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सोशल मीडिया पर अभद्र टिप्पणी, आईआईटी बीएचयू का एआई सिस्टम करेगा रोकथाम

आईआईटी बीएचयू के शोधकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर अभद्र टिप्पणियों और साइबर बुलिंग से निपटने के लिए एक एआई पद्धति विकसित की है। डॉ. रविंद्रनाथ चौधरी के मार्गदर्शन में, पारस तिवारी ने मिश्रित भाषा में...

Newswrap हिन्दुस्तान, वाराणसीTue, 1 Oct 2024 02:09 PM
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वाराणसी। सोशल मीडिया पर की जाने वाली अभद्र टिप्पणी या साइबर बुलिंग का आईआईटी बीएचयू के कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग के शोधकर्ताओं ने समाधान खोजा है। शोधकर्ताओं ने एआई प़द्धति से सोशल मीडिया प्लेटफार्म की अभद्र सामग्री से निपटने का प्रभावी समाधान दिया है। यह जानकारी देते हुए कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ रविंद्रनाथ चौधरी सी. ने बताया कि भारत, दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी डिजिटल आबादी का घर है और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स (SMPs) जैसे फेसबुक और एक्स आदि पर देश की जनता काफी सक्रिय रहती है। ये प्लेटफॉर्म्स हमारे दैनिक जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गए हैं, लेकिन इसके साथ ही ये उपयोगकर्ताओं को साइबर बुलिंग (अभद्र साम्रगी) के प्रति भी संवेदनशील बना रहे हैं। भारतीय संदर्भ में एक अनोखी चुनौती है कि यहां के उपयोगकर्ता सामग्री अक्सर बहुभाषीय होती है, जो हिंदी और अंग्रेजी जैसे भाषाओं के मिश्रण का उपयोग करती है। केवल एक भाषा में ही अभद्र सामग्री की पहचान करना चुनौतीपूर्ण है, और जब यह मिश्रित-भाषा की होती है, तो यह और भी जटिल हो जाती है।

डॉ आर. चौधरी के मार्गदर्शन में विभाग के शोध छात्र पारस तिवारी के शोध ने देवनागरी-रोमन मिश्रित टेक्स्ट की जटिलताओं का गहन विश्लेषण किया और 20.38 प्रतिशत प्रासंगिकता स्कोर के साथ कोड-मिश्रित अपमानजनक टेक्स्ट उदाहरणों को एकत्र और एनोटेट करने के लिए एक किफायती पद्धति प्रस्तावित की है। इस अध्ययन से उत्पन्न डेटासेट मौजूदा अत्याधुनिक डेटासेट्स की तुलना में आठ गुना बड़ा है। इसके अतिरिक्त, उनके काम ने पारंपरिक मशीन लर्निंग तकनीकों और उन्नत प्री-ट्रेंड बड़े भाषा मॉडलों का उपयोग करके प्रभावी समाधान प्रस्तुत किए हैं। इस अंतर को पहचानते हुए, इस दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिससे भारत में विविध उपयोगकर्ता आधार के लिए एसएमपी को अधिक सुरक्षित बनाया जा सके। यह शोध बहुप्रतिष्ठित रिसर्च जर्नल स्प्रिंगर लिंक के लैग्वेंज रिसोर्स एंड इवाल्युवेशन में जनवरी 2024 में प्रकाशित हो चुका है। संस्थान के निदेशक प्रोफेसर अमित पात्रा ने इस नए शोध के लिए डॉ रविंद्र चौधरी सी. और उनकी टीम को बधाई दी है।

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