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बोले काशी : लंका के रश्मिनगर समस्याओं के मकड़जाल में उलझ गई विकास की 'रश्मि'

Varanasi News - वाराणसी के रश्मिनगर कॉलोनी में नागरिकों को सीवर, सड़क और सफाई की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। कॉलोनी में सड़कें खस्ता हाल हैं और सफाई नहीं हो रही है। लोग नगर निगम और पीडब्ल्यूडी से निराश हैं और...

Newswrap हिन्दुस्तान, वाराणसीThu, 2 Jan 2025 07:29 PM
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वाराणसी। बीएचयू अस्पताल में मरीजों के बढ़ते दबाव का पास की कॉलोनियों में कई तरह का असर पड़ा है। कॉलोनियों के मोड़ पर या अंदर पैथॉलॉजी सेंटर, मेडिकल स्टोर, हॉस्टल और निजी अस्पताल तक खुलते गए। लोगों का आवागमन भी बढ़ता गया। इससे कॉलोनियों की बुनियादी सुविधाएं छीजती गईं, वहां के नागरिकों का सुकून गायब होता गया है। उनमें लंका चौराहे से चंद कदम पहले बसी रश्मिनगर भी है। समस्याओं के मकड़जाल में उलझी कॉलोनी में संकटमोचन दरबार में गूंजने वाली पुकार सुनाई पड़ती है-‘बेगि हरो हनुमान महाप्रभु...। शहरी जीवन में ऐसी आपाधापी हो चुकी है कि कॉलोनियों के बाशिंदों की जुबां पर रिहाइश से जुड़ी समस्याएं बरबस नहीं आतीं।

लोगबाग भागदौड़ भरी दिनचर्या में ही उलझे रहते हैं। मगर उन कॉलोनियों में जाने और वहां बात करने पर महसूस होता है कि लोगों की सहन शक्ति या तो बेहद मजबूत हो चुकी है या सीवर-सड़क और पानी से जुड़ी समस्याओं को नजरंदाज करने लगे हैं अथवा सबसे गुहार लगाते लगाते थक-हार कर समस्याओं को नियति मान चुके हैं।

ये तीनों मनोदशा सभ्य कहे जाने वाले समाज में ठीक नहीं कही जा सकतीं। वे व्यवस्था को आईना दिखाती हैं। उस आईने में जिम्मेदारों के चेहरे ‘धूल-धूसरित नजर आते हैं। रश्मिनगर कॉलोनी के नागरिक भी व्यवस्था को आईना दिखा रहे हैं। ‘हिन्दुस्तान के साथ चर्चा में उन्होंने कहा कि संकटमोचन हनुमानजी ही हमारी समस्याएं दूर करेंगे, नगर निगम-पीडब्ल्यूडी जैसे विभागों से उम्मीद खत्म हो रही है।

मेन रोड खस्ता हाल

रश्मिनगर कॉलोनी में कई रास्ते हैं। एक रास्ता संकटमोचन मंदिर की भी ओर जाता है। लंका पर जाम हो या शॉर्टकट रास्ते से मंदिर पहुंचना हो, लोगों को रश्मिनगर की सड़क मुफीद लगती है। लेकिन विडंबना यह कि कॉलोनी की मेन सड़क मुद्दत से मरम्मत का इंतजार कर रही है। उस पर जहां-तहां फैली सीवर की गंदगी उधर से गुजरने वालों का मूड खराब कर देती है। आकाश राय, विभा शुक्ला ने बताया कि यह सड़क लंका, संकटमोचन मंदिर, बीएचयू सहित कई मुख्य मार्गों से जुड़ी है। सीवर की गंदगी के बीच श्रद्धालुओं को संकटमोचन मंदिर जाना पड़ता है। इन समस्याओं के निजात के लिए नगर निगम से लगातार गुहार की जा रही है।

चंदा से 35 वर्ष पहले बिछी थी लाइन

कॉलोनी के लोगों ने अपनी ही पीड़ा नहीं बल्कि कॉलोनी से गुजरने वाले राहगीरों और श्रद्धालुओं का भी दर्द बयां किया। मूलराज शर्मा, नंद कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि सन-1975 से कॉलोनी में मकान बनना शुरू हुआ। वर्तमान में 15 लेन में फैली कॉलोनी में लगभग 200 घर हैं। वहां पांच हजार के करीब आबादी है। उन्होंने बताया कि 50 घरों के लोगों ने लगभग 35 साल पहले चंदा जुटाकर सीवर लाइन डलवाई थी। उस पुरानी सीवर लाइन पर आज दो सौ घरों का बोझ है। हिमांशु जायसवाल, देवेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि पूरी कॉलोनी में नई सीवर लाइन की जरूरत है।

स्कूल के सामने गंदगी का अंबार

कॉलोनी में मालवीय शिक्षा निकेतन स्कूल है। उसमें सैकड़ों विद्यार्थी पढ़ते हैं। स्कूल के ठीक सामने कूड़े का अंबार दिखा। प्रधानाचार्य संजय प्रियदर्शी ने बताया कि कूड़े का ढेर देख कर भला बच्चों में कैसे स्वच्छता का भाव जगेगा। उन्होंने बताया कि कई बार शिकायत के बाद भी कूड़े का उठान नहीं हो रहा है। आनंद कुमार, गौरव, बनारसी ने बताया कि कॉलोनी में कभी-कभी ही सफाई होती है। कूड़ा उठान नहीं होता है। इससे मच्छरों का प्रकोप बढ़ रहा है।

ज्यादातर स्ट्रीट लाइटें खराब

कॉलोनी की ज्यादातर स्ट्रीट लाइटें खराब हैं। देवेंद्र कुमार, नंदकिशोर श्रीवास्तव ने बताया कि शाम होते ही कॉलोनी में अंधेरा छा जाता है। तब अराजक तत्व सक्रिय हो जाते हैं। कॉलोनी में अक्सर चोरियां होती हैं। सूचना देने पर पुलिस आती है लेकिन कॉलोनी में कई रास्ते हैं। चोर किसी ना किसी रास्ते से निकल जाते हैं।

जरूरत पुलिस की नियमित गश्त की

कॉलोनी के आसापास तीन स्कूल और कॉलेज हैं। एक साथ तीनों की छुट्टी होती है। आए दिन विद्यार्थी आपस में झगड़ा करते हैं। संजय प्रियदर्शी, वीरेंद्र बरनवाल, आनंद कुमार ने बताया कि स्कूल प्रबंधन ने सीपी को पत्रक सौंप पुलिस गश्त की मांग की थी। इसके बाद कभी-कभी ही गश्त होती है। आकाश राय, रविशंकार ने कहा कि अगर नियमित गश्त तो घटनाएं कम हो जाएंगी। लोग सुकून से अपने घरों में रह सकेगें।

खुले में आइपीडीएस बॉक्स, लटक रहे तार

कॉलोनी में अंदर और उससे जुड़े रास्तों पर आइपीडीएस के कई बॉक्स खुले हुए हैं। उनके अंदर नंगे तार लटकते हैं। उनसे हमेशा हादसे की आशंका रहती है। इन रास्तों से प्रतिदिन सैकड़ों लोग आते जाते हैं। तीन स्कूल और कॉलेज के बच्चों को ज्यादा खतरा रहता है। गौरव, नितिका, अमित ने कहा कि यह समस्या जल्द दूर होनी चाहिए।

पेड़ों की छटाई नहीं होती

कॉलोनी के आनंद कुमार, वीरेंद्र बरनवाल, कमल पटेल ने बताया कि कॉलोनी में पेड़ लगे हैं। हरियाली की दृष्टि से यह अच्छी बात है लेकिन उनकी छटाई नहीं होती है। इससे घरों में सांप-बिच्छु आने का डर बना रहता है। कई बार पेड़ों के सहारे घरों में सांप पहुंच गए हैं। इससे लोग डरे रहते हैं। बनारसी, रविशंकर गुप्ता, नितिका गांधी ने ध्यान दिलाया कि कई पेड़ों की डाल एकदम नीचे लटक रही हैं। उनसे कई बार वाहन टकरा जाते हैं।

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हर शख्स परेशान

घरों में भी सीवेज जमा हो रहा है। शिकायत के बाद भी समाधान नहीं हो रहा है।बहुत परेशानी है।

- मूलराज शर्मा

स्वच्छता अभियान का सच इस कॉलोनी में देखा जा सकता है। जगह-जगह कूड़े का अंबार लगा हुआ है।

- नंद कुमार श्रीवास्तव

आइपीडीएस बॉक्स खुले हैं। जगह-जगह लटके तार दुर्घटना को दावत दे रहे हैं। कभी भी अनहोनी हो सकती है।

-देवेन्द्र सिंह

जिम्मेदार अफसरों को एक बार कॉलोनी में निरीक्षण करना चाहिए। तब लोगों की दिक्कतों का एहसास होगा।

- हिमांशु जायसवाल

घर में 15-15 दिन तक सीवर का पानी जमा रहता है। अब पानी निकालने के मशीन लगवानी पड़ी है।

- गौरव

सितंबर में सीपी से मांग की गई थी कि कॉलोनी में दो बार पुलिस गश्त हो लेकिन मांग पूरी नहीं हुई।

- संजय प्रियदर्शी

कॉलोनी की ज्यादातर स्ट्रीट लाइटें खराब हैं। इससे लोगों को आवागमन में परेशानी होती है।

-आनंद कुमार

खाली प्लॉटों में लोग कूड़ा फेंकने से मच्छरों का प्रकोप बढ़ रहा है। कूड़ा उठान नहीं होता है।

-वीरेंद्र बरनवाल

आए दिन चोरी की घटनाएं होती हैं। स्ट्रीट लाइट भी खराब है। पुलिस की गश्त जरूरी है।

- कमल पटेल

पेड़ों की छंटाई जरूरी है। कई जगह डालियां नीचे लटक रही हैं। इससे वाहन चालकों को समस्या होती है।

- महेंद्र सिन्हा

कॉलोनी की जर्जर सड़क से आवागमन मुश्किल होता है। उसकी मरम्मत होनी चाहिए।

-बनारसी

कॉलोनी में रोज झाड़ू लगे और कूड़े का उठान हो। इससे स्वच्छता अभियान को गति मिलेगी।

- आकाश कुमार

पुलिस गश्त बढ़े तो लोगों को सुरक्षा का अहसास होगा। कॉलोनी में अराजकता कम होगी।

- रविशंकर गुप्ता

सर्वे के बाद नए सिरे से सीवर लाइन डालने की जरूरत है। तभी सीवेज से लोगों को छुटकारा मिलेगा।

- निकिता गांधी

सीवेज के बीच दिनचर्या बिताना दुर्भाग्यपूर्ण है। प्रभु हनुमान के धाम के बगल की कॉलोनी का यह हाल है।

- अमित शुक्ला

स्ट्रीट लाइटों की मरम्मत कराई जाए। शाम में महिलाओं का घरों से निकलना मुश्किल रहता है।

- विभा शुक्ला

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शिकायतें

1-वर्षों पुरानी सीवर लाइन क्षतिग्रस्त हो गई है। सड़क पर सीवेज बहता है। कई घरों में भी गंदा पानी जमा हो जाता है।

2- कॉलोनी में सफाई नहीं होती है। स्कूल के सामने कूड़े का अंबार लगा है। उसकी दुर्गंध से परेशानी होती है।

3-कॉलोनी की स्ट्रीट लाइटें नियमित नहीं जलती हैं। वर्तमान में ज्यादातर लाइटें खराब है। शाम होते ही अंधेरा छा जाता है।

4-कॉलोनी की मेन रोड खस्ता हाल है जबकि यह कई कॉलोनियों की लिंक रोड भी है। लोग संकटमोचन मंदिर भी इस मार्ग से जाते हैं।

5-कॉलोनी में और पुराने संकटमोचन मार्ग पर लगे आपीडीएस बॉक्स खुले हुए हैं। उनसे नंगे तार भी लटक रहे हैं। इससे हमेशा खतरा रहता है।

सुझाव

1-सीवेज समस्या का समाधान नई सीवर लाइन ही है। तभी सड़क और घरों में गंदगी जमा होने से मुक्ति मिलेगी।

2-कॉलोनी में रोज झाडू लगे और कूड़ा उठान हो। संसाधन बढ़ाए जाएं। तभी स्वच्छता अभियान को बल मिलेगा।

3-शाम को स्ट्रीट लाइटें जलें इसे सुनिश्चित किया जाए। खराब लाइटों की समय से मरम्मत कराई जाए।

4-कॉलोनी की मेन रोड समेत सभी सड़कों की मरम्मत कराई जाए। इससे विद्यार्थियों के साथ आमजन को भी आवागमन में आसानी होगी।

5- कॉलोनी के अंदर और सड़क पर लगे बिजली के आपीडीएस बॉक्स बंद किए जाएं °ताकि नंगे तारों से कोई अनहोनी न हो।

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