कि नगर निगम सीमा में शामिल हुए ढाई साल से ज्यादा समय बीत चुका है लेकिन अब तक सीवर लाइन बिछाने की चर्चा भी सुनाई नहीं दे रही है। जनप्रतिनिधि भी ठोस आश्वासन नहीं दे रहे हैं। उन्होंने कहा, भगवानपुर वार्ड के मतदाता जरूर हैं लेकिन अब लगता है कि विकास कार्य भगवान के भरोसे ही होंगे। शंभु रस्तोगी, देवेश सिंह ने ध्यान दिलाया कि कॉलोनी में नगर निगम ने डस्टबिन भी नहीं रखवाई है।

दिन में ही चोरी और छेड़खानी

बालाजी नगर और बालाजी नगर एक्सटेंशन में दिनदहाड़े चोरी और छेड़खानी की घटनाएं आम हो गई हैं। महिलाओं, युवतियों का घर से निकलना मुश्किल हो गया है। कॉलोनी में शोहदे बेखौफ घूमते रहते हैं। लंका चौकी कॉलोनी से चंद कदम दूरी पर है लेकिन पुलिस कभी गश्त नहीं करती है। शोहदों की शिकायत का दो-चार दिन असर दिखता है, फिर अराजक माहौल हो जाता है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि हजारों लोगों की सुरक्षा के प्रति पुलिस गंभीर नहीं है। वह किसी बड़ी घटना का इंतजार कर रही है।

बंदरों के चलते बाहर निकलना बंद

कॉलोनी में बंदरों का बहुत आतंक है। वे आए दिन किसी न किसी को काटते हैं। उनके भय से बच्चे-महिलाएं घरों की छतों पर नहीं जातीं। बालकनी में भी निडर भाव से खड़े नहीं हो सकते। उपद्रवी बंदरों के चलते कॉलोनी में सामान्य आवागमन बाधित है। झुंड में चलने वाले बंदर राह चलते कई बार आक्रमण कर चुके है। कई लोग बहुत जरूरी होने पर ही घर से बाहर निकलते हैं।

कई दिनों पर लगती है झाड़ू

बालाजी नगर में चार से पांच दिन के अंतराल पर झाड़ू लगती है। खाली प्लॉटों में कूड़े का ढेर दिखता है। कॉलोनी में एक भी डस्टबिन नहीं है। लोग विवशता में कूड़ा-कचरा अपने घरों के बाहर ही रखते हैं। उनका रोज उठान नहीं होता। छुट्टा पशु कचरे को बिखेर देते हैं जिससे गंदगी फैली रहती है। दो दो दिन तक कूड़ा उठाने कोई नहीं आता। इससे सफाई का कोई मतलब नहीं रह जाता है।

शिलान्यास के पत्थर दूसरी गलियों में लगे

विकास कार्य के प्रति नगर निगम के अधिकारी कितने गंभीर हैं, इसका उदाहरण बालाजी नगर में 101 प्लॉट संख्या वाली गली में दिखता है। यहां विधायक सौरभ श्रीवास्तव ने त्वरित आर्थिक विकास योजना के तहत तीन साल पहले गली निर्माण और जल निकासी कार्य का लोकार्पण किया था। यह काम वीरेंद्र सिंह के आवास से सुभाष उपाध्याय के आवास तक हुआ है जबकि उनके मकान दूसरी गली में हैं। इस गली में राम आसरे दास के आवास से मदनमोहन चतुर्वेदी के आवास तक हुए मार्ग निर्माण का पत्थर दूसरी गली में लगा दिया गया। 170 मीटर गली निर्माण पर 18 लाख रुपये खर्च हुए। लोगों ने बताया कि कि जल निकासी कार्य का लोकार्पण हो गया लेकिन पानी गली में बहता रहता है।

छह साल से पानी की प्रतीक्षा

बालाजी नगर में छह साल पहले पेयजल के लिए पाइप बिछाई गई थी। लेकिन अब तक 70 फीसदी मकानों में पेयजल आपूर्ति शुरू नहीं हुई है। ग्रामीण क्षेत्र में शामिल रहने के दौरान जल निगम ने कनेक्शन दिया था। अब जलकल के अधिकारियों से संतोषजनक जवाब नहीं मिलता है।

सड़क से नीचे हो गए मकान

नगर निगम ने सड़क-गली बनवाने में मानकों का पालन नहीं किया है। कई मकान सड़क से नीचे हो गए हैं। बैक फ्लो करता हुआ सीवेज मकानों में चला जाता है। बदबू, गंदगी पसरी रहती है। बारिश के दौरान पानी भी बैक फ्लो करता है। डब्बू सिंह, रामपाल, निक्की कुमारी, बबलू सिंह, रामेश्वर पाण्डेय, सुभाष उपाध्याय ने सवाल उठाया कि आखिर इतनी लापरवाही क्यों की जा रही है? ठेका होने पर अधिकारियों को उसकी निगरानी भी करनी चाहिए।

पाइप्ड गैस का इंतजार

स्थानीय लोगों ने बताया कि गेल ने तीन साल पहले सभी मकानों से गैस कनेक्शन के लिए पैसा लिया था। तब से सभी गैस कनेक्शन का इंतजार कर रहे हैं। जबकि गेल के अधिकारियों ने एक साल के अंदर कनेक्शन कर देने का आश्वासन दिया था।

चुनाव से पहले गिराते हैं गिट्टी-बालू

कॉलोनी में विकास का एक सच यह भी है कि विभागों के ठेकेदार लोकसभा, विधानसभा या नगर निकाय चुनाव से पहले बालू-गिट्टी, ईंट-पत्थर गिराते हैं। तब लोगों को लगता है कि अब विकास कार्य गति पकड़ेगा। दिखाने के लिए काम शुरू भी किया जाता है। लेकिन मतदान के बाद ठेकेदार निर्माण सामग्री उठा ले जाते हैं। विकास वहीं रूक जाता है।

समस्याएं

1. कॉलोनी में सड़क, गली में सीवेज बहता रहता है। बारिश में घर से निकलना मुश्किल हो जाता है।

2. छह साल पहले पेयजल कनेक्शन हुए थे लेकिन ज्यादातर घरों में अभी जलापूर्ति नहीं होती है।

3. कॉलोनी में दिनदहाड़े चोरी और छेड़छाड़ की घटनाएं होती हैं। इससे लोगों में भय रहता है। 4. बंदरों का आतंक है। वे आए दिन लोगों को काटते हैं। सड़क बनाने में मानक का पालन नहीं हो रहा है।

5. नियमित सफाई न होने से गंदगी पसरी रहती है। डस्टबिन नहीं रखा जाता है। सड़क, गलियां बदहाल हैं।

सुझाव

1. कॉलोनी की सीवर समस्या के समाधान के लिए जो भी करना हो, यथाशीघ्र किया जाए।

2. जिन मकानों में कनेक्शन हो चुका है, वहां जलापूर्ति सुनिश्चित हो। घर-घर जल योजना को अफसर सार्थक करें।

3. पुलिस की रोज गश्त हो। अधिकारियों को स्थानीय लोगों की समस्याएं समझनी चाहिए।

4. बंदरों को पकड़ने के लिए प्रभावी उपाय हो। एक या दो बार पहुंचकर खानापूर्ति न हो।

5. नियमित झाड़ू लगे। डस्टबिन रखवाया जाए। सड़कों के किनारे डक्ट बनाया जाए जिससे बार-बार खोदाई न करना पड़े।

हमारी आवाज सुनें

कॉलोनी में सीवर ओवरफ्लो की समस्या बहुत गंभीर हो गई है। दिनचर्या प्रभावित हो रही है।

राधेश्याम त्रिपाठी

दिनदहाड़े छिनैती, छेड़खानी के कारण कॉलोनी के लोग भयभीत रहते हैं।

डॉ. एचएन सिंह

बंदरों के आतंक से छुटकारे के लिए तुरंत उपाय हो। न जाने कितनों को काटेंगे ये बंदर?

अमरेंद्र पाण्डेय

नगर निगम नियमित सफाई कराए ताकि स्वच्छ भारत मिशन का लक्ष्य पूरा हो सके।

रवि मिश्रा

पानी की पाइप लाइन बिछा दी गई लेकिन पेयजल कब मिलेगा, यह पता नहीं है।

देवेश सिंह

सुनियोजित विकास के लिए नगर निगम के अधिकारी, जनप्रतिनिधि कॉलोनी में निरीक्षण करें।

आलोक गुप्ता

कई घरों में गैस पाइप लाइन नहीं बिछी है जबकि तीन साल पहले पैसा जमा कराया गया था।

प्रभात चतुर्वेदी

सड़क बनाने में मानक का पालन नहीं हुआ, जिससे कई मकान सड़क के नीचे हो गए हैं।

जयप्रकाश रावत

चार-चार दिन पर झाड़ू लगती है। कॉलोनी में डस्टबिन भी नहीं रखी गई है।

ऋतुराज जायसवाल

कई लेन में स्ट्रीट लाइटें नहीं हैं। जहां हैं उनमें कई खराब हैं। अपराधी सक्रिय रहते हैं।

पप्पू शुक्ला

चोरी बहुत होती है। पुलिस की गश्त बढ़े ताकि महिलाओं, बच्चियों को सुरक्षा महसूस हो।

निर्मला त्रिपाठी

हमने क्या गुनाह किया है कि विकास हमारी कॉलोनी से कोसों दूर है। जरूरी सुविधाएं तो मिलें।

रामपाल

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