Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़वाराणसीIIT BHU Discovers Five Molecules for Early Detection of Alzheimer s and Cancer Using AI

एआई से आसान होगी अल्जाइमर की पहचान

आईआईटी बीएचयू ने अल्जाइमर, कोलन और फेफड़ों के कैंसर के शुरुआती निदान और उपचार के लिए पांच मॉलिक्यूल्स का पता लगाया है। एआई की मदद से 130 करोड़ मॉलिक्यूल्स की स्क्रीनिंग की गई। यह खोज दवा की खोज में...

Newswrap हिन्दुस्तान, वाराणसीMon, 4 Nov 2024 10:52 PM
share Share

वाराणसी, संवाददाता। आईआईटी बीएचयू ने अल्जाइमर, कोलन और फेफड़ों के कैंसर जैसी बीमारियों के शुरुआती निदान और उपचार के लिए पांच मॉलिक्यूल्स का पता लगाया है। इससे प्रभावशाली दवा बनाने और इन रोगों को पूरी तरह से खत्म करने में मदद मिलेगी। इस शोध में एआई की मदद से 130 करोड़ मॉलिक्यूल्स की स्क्रीनिंग की है। इसमें कोलीन एसिटाइलट्रांसफेरेज एंजाइम अवरोधकों के रूप में पांच नए मॉलिक्यूल्स का पता लगाया है। ऐसा पहली बार हुआ है जब एआई की मदद से एक साथ 130 करोड़ मॉलिक्यूल्स की स्क्रीनिंग एक साथ की गई है। अमेरिकन केमिकल सोसाइटी के जर्नल  केमिकल न्यूरोसाइंस ने इस शोध के प्रकाशन की मंजूरी दे दी है।  फार्मास्युटिकल इंजीनियरिंग विभाग के डॉ. रजनीश कुमार ने बताया कि शोध में प्रयुक्त  अल्गोरिथम डीप-डॉकिंग एक एआई आधारित अत्याधुनिक साधन है। जो दवा खोज प्रक्रिया को सरल और तेज बनाता है। इससे शोधकर्ताओं को सटीक और प्रभावी उपचार ढूंढ़ने में मदद मिलती है। इसमें मशीन लर्निंग का उपयोग किया जाता है। पारंपरिक ड्रग डिस्कवरी में जहां एक-एक मॉलिक्यूल्स का परीक्षण करना पड़ता है, वहीं एआई के माध्यम से यह काम बहुत कम समय में हो जाता है। यह साधन संभावित मॉलिक्यूल्स की प्रभावशीलता और उनके लक्ष्य प्रोटीन पर असर का अनुमान लगा सकता है।

प्री-क्लिनिकल और क्लिनिकल परीक्षण के बाद होगी दवा की खोज

 इस खोज में स्वीडन के कारोलिंस्का इंस्टिट्यूट के प्रो. ताहेर दरेह-शोरी ने सहयोग किया है। इसके साथ ही फार्मास्युटिकल इंजीनियरिंग विभाग से पीएचडी कर रहे अनुराग टीके वैद्य, भानुरंजन दास ने अहम भूमिका निभाई है। डॉ. कुमार ने बताया कि प्री-क्लिनिकल और क्लिनिकल परीक्षण के बाद इससे अल्जाइमर, कोलन और फेफड़ों के कैंसर रोग को पूरी तरह खत्म करने की दवा मिल सकेगी।

कैंसर कोशिका को बढ़ावा देने वाले कारकों को रोकने में करेगा मदद

डॉ. कुमार ने बताया कि कोलीन एसिटाइलट्रांसफेरेज एंजाइम अवरोधकों की पहचान करने के बाद चिकित्सीय उपचार मिल सकेगा। जो कैंसर कोशिका को बढ़ावा देने वाली सेलुलर प्रक्रिया को रोकेगा। साथ ही कैंसर कोशिका की निगरानी के लिए प्रभावी बायोमार्कर भी हो सकता है। पहचान करने और उपचार का यह दोहरा कार्य कैंसर उपचार में बदलाव लाएगा।

एआई की मदद से बड़े पैमाने पर तेज और सटीक जांच

 डॉ. कुमार ने बताया कि एआई की मदद से मॉलीक्युल्स की संरचना की जांच करके उन यौगिकों की पहचान आसानी से की जा सकती है। जो इलाज में सहायक हो सकते हैं। इस तकनीक से शोधकर्ता तेज और सटीक तरीके से जांच कर सकेंगे। संभावित दवाओं की पहचान कर सकते हैं।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें