गीता मर्मज्ञ आचार्य आनंद सुब्रह्मण्यम शास्त्री का निधन
Varanasi News - प्रख्यात विद्वान आचार्य आनंद सुब्रह्मण्यम शास्त्री का 28 जनवरी को बेंगलुरू में निधन हो गया। उन्होंने पिछले सात दशकों से श्रीमद्भगवद्गीता के ज्ञान का प्रचार किया। उनका अंतिम संस्कार हरिश्चंद्र घाट पर...
वाराणसी, वरिष्ठ संवाददाता। गीता मर्मज्ञ प्रतिष्ठित विद्वान, विचारक और चिंतक आचार्य आनंद सुब्रह्मण्यम शास्त्री का निधन 28 जनवरी को बेंगलुरू में निधन हो गया। वह 83 वर्ष के थे। गुरुवार को अस्सी स्थित मुमुक्षु भवन से उनकी अंतिम यात्रा हरिश्चंद्र घाट के लिए रवाना हुई। मुखाग्नि ज्येष्ठ पुत्र नागेश दत्त ने दी। आचार्य आनंद सुब्रह्मण्यम शास्त्री का जन्म काशी में हुआ था। पिछले सात दशकों से काशी में रहकर विभिन्न भाषाओं में श्रीमद्भगवद्गीता के ज्ञान का प्रचार-प्रसार करते रहे। उन्होंने श्रीमद्भगवद्गीता के सामाजिक पक्ष पर चिन्तन प्रस्तुत किया है। बीएचयू के मालवीय भवन में गीता समिति की ओर से होने वाले रविवासरीय गीत प्रवचन माला में उन्होंने कई व्याख्यान दिए। उन्होंने 1973 में ‘श्री व्यक्ति विकास संस्थान और 1993 में झारखंड के चतरा जिले में ‘श्री कुलेश्वरी बाल विद्यापीठ की स्थापना की। जिसका लक्ष्य नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शिक्षा एवं मानवीय हित-मूल्यों के विकास पर आधारित था। उन्होंने कई पुस्तकें भी लिखीं। 2005 में उन्हें टीवी कपाली शास्त्री पुरस्कार और 2021 में स्वामी करपात्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
गुरुवार को मुमुक्षु भवन में उनका पार्थिव शरीर सुबह 9 से 11 बजे तक अंतिम दर्शनार्थ रखा गया था। अंतिम यात्रा में मालवीय भवन के मानित निदेशक प्रो. राजाराम शुक्ल और गीता समिति के सचिव प्रो. उपेंद्र कुमार त्रिपाठी के साथ डॉ. बीडी तिवारी, मनोज कुमार त्रिपाठी, संजय शुक्ला, ब्रजेश सिंह, डॉ. शैलेन्द्र त्रिपाठी, सत्यदेव त्रिपाठी, अनिल नारायण किंजवड़ेकर, प्रेमशंकर प्रसाद सिंह, प्रकाश जोशी, चन्द्रकुमार तिवारी, पूरणचन्द्र भट्ट सहित अन्य गणमान्य उपस्थित थे।
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