धर्म रक्षा को सजग रहना जरूरी: प्रदीप मिश्र
सनातन धर्म की रक्षा के लिए माला और भाला दोनों जरूरी हैं। पं. प्रदीप मिश्र ने कहा कि सनातनियों को धर्म की रक्षा के प्रति सजग रहना चाहिए। उन्होंने पुराने मंदिरों की मर्यादा बनाए रखने और निंदा से उन्नति...
रामनगर,संवाददाता। सनातन धर्म की रक्षा के लिए माला और भाला दोनों जरूरी हैं। राष्ट्र और धर्म की रक्षा में लगे सभी लोगों के पास शस्त्र होने चाहिए। यह कहना है सिहोर,मध्य प्रदेश के ख्यात कथा वाचक पं. प्रदीप मिश्र का। वह डोमरी हो रही शिव महापुराण कथा के चौथे दिन मीडिया से मुखातिब थे।
कथास्थल के निकट एक गेस्ट हाउस में उन्होंने कहा कि सनातनियों को धर्म रक्षा के प्रति हर स्तर पर सजग रहना होगा। सनातन धर्म पर चौतरफा प्रहार का उत्तर देने के लिए मानसिक रूप से हमेशा तैयार रहना होगा। हमें प्रहार का उत्तर देते समय भी धर्म का ही आचरण करना है। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि जिस प्रकार पिता की जागीर बेटे को मिलती है, ठीक उसी तरह से मथुरा और ज्ञानवापी सनातन धर्म की जागीर है जो सनातनियों को ही मिलना चाहिए। कथावाचक ने कहा कि पुराने मंदिरों, तीर्थों की मर्यादा और परंपरा बनी रहनी चाहिए। सनातन धर्म के अनुसार पूजा-पाठ होना चाहिए। जहां एक-दूसरे के प्रति प्रेम, विश्वास और भाईचारा हो, वहीं हिंदू राष्ट्र है।
रोग होने पर ही खाएं बेलपत्र
पं. प्रदीप मिश्र ने कहा कि बेलपत्र खाने से कई रोगों का निवारण होता है। रोग होने पर ही बेलपत्र की कोमल पत्ती उचित मात्रा में खानी चाहिए। बिना रोग के नियमित बेलपत्र खाने का परिणाम गलत होता है।
निंदा से उन्नति का मार्ग प्रशस्त
इससे पूर्व कथा प्रवचन सत्र में उन्होंने कहा कि जिनकी निंदा होती है, उनकी उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता रहता है। निंदा उसी की होती है, जो आगे बढ़ता है। अगर आपकी कोई निंदा कर रहा है तो समझ लो कि अब आप आगे बढ़ने वाले हो, उन्नति होने वाली है। उन्होंने कहा कि किसी की भी निंदा सुनने की आवश्यकता नहीं है। हमें अपने कर्म पर ध्यान देना चाहिए। माता पार्वती को जब भोलेनाथ शिवमहापुराण की कथा सुनने जा रहे थे, तो माता पार्वती को सजने-संवरने में 16 दिन लग गए। उसी को 16 शृंगार और 16 संस्कार का नाम दिया गया।
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