काशी चिश्वनाथ धाम: अप्रैल में हुआ महज डेढ़ फीसदी काम
केंद्र और प्रदेश सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ धाम (कॉरिडोर) पर कोरोना संक्रमण का गहरा प्रभाव पड़ा है। इस माह में कॉरिडोर का महज डेढ़ फीसदी...
वाराणसी। वरिष्ठ संवादददाता
केंद्र और प्रदेश सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट काशी विश्वनाथ धाम (कॉरिडोर) पर कोरोना संक्रमण का गहरा प्रभाव पड़ा है। इस माह में कॉरिडोर का महज डेढ़ फीसदी काम हुआ। जबकि मार्च में 13 फीसदी हुआ था। राजस्थान, महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में लॉकडाउन के चलते एक्सपर्ट व मजदूरों के नहीं आने से केवल पुराने स्ट्रक्चर पर काम चल रहा है। इसे समय-सीमा बढ़ने का अंदेशा है। हालांकि कार्यदायी संस्था के अधिकारियों का कहना है कि यदि 15 मई तक सब कुछ सही हो जाता है तो काम 15 नवम्बर तक काम पूरा कर लिया जाएगा।
धाम में छोटे-बड़े 24 भवनों का निर्माण होना है। साथ ही लालिता से लेकर मणिकर्णिका घाट तक नया घाट और जेटी निर्माण भी होना है। होली से पहले कॉरिडोर के अंदर करीब 1300 एक्सपर्ट और मजदूर काम कर रहे थे। मंदिर परिसर, मंदिर चौक और वीआईपी गैलरी की दीवारों पर बालेश्वर के पत्थरों की क्लेडिंग का काम चल रहा था। 30 मार्च तक 49.8 फीसदी काम पूरा हो गया था। संक्रमण जब पूरे शहर को चपेट में लेने लगा तो कॉरिडोर भी इससे दूर नहीं रहा। यहां मंदिर के सीईओ सुनील कुमार वर्मा, पीडब्ल्यूडी के काशी विश्वनाथ खंड के एक्सईएन संजय गोरे सहित मंदिर न्यास के कर्मचारी भी संक्रमित हो गये। लिहाजा, काम करने वालों में दहशत हो गयी। काफी संख्या में होली पर घर गये मजदूर और टेक्निशयन घर नहीं लौटे। पत्थरों की सेटिंग के लिए राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र से एक्सपर्ट और मजदूर संक्रमण के भय में नहीं पहुंचे। इससे मजदूरों के अभाव में काफी की रफ्तार काफी धीमी हो गयी। पीडब्ल्यूडी के एक्सईएन संजय गोरे ने बताया कि कोरोना काल में भी काम लगातार जारी रहा। कभी बंद होने की स्थिति नहीं आयी। वर्तमान में भवनों के स्ट्रक्चर पर काम कराया जा रहा है।
बंगाल, बिहार के 600 मजदूर काम पर
एक्सईएन के मुताबिक वर्तमान में पश्चिम बंगाल और बिहार के 600 मजदूर मौके पर काम कर रहे हैं। जबकि मौके पर 1500 से ऊपर मजदूरों की जरूरत है। बताया कि इन्हें कार्यस्थल पर सोशल डिस्टेंसिंग के साथ काम कराया जा रहा है। बताया कि इनके भोजन और रहने का प्रबंध मौके पर किया गया है। इन्हें बाहर आने-जाने पर रोक लगायी गयी है। बाहर के किसी भी एक्सपर्ट और मजदूर को बिना कोरोना जांच के अंदर नहीं भेजा जा रहा है।
फीनिशिंग के काम के लिए एक्सपर्ट की जरूरत
कॉरिडोर के अंदर ढांचा का ज्यादातार काम पूरा हो चुका है। अब पत्थरों की फीनिशिंग, क्लेडिंग और फ्लोरिंग का काम बाकी है। इसके लिए एक्सपर्ट की जरूरत है, जोकि दूसरे राज्यों से आने हैं। इसकी वजह से काफी काम अधूरा है।
चार भवनों पर अभी काम शुरू नहीं
कॉरिडोर के अंदर नीलकंठ पवेलियन, फायर दफ्तर, सेक्युरिटी ऑफिस, बुक स्टॉल के निर्माण पर अभी काम शुरू नहीं पाया है। अधिकारियों के मुताबिक इनके प्रस्तावित निर्माणस्थलों पर वाहनों का आवागमन और सामाग्री स्टोर होने के कारण काम शुरू नहीं हो पा रहा है।
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