‘परिवार के माहौल से काफी कुछ सीखता है गर्भस्थ शिशु
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ और इंडियन एकेडमी ऑफ हेल्थ साइकोलॉजी द्वारा शुक्रवार से तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। गुरुवार को मनोविज्ञान पर दो कार्यशालाएं आयोजित की गईं,...
वाराणसी, वरिष्ठ संवाददाता। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ और इंडियन एकेडमी ऑफ हेल्थ साइकोलॉजी की तरफ से शुक्रवार को तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन होगा। गुरुवार को इससे पहले मनोविज्ञान पर दो कार्यशालाओं का आयोजन किया गया। दोनों में 72 छात्र-छात्राएं शामिल हुए। गुरुवार को ‘होलिस्टिक हेल्थ फ्रॉम सोल टू सेल और ‘इमोशनल फ्रीडम टेक्नीक विषयों पर हुईं कार्यशालाओं में मनोविज्ञान और इसके पहलुओं पर विशेषज्ञों ने विचार रखे। नव्यादक्ष परामर्श केंद्र केरल के निदेशक अजीत कृष्णन ने संवेगात्मक स्वतंत्रता को उदाहरणों से स्पष्ट किया। अभिमन्यु का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया की शिशु गर्भ में ही बहुत कुछ सीख लेता है। परिवार और आसपास का माहौल उसे जन्म से पहले ही काफी कुछ सिखा देते हैं। फ्रांस की जूली गरलैंड ने अनेक मानसिक रोगों और अनकंडीशनल लव पर प्रकाश डाला। उन्होंने मां बनने की अपनी यात्रा साझा की और ‘बर्थ ट्रामा के अनुभव और इससे उबरने के तरीकों के बारे में बताया। फ्रांकोइस गरलैंड ने बताया कि किस प्रकार वर्तमान वातावरण प्रत्येक व्यक्ति के मन में प्रभाव डाल रहा है, जिससे उबरने में मनोवैज्ञानिक उपागम ही एकमात्र उपाय है। संचालन मनोविज्ञान विभाग के छात्र नमित सिंह ने किया।
इस अवसर पर इंडियन एकेडमी ऑफ़ हेल्थ साइकोलॉजी के अध्यक्ष प्रो. आनंद कुमार, सम्मेलन के निदेशक प्रो. संजय, संयुक्त निदेशक प्रो. रश्मि सिंह, संयोजिका प्रो. शेफाली ठकराल, प्रशासनिक सचिव प्रो. केके सिंह, सहसंयोजिका डॉ. प्रतिभा सिंह, संयुक्त सचिव डॉ. मुकेश कुमार पंथ और डॉ. दुर्गेश कुमार उपाध्याय, प्रो. स्वर्णलता, डॉ. संतोष कुमार सिंह, डॉ. पूर्णिमा श्रीवास्तव, डॉ. दीपमाला सिंह बघेल, डॉ. पूनम सिंह, डॉ. कंचन शुक्ला आदि रहीं।
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