बोले काशी : डाफी के अशोकपुरम में सीवर-पानी की भी सुविधा नहीं, कैसे कहें खुद को शहरी
Varanasi News - वाराणसी के अशोकपुरम कॉलोनी में निवासियों की समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। सीवर, पेयजल, और सफाई की सुविधाएं नहीं होने से लोग परेशान हैं। कॉलोनी में असामाजिक तत्वों का आतंक भी है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों...
वाराणसी। सीरगोवर्धनपुर क्षेत्र में हाल के वर्षों में अनेक कॉलोनियां बनी हैं। उनमें डाफी की अशोकपुरम कॉलोनी भी है। 1982 से इस कॉलोनी में बसावट शुरू हो गई थी। लेकिन आधे-अधूरे ढंग से यहां विकास हुआ है। करीब 400 मकानों में रहने वाली दस हजार की आबादी को शहरी हुए तीन साल होने जा रहे हैं लेकिन वे सभी खुद को शहर से अछूता मानते हैं क्योंकि शहरी कहलाने लायक सीवर-पानी की सुविधाएं भी कॉलोनी में नहीं हैं। हर अहम मौके पर जनप्रतिनिधि वादे करते रहे लेकिन पूरा एक भी नहीं हुआ। ‘हिन्दुस्तान से चर्चा के दौरान अशोकपुरम कॉलोनी डाफी के निवासियों ने अपनी तमाम समस्याएं बताईं।
इस कॉलोनी में आने के तीन रास्ते हैं। पूरब से सीर गोवर्धन होते हुए तो पश्चिम में नारायणपुर और सुसवाहीं से कॉलोनी में प्रवेश हो सकता है। वहीं दक्षिण से नैपुरा होते हुए प्रवेश होता है। ये तीनों रास्ते बदहाल हैं। स्ट्रीट लाइटें न होने से रात में वे खतरनाक भी हो जाते हैं। हां, वह माहौल असामाजिक तत्वों के लिए मुफीद रहता है। महिलाओं के साथ चेन स्नेचिंग, कॉलोनी में चोरी की कई घटनाएं हो चुकी हैं। पुलिस कॉलोनी की ओर सक्रिय नहीं रहती, इसलिए भी अपराधियों के हौसले बुलंद रहते हैं।
बिजली के झूल रहे तारों से खतरा
कॉलोनी में जगह-जगह बिजली के झूलते हुए तार कभी भी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकते हैं। कॉलोनी के डॉ. अजय कुमार, सुशील पाल ने कहा कि बिजली विभाग से कई बार इसकी शिकायत की गई और समाधान के लिए कहा गया लेकिन अधिकारियों ने ध्यान नहीं दिया।
बड़ी आबादी सीवर सुविधा से वंचित
अशोकपुरम क्षेत्र की बड़ी कॉलोनी है। बड़ी आबादी के बावजूद सीवर लाइन नहीं बिछाई गई। जिला पंचायत के अधिकारियों, सदस्यों के साथ विधायक के वादे कोरे साबित हुए। लोगों को उम्मीद थी कि नगर निगम में शामिल होने के बाद सुविधा मिलेगी लेकिन अभी सीवर लाइन प्रोजेक्ट की चर्चा भी नहीं है। इस कॉलोनी में सीवर ओवरफ्लो की समस्या बहुत गंभीर है। बारिश में यह गंभीर हो जाती है।
जल निकासी की राह नहीं
पूर्व में ग्राम प्रधान से लेकर विधायक तक ने जल निकासी के लिए पाइप बिछवाने के भी दावे किए थे लेकिन अब तक उसकी व्यवस्था नहीं हो सकी है। पहले घरों से निकलने वाले गंदे पानी की निकासी खाली प्लाटों में होती थी। अब 7- 8 वर्षों में मकान बन गए हैं। अब जल निकासी की समस्या बहुत गंभीर हो गई है।
कुत्तों और बंदरों का आतंक
कॉलोनी के रविशंकर यादव, शशि कुमार गौड़, प्रो. आरएन खरवार, शंकर यादव ने अपने अनुभव साझा किए कि बंदरों और कुत्तों के आतंक से सभी भयभीत रहते हैं। कॉलोनी में कभी भी बंदर पकड़ने या कुत्तों के बंध्याकरण के लिए टीम नहीं आती है। कुत्तों और बंदरों के काटने के कुछ केस भी हाल में हुए हैं।
पेयजल संकट से घिरे 200 मकान
कॉलोनी में करीब डेढ़ दशक पहले पेयजल पाइपलाइन बिछाई गई थी। उस समय अधिक मकान नहीं थे। हाल के वर्षों में 200 से ज्यादा मकान बन गए हैं लेकिन उन्हें कनेक्शन नहीं दिए गए हैं। इन मकानों के परिवार पेयजल संकट से जूझ रहे हैं। डॉ. सतीश वर्मा, डॉ. राजेश कुमार ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि पेयजल या सीवर लाइन से वंचित शहर की दूसरी पुरानी कालोनियों, मोहल्लों को हम देखते हैं तो लगता है कि हमारी कॉलोनी को अभी कम से कम 10 वर्ष तक उन सुविधाओं के लिए इंतजार करना होगा। संबंधित विभाग अपनी चाल से काम कर रहा है। डॉ. जितेंद्र कुमार ने कहा कि नगर निगम सीमा में शामिल होने के पांच वर्ष पूरा होने पर टैक्स वसूली भी शुरू हो जाएगी। कॉलोनी के विकास का ब्लू प्रिंट कहीं नहीं दिखता।
अधूरी सड़क, घुटने भर जलजमाव
कॉलोनी निवासी डॉ. संजीव कुमार यादव, एके गौड़ ने ध्यान दिलाया कि जब आप डाफी के रास्ते प्रवेश करेंगे तो कुछ दूरी तक एक रोड नजर आएगी। फिर उबड़-खाबड़ रास्ते पर चलना मुश्किल होगा। यदि आप बारिश के दिनों में इस कॉलोनी में आए तो घुटनों तक जलभराव के कारण एक कदम चलना मुश्किल हो जाएगा।
चंदे से बनवाई सड़क, लगवाए तार
कॉलोनी में कुछ सड़कें लोगों ने आपस में चंदा लगाकर बनवाई हैं। चंदे से ही लोगों ने कुछ जगहों के लिए बिजली के तार खरीदे और उनको पोल पर खिंचवाया है। बिजली विभाग के कर्मी केवल हर महीने समय से बिल के भुगतान का दबाव बनाते हैं। नागरिकों की अनसुनी कर देते हैं।
हफ्तों पड़ा रहता है कचरा
अशोकपुरम में सफाई व्यवस्था पटरी से उतर गई है। सफाई कर्मी अपनी मर्जी से आते हैं, अपने मन से झाड़ू लगाते हैं। कूड़ा वहीं छोड़कर चले जाते हैं। हफ्तों कूड़े का उठान नहीं होता। छुट्टा पशु कूड़े को बिखेर देते हैं जिससे फिर गंदगी हो जाती है। कूड़ा उठाने की कोई जिम्मेदारी तय नहीं की गई है।
एक साल पहले आए थे पार्षद प्रतिनिधि
कॉलोनी के लोगों ने बताया कि एक साल पहले यहां पार्षद प्रतिनिधि आए थे। उनसे शिकायत के बाद कुछ जगह स्ट्रीट लाइटें लगाई गईं, उसके बाद एक भी स्ट्रीट लाइट नहीं लगीं। पहले की लगी लाइटें खराब भी हो गई हैं।
कॉलोनी में कभी पुलिस की गश्त नहीं होती
कॉलोनी में असामाजिक तत्व घूमते रहते हैं। चैन स्नैचिंग जैसी घटनाएं हो रही हैं। लेकिन पुलिस की गश्त यहां नहीं होती है।
शिकायत
1. कॉलोनी में जगह-जगह बिजली के तार झूल रहे हैं। यदि जल्द इन तारों को कसा नहीं गया तो बड़ी दुर्घटना हो सकती है।
2. कई मकानों में पेयजल का कनेक्शन नहीं दिया गया है। इसके चलते बड़ी आबादी पीने के पानी के संकट से जूझ रही है।
3. छुट्टा पशुओं, कुत्तों और बंदरों का काफी आतंक है। घरों से निकलना मुश्किल हो गया है। बंदर झुंड में उपद्रव करते हैं।
4. कॉलोनी में सफाई कर्मियों का आने का समय तय नहीं रहता है। एक-दो डस्टबिन रखे गए हैं। इससे गंदगी बनी रहती है।
5. कॉलोनी में सीवर लाइन नहीं है। सीवर ओवरफ्लो की समस्या गंभीर बनी रहती है। बारिश में दिनचर्या प्रभावित हो जाती है।
सुझाव
1. बिजली विभाग कॉलोनी में झूलते तारों को ठीक कराए। जरूरत की जगहों पर पोल लगाए जाएं।
2. जहां पेयजल कनेक्शन नहीं है, वहां कार्ययोजना बनाकर कनेक्शन देने की प्रक्रिया शुरू की जाए।
3. कुत्तों, छुट्टा पशुओं और बंदरों को पकड़ने के लिए प्रभावी अभियान चलाने की जरूरत है।
4. कॉलोनी के लिए सफाई कर्मियों की तैनाती कराई जाए। नियमित रूप से झाड़ू लगे तथा कूड़ा उठान किया जाए।
5. सीवर पाइप के लिए कार्ययोजना बनाई जाए। सभी मकानों तक सीवर लाइन के कनेक्शन के लिए सर्वे किया जाए।
मेरा दर्द------
कॉलोनी में सफाई व्यवस्था बहुत खराब है। कूड़ा उठान नहीं होता है, जिससे गंदगी पसरी रहती है।
डॉ. सतीश वर्मा
बंदरों का झुंड धमाचौकड़ी मचाता है। लोगों का छत पर जाना, टहलना, घर के बाहर बैठना मुश्किल है।
डॉ. राजेश कुमार
कई जगह बिजली के तार झूल रहे हैं। पोल भी नहीं लगाए गए हैं जिससे कभी भी दुर्घटना हो सकती है।
डॉ. संजीव यादव
तीन दशक बाद भी कॉलोनी में सीवर लाइन नहीं है। यह बुनियादी सुविधा है जिससे हमलोग वंचित हैं।
प्रो. आरएन खरवार
कॉलोनी में सफाईकर्मियों की स्थायी तैनाती हो जो रोज सफाई करें। रोज कूड़ा उठान भी हो।
एससी राय
यहां सड़कें भी खराब हैं। बारिश के मौसम में जलभराव हो जाता है, आवाजाही कठिन हो जाती है।
एके गौर
कॉलोनी में कई जगह स्ट्रीट लाइट नहीं हैं। खराब होने पर महीनों तक मरम्मत नहीं होती है उनकी।
डॉ. अजय कुमार
कॉलोनी में चेन स्नैचिंग, चोरी की घटनाएं आम हैं। किसी समय पुलिस की गश्त नहीं होती है।
डॉ. जितेंद्र कुमार
शहर में शामिल हुए हमें तीन साल होने जा रहा है, लेकिन सुविधाओं के नाम पर अब तक कुछ नहीं है।
रविशंकर यादव
नगर निगम से कभी कोई हमारी समस्याएं जानने नहीं आता। शिकायत करने पर आश्वासन मिलता है।
प्रो. बीएन शर्मा
कई मकानों में पेयजल किल्लत से लोग परेशान हैं। नगर निगम, जल निगम को कनेक्शन देना चाहिए।
बीरम चौरसिया
स्ट्रीट लाइटें बंद रहने से कॉलोनी में अंधेरा रहता है, जिसका असामाजिक तत्व फायदा उठाते हैं।
पूनम तिवारी
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