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अवैध रिफिलिंग का भंडाफोड़, सौ से अधिक गैस सिलेंडर जब्त

Varanasi News - शिवपुर के दुर्गा विहार कॉलोनी में अवैध गैस रिफिलिंग का कारखाना चल रहा था। खाद्य सुरक्षा विभाग ने छापेमारी की, लेकिन कर्मचारी भाग गए। 100 से अधिक गैस सिलेंडर और उपकरण बरामद किए गए। स्थानीय लोगों ने...

Newswrap हिन्दुस्तान, वाराणसीFri, 7 March 2025 04:18 AM
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अवैध रिफिलिंग का भंडाफोड़, सौ से अधिक गैस सिलेंडर जब्त

शिवपुर। संवाद शिवपुर स्थित दुर्गा विहार कॉलोनी में अवैध गैस रिफिलिंग का कारखाना धड़ल्ले से चल रहा था। खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने गुरुवार को छापेमारी की। इसकी सूचना मिलते ही कर्मचारी ताला बंद कर फरार हो गए। टीम ने ताला तोड़ 100 से अधिक गैस सिलेंडर और रिफिलिंग में प्रयुक्त होनेवाले उपकरण बरामद किए।

खाद्य सुरक्षा विभाग को सूचना मिली की शिवपुर स्थित दुर्गा विहार कॉलोनी में बसंत यादव और मनोज मौर्य के मकान में अवैध रिफिलिंग कारखाना चल रहा है। खाद्य विभाग के क्षेत्रीय अधिकारी भानु प्रताप सिंह के नेतृत्व में कॉलोनी में छापेमारी की गई। छापे की सूचान रिफिलिंग में लगे लोगों को पहले ही मिल गई। कारखाने में ताला बंदकर सभी भाग निकले। ताला तोड़वा कर 100 से अधिक बड़े और सात छोटे सिलेंडर समेत अन्य उपकरण बरामद किए गए। क्षेत्रीय अधिकारी भानु प्रताप सिंह ने बताया कि दोनों भवनस्वामियों का कहना है कि पोषण पासवान, लक्ष्मण कुमार, रामकुमार ने किराये पर कमरा लिया था। चोरी-छिपे अवैध रिफिलिंग कारखाना चला रहे थे। भानुप्रताप ने बताया कि तीनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा। इस दौरान क्षेत्रीय खाद्य अधिकारी सुषमा पांडेय, पूर्ति निरीक्षक राघवन त्रिपाठी, मिथिलेश कुमार सिंह आदि मौजूद रहे।

पैसे लेकर सिलेंडर छोड़ने का आरोप

छापेमारी करने पहुंची टीम पर स्थानीय लोगों ने पैसे लेकर दो ट्रॉली सिलेंडर छोड़ने का आरोप लगाया। लोगों का कहना है कि आसपास के भवनों का सीसीटीवी फुटेज चेक कराया जाए तो सच्चाई सामने आ जाएगी। उन्होंने जिलाधिकारी पूरे मामले की जांच कराने की मांग की। हालांकि विभाग के अधिकारियों ने आरोप को बेबुनियाद बताया।

आवासीय कॉलोनी में ‘खतरे का कारोबारा, अफसर बेखबर

अवैध गैस रिफिलिंग कारखाने में धमाके और अगलगी की कई घटनाएं हो पूर्व में चुकी हैं। आवासीय कॉलोनी में लोगों की जान खतरे में डालकर गैस रिफिलिंग कारखाना चल रहा था। स्थानीय पुलिस और खाद्य सुरक्षा विभाग इससे अनजान था। हालांकि यह बात लोगों के गले उतर नहीं रही है। उनका कहना है कि विभागीय अफसर सुविधा शुल्क लेकर मौन साधे हुए थे। पुलिस को भी इसकी जानकारी थी लेकिन कभी कार्रवाई नहीं हुई।

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