पानी में डूबते ही अपने आप जल जाएगी लाइट
Varanasi News - स्टोरी टेल क्रूज (जलयान) अत्याधुनिक तकनीक से लैस है। इसमें सफर करने वाला हर यात्री पूरी तरह से सुरक्षित रहेगा। क्रूज में यात्रियों की सुरक्षा के लिए...
वाराणसी। वरिष्ठ संवाददाता
स्टोरी टेल क्रूज (जलयान) अत्याधुनिक तकनीक से लैस है। इसमें सफर करने वाला हर यात्री पूरी तरह से सुरक्षित रहेगा। क्रूज में यात्रियों की सुरक्षा के लिए खास इंतजाम किये गए हैं। कोई दुर्घटना होने पर जलयान में मौजूद रिंग लाइफ बोय, सेल्फ एगनेटिक बोय लाइट, बोय ऑपरेटर तथा लाइफ जैकेट के सहारे यात्री गंगा को पारकर बड़ी आसानी से किनारे पहुंच जाएगा। यह क्रूज बनारस में पर्यटकों को गंगा की सैर कराएगा। गोवा में बना क्रूज 23 नवंबर को वहां से चलकर इस साल 30 जनवरी को रामनगर पहुंचा था।
सेल्फ एगनेटिक बोय लाइट सबसे महत्वपूर्ण सुरक्षा उपकरण है। यह रिंग लाइफ से जुड़ी होती है। पानी में जाते ही सेल्फ एगनेटिटिक बोय लाइट अपने आप जल जाएगी। इससे लोग तुरंत मदद के लिए पहुंच जाएंगे। इसके अलावा मछलियों और अन्य जलीय जीवों को भी क्रूज से किसी तरह का कोई खतरा नहीं होगा। क्योंकि, जलयान के बीच का हिस्सा पूरी तरह से खाली है। दोनों किनारे पर इंजन है। क्रूज में लगे पंखे भी चारों तरफ से घेरे गए हैं। इसमें कोई भी जीव फंस नहीं सकता। जलयान के कैप्टन अनवर ने बताया कि जलयान की स्क्रीन में रूट की मैपिंग की गई है। इसके सहारे जलयान चलाया जाएगा। क्रूज इंजीनियर ब्रिजेश कुमार ने बताया कि 10.71 करोड़ के क्रूज में आने वाली हर खराबी का पहले से संकेत मिल जाएगा। राजकीय निर्माण निगम के प्रोजेक्ट मैनेजर आरबी सिंह के अनुसार जलयान में सैलानियों को काशी की संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी। इसका काम लगभग पूरा हो गया है। संभवत: मार्च में लोग इसका आनंद उठा सकेंगे।
बोय ऑपरेटर 30 लोगों के लिए सुरक्षित
बोय ऑपरेटर एक चौड़े आकार की फाइवर की प्लेट है। यह पानी में तैरती रहेगी। इसपर बैठने वाले सुरक्षित रहेंगे। इसकी क्षमता 30 लोगों की है। इसी तरह लाइफ जैकेट में चारों तरफ लाइट के साथ सीटी दी गई है। अगर किसी व्यक्ति की घबराहट के कारण आवाज नहीं निकलती है तो सीटी बजाकर मदद मांग सकता है।
68 दिन के सफर में तीन तूफान
गोवा से 23 नवंबर-2020 को चला जलयान 68 दिनों तक समुद्र और गंगा के रास्ते होते हुए 30 जनवरी को रामनगर टर्मिनल पहुंच था। इस बीच रास्ते में जलयान को तीन तूफान मिले थे। पहला केरल के कुरुलरपुरम में, दूसरा शिलांग के वभन ब्रिज के पास तथा तीसरा आंध्र प्रदेश के काकी लाड़ा के पास। तूफान के कारण जलयान को दूसरी दिशा में मोड़ना पड़ा था।
जलयान में दिखेगी काशी की संस्कृति
अस्सी से राजघाट तक चलने वाले क्रूज में सैलानियों को वाराणसी की संस्कृति-इतिहास और भव्यता की जानकारी दी जाएगी। इसके लिए जलयान के भीतरी भाग पर चित्रकारी की जा रही है। क्रूज जिस घाट से गुजरेगा, उसके बारे में पूरी जानकारी स्क्रीन पर दिखने लगेगी।
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