मुन्ना बजरंगी : खजुरी हत्याकांड में पहली बार तड़तड़ाई थी एके-47
मुन्ना बजरंगी ने ही बनारस में सबसे पहले एके-47 से वारदात को अंजाम दिया था। 6 जून-1995 को उसने वरुणापार खजुरी निवासी दो दबंग भाइयों-राजेन्द्र सिंह और बड़े सिंह को दिनदहाड़े मार डाला था। वह बनारस और...
मुन्ना बजरंगी ने ही बनारस में सबसे पहले एके-47 से वारदात को अंजाम दिया था। 6 जून-1995 को उसने वरुणापार खजुरी निवासी दो दबंग भाइयों-राजेन्द्र सिंह और बड़े सिंह को दिनदहाड़े मार डाला था। वह बनारस और संभवत: पूर्वांचल की पहली आपराधिक घटना थी जिसमें एके-47 का प्रयोग हुआ था।
जानकारों के मुताबिक, मुन्ना बजरंगी 90 के शुरुआती दशक में बनारस के डिप्टी मेयर रहे अनिल सिंह का शागिर्द हुआ करता था। उसकी दोस्ती उस समय वरुणापार के मिनी माफिया कहे जाने वाले अजय यादव से भी थी। अजय यादव की किसी बात को लेकर बड़े सिंह से अदावत चल रही थी। उस अदावत में बड़े सिंह और साथ के लोगों ने पांडेपुर चौराहे पर एक बार अजय यादव की जमकर पिटाई कर दी थी। अजय यादव को आगे चलकर शहर उत्तरी के विधायक रहे अब्दुल कलाम का संरक्षण मिला। इसके बाद मुन्ना और अजय के बीच दोस्ती भी प्रगाढ़ होती गई। इस बीच बड़े सिंह और राजेन्द्र सिंह पीडब्ल्यूडी व आरईएस के ठेकों में दखल देने लगे। इससे दोनों गिरोहों के बीच खुन्नस बढ़ती गई।
बीच में दोनों के बीच कई घात-प्रतिघात हुए जिसमें अंतत: अजय यादव का गिरोह भारी पड़ा। सुनियोजित तरीके से मुन्ना बजरंगी ने 6 जून-1995 को दिन में लगभग 11 बजे राजेन्द्र सिंह और बड़े सिंह पर, उनके घर से 100 कदम दूर, खजुरी स्थित ऑफिसर्स कॉलोनी के मोड़ पर एके-47 से अंधाधुंध गोलियां बरसाईं। दोनों भाई उस दिन कार से एक ठेके का टेंडर भरने पीडब्ल्यूडी ऑफिस जा रहे थे। जानकार बताते हैं कि वारदात के समय अजय यादव व कुछ अन्य लोग भी मौके पर थे। इस हत्याकांड का केस अभी बनारस की स्थानीय अदालत में चल रहा है।
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