तोहरे दुआरी अइले पुजारी, इज्जत बचाय लीहा ए महतारी
दुर्गा मंदिर संगीत समारोह : पांचवीं निशा ‘मृदुल को सुनने आधी रात
वाराणसी, मुख्य संवाददाता। गायक से नायक और नायक से नेता बने मनोज तिवारी ‘मृदुल ने बुधवार की मध्यरात्रि के बाद मां कूष्मांडा के दरबार में सुरीली हाजिरी लगाई। उन्हें सुनने के लिए प्रशंसकों की अपार भीड़ मंदिर प्रांगण में मौजूद रही। मौका था मां कूष्मांडा के वार्षिक शृंगार पर आयोजित संगीत समारोह का।
समारोह की पांचवी निशा में पहुंचे मनोज तिवारी ने अपने चिरपिरचित अंदाज में प्रशंसकों का अभिवादन किया। मां कूष्मांडा से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दीर्घायु होने की प्रार्थना की। उन्होंने पचरा से लेकर अपने बहुचर्चित भजनों की बानगी पेश की। शुरुआत अपने नए भजन ‘तोहरे दुआरी अइले पुजारी, इज्जत बचाय लीहा ए हो महतारी से की। गाते-गाते बीच में रूके और कहा कि रात 9:10 बजे मैं दिल्ली में था। 11:10 बजे काशी में हूं। मेरी फ्लाइट मातारानी ने ही उड़ाई वर्ना मैं तो मान चुका था कि आज की तारीख में काशी नहीं पहुंच पाऊंगा। इसके बाद तुलसी बाबा की पंक्ति-‘कलजुग केवल नाम अधारा... से गायन को आगे बढ़ाया। ‘हर हर महादेव, महादेव हर हर गाना शुरू किया तो सभी सुर में सुर मिलाने लगे।
जब सलवार पहन पहुंचे थे गाने
मनोज तिवारी ने संस्कृत की उक्तियों के जरिए नारी सम्मान की नसीहत भी दी। बताया कि 1994 से इस दरबार में गाने आ रहा हूं। इस दरम्यान एक साल मैंने सलवार पहनकर गाया था। ऐसा मैंने महिलाओं के सम्मान में किया था।
पूरी की श्रोताओं की फरमाइश
‘बानी शेर पर सवार रुपवा मनवा मोहत बा, पचरा ‘निमिया की डारि मइया डारैलीं जझुअवा गाने के बाद श्रोताओं की मांग पर मनोज तिवारी ने ‘शीतला घाट पे काशी में हम जाकर दीप जराइब हो भी सुनाया। उन्होंने कुछ नए भजन भी मां दुर्गा के श्रीचरणों में निवेदित किए। मनोज तिवारी से पहले डॉ. विजय कपूर ने देवी को भजनों की माला अर्पित की।
इससे पूर्व पांचवीं निशा के कार्यक्रम की शुरुआत त्रिदेव मंदिर सेवक परिवार के भजनों की सामूहिक प्रस्तुति से हुई। ‘गाइये गणपति जग वंदन,‘दरबार तेरा मइया जन्नत का नजारा है आदि भजनों के बाद हनुमान चालीसा का संगीतमय पाठ भी किया। कीर्तन मंडली में अनूप सराफ, राधेगोविंद केजरीवाल आदि शामिल थे। दूसरी प्रस्तुति दिल्ली की गायिका रागिनी सोपोरी की रही। उन्होंने पंजाबी-कश्मीरी शैली में गणेश वंदना के बाद ‘जय मां दुर्गा अष्ट भवानी, कबीर की साखी, सबद से मंदिर परिसर को गुंजायमान किया। ‘छाप तिलक धन छीनी से गायन को विराम दिया। तबला पर आनंद मिश्रा, ढोलक पर चंचल सिंह नामधारी, संवादिनी पर मोहित साहनी, बांसुरी पर सुधीर गौतम, साइड रिदम पर संजय ने सहयोग किया। तीसरी प्रस्तुति में काशी के डॉ. अमलेश शुक्ला ‘अमन ने ‘दुर्गा मैया का सजा दरबार, ‘जय जय दुर्गे नमोस्तुते आदि भजन सुनाए। उनके साथ आस्था शुक्ला ने ‘लाल चूड़ियां चढ़ाऊं, ‘सबसे बड़ा तेरा नाम आदि भजन गाए। आर्गन पर रंजन दादा, तबला पर सुधांशु, ढोलक पर भोला गुरु, पैड पर विवेक ने संगत की।
भाव प्रभा पद्म संस्थान के संयोजन एवं अनुनाद फाउंडेशन के सहयोग से आयोजित संगीत समारोह में कलाकारों का सम्मान महंत राजनाथ दुबे एवं पं. विकास दुबे ने किया। व्यवस्था में चंदन दुबे, किशन दुबे आदि ने सहयोग किया।
मां का हुआ पंचमेवा शृंगार
पांचवें दिन मां कूष्माण्डा का पंचमेवा शृंगार किया गया। सायंकाल चार बजे पट बंद होने के बाद पं. संजय दुबे ने मां को पंचामृत एवं फलोदक स्नान कराया। फिर लाल, हरे रंग की विशेष बनारसी साड़ी धारण कराई। अमेरिकन डायमंड और माणिक रत्न जड़ित हार धारण कराने के बाद जलबेरा, जूही और गुलाब की मालाओं से मां का शृंगार किया। खास तौर से तैयार पंचमेवा की माला से मां को सुशोभित किया गया। पान के पत्तों से मां का मंडप सजाया गया था। मां को पांच कुंतल हलवा, बूंदी और खीर का भोग लगाकर भक्तों में वितरित किया गया। शृंगार के बाद मां की आरती आरती चंचल दुबे ने उतारी।
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