बोले काशी- तब कालोनाइजर की मनमानी झेली, अब उपेक्षा का दंश भी
Varanasi News - अशर्फी नगर (ककरमत्ता) वाराणसी। नवशहरी बनी कॉलोनी में एक जनप्रतिनिधि के ‘प्रतिनिधि पहुंचे।
अशर्फी नगर (ककरमत्ता) वाराणसी। नवशहरी बनी कॉलोनी में एक जनप्रतिनिधि के ‘प्रतिनिधि पहुंचे। कॉलोनी के बाशिंदों से कहा कि आपको खुशी में ताली बजानी चाहिए क्योंकि अब आप नगर निगम का हिस्सा बन चुके हैं। तब कुछ महिलाएं बोल पड़ीं- ‘यहां सीवर-पानी, सड़क की ऐसी बदहाली है और आप कह रहे हैं ताली बजाओ! यह गप नहीं बल्कि सच्चाई है। ककरमत्ता वार्ड के अशर्फी नगर में लगभग दो वर्ष पुराने उस वाकये को दोहराने वाले नागरिक आज भी मिल जाएंगे। वे चाहते हैं कि बाकी कुछ भले न हो, सीवर लाइन जरूर बिछ जाए।
परिसीमन के बाद नगर निगम के ककरमत्ता वार्ड की सीमा बरेका के पश्चिम जलालीपट्टी तक पहुंच गई है। वहीं बसी है अशर्फी नगर कॉलोनी। इसके इर्दगिर्द विश्वकर्मा नगर, बसंत विहार कॉलोनियां हैं। घुघुलपुर नई बस्ती के सैकड़ो पक्के मकान भी शहरीकरण के बढ़ते कदम की गवाही देते हैं। एक निजी विद्यालय परिसर में जुटे लोगों ने ‘हिन्दुस्तान से अपना दर्द साझा किया। उनकी दुश्वारियों की लंबी सूची में पहले नंबर पर है सीवर समस्या। ढाई दशक पहले यह कॉलोनी बसी। यह कहना गलत नहीं होगा कि मड़ाव गांव कॉलोनी में तब्दील हो गया। तीन हजार मकानों में इस समय 15 हजार से अधिक की आबादी है। ज्यादातर मकान बरेका, पीएसी और दूसरे सरकारी विभागों से रिटायर लोगों के हैं। कौशल कुमार मौर्य, राजेश गिरि ने बताया कि उसी समय कॉलोनाइजर ने न तो सीवर लाइन बिछवाई और न ही ड्रेनेज की व्यवस्था की जिससे जलनिकासी हो सके। कॉलोनी के ले आउट में उक्त दोनों सुविधाओं का उल्लेख था लेकिन वीडीए ने उनका भौतिक सत्यापन किए बिना अप्रूवल दे दिया। 25-26 वर्षों के दौरान शायद ही कोई बरसात गुजरी हो जब लोगों को कई दिनों तक भारी जलजमाव का सामना न करना पड़ा हो। कॉलोनी में ही इलेक्ट्रानिक्स सामानों के विक्रेता चंदन गुप्ता ने बताया कि कुछ वर्ष पहले हो-हल्ला मचा तो कुछ दूर तक सीवर लाइन बिछी मगर वह भी चालू नहीं हुई।
बरेका ने नहीं दी अनुमति
शैलेन्द्र जायसवाल, विजन प्रकाश सत्यार्थी के मुताबिक बरेका का एक ड्रेनेज अशर्फी नगर के पास से गुजरा है। कुछ वर्ष पहले कॉलोनी के लोगों ने खुद नाला बनवाकर बरेका के ड्रेनेज में मिलवाने की सोची लेकिन चूंकि बरेका से अनुमति नहीं मिली, इसलिए जलनिकासी के लिए नाला भी नहीं बना। सत्यार्थी ने कहा कि उस समय के जनप्रतिनिधियों ने पहल की होती तो यह समस्या अब तक बनी न रहती। शालू सिंह ने सवाल किया कि नगर निगम न सही, कोई जनप्रतिनिधि भी क्या कॉलोनी में लगभग 900 मीटर सीवर लाइन नहीं बिछवा सकते? तब हो सकता है, राजनीतिक हानि-लाभ का समीकरण भी बदल जाए।
सड़क पर बहाते हैं पानी
राजेश गिरि, ममता वर्मा, चंदा देवी ने बताया कि ज्यादातर मकानों में सोख्ता टंकियां हैं। इसलिए गंदगी से कुछ राहत है लेकिन रोजमर्रा के इस्तेमाल में आने वाले पानी को लोग सड़क पर ही बहाते हैं। यह व्यस्त सड़क नाथूपुर क्रॉसिंग से पहाड़ी क्रॉसिंग को भी जोड़ती है। बारिश के दिनों में जलजमाव और बाकी दिनों में पानी बहाए जाने से सड़क की ऊपरी लेयर कई जगह से गायब हो चुकी है। अंजली कन्नौजिया ने कहा कि दो-तीन दिन तक जमा पानी को झाड़ू से कांछना पड़ता है ताकि आवागमन सही रहे।
पेयजल की पुरानी लाइन ध्वस्त
कौशल मौर्य, चंदन गुप्ता, शकुंतला, ख्वाहिश शेख ने बताया कि वर्षों पुरानी पानी की पाइन लाइन ध्वस्त हो चुकी है। उससे जलापूर्ति नहीं होती। ज्यादातर बड़े मकानों में सबमर्सिबल लगे हैं, बाकी घरों में भी कई उन सबमर्सिबल पर ही निर्भर रहते हैं। शकुंतला ने कहा कि दूसरों से मांग कर पानी कब तक पीएंगे-यह समझ में नहीं आता। हैंडपंप लगवाने की कई बार मांग की गई, किसी ने नहीं सुनी। इस पूरे इलाके में कोई कुआं नहीं है। इससे गर्मी के दिनों में समस्या बढ़ जाती है। तब बाजार से पीने का पानी मंगाना पड़ता है। राजेश गिरि ने कहा कि इस कॉलोनी को भी हर घर नल योजना में शामिल करना चाहिए। उससे मध्यम और निम्न आय वर्ग के लोगों को काफी राहत होगी।
रोड लाइट न स्ट्रीट लाइट
ममता वर्मा, सुनीता, चंदा देवी ने बताया कि कॉलोनी बनने के बाद यहां बिजली के खंभे लगे, तारों से आपूर्ति शुरू हुई लेकिन मेन रोड के आधे दर्जन खंभों पर लाइट कभी नहीं लगी। कॉलोनी की गलियों में स्ट्रीट लाइटें भी नहीं हैं। शाम के बाद लोगबाग टार्च लेकर घरों से बाहर निकलते हैं। कुछ घरों में सामने लगे बल्ब गलियों से गुजरने की हिम्मत देते हैं।
‘अशर्फी को एबीसी की दरकार
चंदा देवी, शैलेन्द्र जायसवाल ने कई मोड़ पर बिजली के नंगे तारों से आसन्न खतरे की ओर ध्यान दिलाया। बोले, यहां इंसुलेटेड तार (एरियल बंच कंडक्टर या एबीसी) लगवाने की बिजली विभाग से कई बार मांग की जा चुकी है। जेई को बुलाकर कई बार दिखाया भी गया है कि नंगे तार पुराने हो चुके हैं। गर्मी में तेज हीटिंग या आंधी के दौरान वे टूटकर गिरते रहते हैं। हर बार तारों को खपाची के सहारे जोड़ दिया जाता है।
कई की इच्छा ‘आयुष्मान बनने की
कौशल मौर्या, प्रियंका विश्वकर्मा, अंजलि कन्नौजिया ने गिनाया कि यहां कई परिवारों के जरूरतमंदों के आयुष्मान कार्ड नहीं बने हैं। अनेक बुजुर्ग महिला-पुरुषों को उनकी माली हालत को देखते हुए वृद्धावस्था पेंशन की दरकार है। वे ब्लॉक-तहसील और अब नगर नगर में अपनी पेंशन के लिए आवेदक बने हुए हैं। नगर निगम के अफसरों से यह भी आग्रह किया गया कि यहां एक कैंप लगवा दें ताकि कोई आयुष्मान, वृद्धा या विधवा पेंशन से वंचित न रहे लेकिन उस आग्रह को भी अनसुना कर दिया गया। शालू सिंह, चंदा देवी ने टोका कि यहां एक आयुष्मान आरोग्य मंदिर या स्वास्थ्य केन्द्र की बहुत जरूरत है। कोई बीमार हो, किसी को रैबीज इंजेक्शन लगवाना हो तो उसे पांच किमी दूर केशरीपुर स्वास्थ्य केन्द्र या 15 किमी दूर जिला या मंडलीय अस्पताल जाना पड़ता है।
मोहल्ले से हटे शराब का ठेका
अशर्फी नगर की महिलाओं ने एक स्वर से कहा कि मोहल्ले से शराब का ठेका जितना जल्द हो, हटना चाहिए। क्योंकि इससे मोहल्ले में गलत असर पड़ रहा है। दूसरे, ठेका पर जुटने वाले असामाजिक तत्वों से माहौल आए दिन खराब होता है। ममता वर्मा, शालू सिंह, ख्वाहिश सेठ, रामजी, मुन्नी गुप्ता ने यहां तक कहा कि इस बाबत दरियाफ्त करने जहां कहें, वहां हम चलने को तैयार हैं। बस ठेका हटना चाहिए।
बरेका से बढ़ा दुग्ध व्यवसाय
अशर्फी नगर, घुघुलपुर, जलालीपट्टी में कई ट्रेड की दुकानें खुली हैं मगर पशुपालन आजीविका का सबसे बड़ा माध्यम है। एक दर्जन से अधिक पशुपालक दूध के व्यवसाय से जुड़े हैं। उनके दूध की अधिक खपत बरेका की कॉलोनियों में होता है। कुछ लोग बाजार या सट्टियों में भी दूध ले जाते हैं। पता चला कि यहां दूध का व्यवसाय लगभग छह दशक पहले शुरू हुआ था जो धीरे-धीरे बढ़ता गया।
सुझाव
1. अशर्फी नगर में सीवर लाइन की व्यवस्था जल्द से जल्द हो। तीन दशक की समस्या खत्म होगी।
2. कॉलोनी में बिछी पेयजल पाइप लाइन को नये पाइप से रिप्लेस किया जाए। हर घर नल योजना लागू की जाए।
3. जल निकासी के लिए नाला बनवाया जाए। कॉलोनी की गलियों में उसकी ब्रांच लाइन भी बिछाई जाए। नियमित सफाई का इंतजाम हो।
4. कॉलोनी में बिजली के एरियर बंच कंडक्टर लगवाया जाए। इससे हादसे का खतरा दूर होगा।
5. अशर्फी नगर में एक हेल्थ सेंटर बने। आयुष्मान कार्ड, पेंशन आदि योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए कैंप लगे।
शिकायतें
1. कॉलोनी के लोग ढाई दशक से सीवर समस्या झेल रहे हैं। बरसात के दो महीने बहुत मुश्किल भरे होते हैं।
2. जल निकासी की भी व्यवस्था न होने से लोग घरों के सामने ही पानी बहाते हैं। कॉलोनी में न कभी सफाई होती है और न ही कूड़ा उठाने की व्यवस्था है।
3. पेयजल की पुरानी लाइन ध्वस्त हो चुकी है। उससे जलापूर्ति बंद है। गर्मी के दिनों में पानी का गंभीर संकट झेलना पड़ता है।
4. कॉलोनी के कई मोड़ पर बिजली के नंगे तार हमेशा खतरा बने रहते हैं। तेज हवा या अधिक गर्मी में वे टूटकर गिरते भी हैं।
5. कई परिवार आयुष्मान कार्ड, वृद्धावस्था पेंशन योजना से वंचित हैं। उन्होंने संबंधित विभागों में आवेदन भी कर रखा है।
बोले बाशिंदे
अशर्फी नगर में सीवर समस्या सबसे गंभीर है। इसके समाधान की जल्द योजना बननी चाहिए।
-कौशल कुमार मौर्य
कॉलोनी में कैंप लगाकर लोगो को आयुष्मान कार्ड आदि के लाभ के लिए पंजीकृत किया जाए।
-राजेश गिरि
जहां-तहां कूड़ा न फेका जाए, इसके लिए डस्टबिन रखवाई जाए। खाली प्लाट कब तक काम आएंगे?
-ममता वर्मा
मोहल्ले से शराब का ठेका तत्काल हटवाया जाए। इससे घर-बाहर का माहौल खराब हो रहा है।
-शालू सिंह
अशर्फी नगर या आसपास ही एक स्वास्थ्य केन्द्र बनवाया जाए। अभी इमरजेंसी में बहुत दिक्कत होती है।
-चंदा देवी
दो-चार दिन के अंतर पर ही सही, यहां झाड़ू लगने और कूड़ा उठने का इंतजाम होने से काफी राहत होगी।
-शैलेन्द्र जायसवाल
सीवर लाइन बिछवाई जाए और पेयजल का संकट दूर हो तो समझेंगे बहुत कुछ हो गया।
-रासबिहारी पांडेय
कॉलोनी की मेन रोड और गलियों में लाइटें लगवाई जाएं। लोग रात में टार्च लेकर निकलते हैं।
-ख्वाहिश सेठ
दो वर्ष से हमारी समस्याएं जानने-समझने के लिए कोई जनप्रतिनिधि नहीं आया है। यह अखरता है।
-विजन प्रकाश सत्यार्थी
जनप्रतिनिधि चाह लें तो बरेका प्रशासन से बात कर सीवर और जलनिकासी समस्याएं दूर करा सकते हैं।
-चंदन गुप्ता
पानी की नई पाइप बिछने तक दो हैंडपंप ही लग जाएं तो पानी की समस्या काफी कम हो जाएगी।
-शकुंतला
शराब ठेका इस इलाके के अनेक परिवारों को बर्बाद कर देगा। उसे तत्काल दूर कराया जाए।
-अंजलि कन्नौजिया
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