गर्भावस्था में प्लेटलेट कम होने पर दवा की जरूरत नहीं
Varanasi News - गर्भावस्था के दौरान प्लेटलेट काउंट 30 हजार के नीचे नहीं होने पर दवा की आवश्यकता नहीं है। बॉम्बे हॉस्पिटल के डॉ. एमबी अग्रवाल ने बताया कि कई चिकित्सक दवा देने लगते हैं, जिससे नुकसान ज्यादा होता है।...
वाराणसी, कार्यालय संवाददाता। गर्भावस्था के दौरान प्लेटलेट काउंट 30 हजार के नीचे नहीं है तो दवा की जरूरत नहीं है। कई चिकित्सक दवा देना शुरू कर देते हैं, लेकिन इससे फायदा कम और नुकसान ज्यादा होता है। गर्भावस्था के दौरान प्लेटलेट काउंट ऊपर नीचे होता रहता है। यह कहना है बॉम्बे हॉस्पिटल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के हेमेटोलॉजी विभाग के डॉ. एमबी अग्रवाल का। वह रविवार को बीएचयू के केएन उडुप्पा सभागार में दो दिवसीय रक्त विज्ञान सम्मेलन (हेमोकॉन काशी 2024) के अंतिम दिन बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि गर्भावस्था के दौरान ऑपरेशन के समय प्लेटलेट 50 हजार से नीचे नहीं होना चाहिए। इससे नीचे होने पर ऑपरेशन करना खतरा हो सकता है। कटक मेडिकल कॉलेज के हेमेटोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. आरके जेना आईटीपी (इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिया) ने इसका समर्थन किया। केजीएमयू पूर्व प्रोफेसर एके त्रिपाठी ने पोलिसाइटमिया (हीमोग्लोबीन की मात्रा ज्यादा होना) के बारे में चर्चा की। उन्होंने कहा कि सिर में दर्द, नहाने के बाद शरीर खुजली होना इसका लक्षण है। इसके साथ सीबीसी में हीमोग्लोनीबन 16.5 से ज्यादा है तो इसका इलाज करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हीमोग्लोबिन की मात्रा पुरुषों में 13 और महिलाओं में 12 होनी चाहिए। इस मौके पर आयोजन चेयरमैन प्रो. केके गुप्ता, सचिव प्रो. ललित मीना और प्रो. अरूण कुमार सिंह, प्रो. विजय तिलक, डॉ. अंजु भारती मौजूद थी।
बोन मैरो पर वर्कशॉप हुआ
कोलकाता मेडिकल कॉलेज के हेमेटोलॉजी विभागध्यक्ष डॉ. तुफान कांती दुलाई ने हीमोग्लोबीन, प्लेटलेट, टीएलसी एक साथ कम होने पर डॉयग्नोस के बारे में बताया। केजीएयू के हेमेटोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. शैलेंद्र वर्मा ने एप्लास्टिक एनिमिया के बारे में चर्चा की। अंतिम दिन रिसर्च पेपर प्रजेंट किया। बीएचयू के पैथोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. संदीप कुमार के नेतृत्व में बोन मैरो पर वर्कशॉप का आयोजन हुआ।
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