केंद्रीय सतर्कता आयोग तक पहुंचा आईआईटी का मामला
आईआईटी बीएचयू के सिविल इंजीनियरिंग विभाग में कंसल्टेंसी फीस से नकद वापस लेने का मामला केंद्रीय सतर्कता आयोग तक पहुंच गया है। गोपनीय शिकायत पर आयोग ने शिकायतकर्ता से और जानकारी मांगी है। आईआईटी प्रशासन...
वाराणसी, वरिष्ठ संवाददाता। आईआईटी बीएचयू के सिविल इंजीनियरिंग विभाग में कर्मचारियों को कंसल्टेंसी फीस में हिस्सा देकर नकद वापस लेने का मामला केंद्रीय सतर्कता आयोग पहुंच गया है। गोपनीय शिकायत पर आयोग की तरफ से शिकायतकर्ता से कुछ और जानकारी मांगी गई है। इधर, पूरे मामले पर आईआईटी प्रशासन ने चुप्पी साध रखी है। आईआईटी बीएचयू के सिविल इंजीनियरिंग विभाग में कंसल्टेंसी फीस से शेयर देकर नकद वापस लेने का खेल वर्षों से चल रहा था। हालांकि कुछ शिक्षक और कर्मचारी इस व्यवस्था से इत्तेफाक न रखने के कारण अलग-थलग पड़ गए थे। अस्थाई और संविदा कर्मचारी भी इसके खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाते थे। कर्मचारियों को व्यवस्था पर भरोसा दिलाने के लिए विभाग में एक तकनीकी सेल बनाई गई, जिसमें विभागाध्यक्ष के अलावा सिर्फ एक वरिष्ठ प्रोफेसर सदस्य बने। इस सेल ने मीटिंग कर बाकायदा इनके मिनट्स में कर्मचारियों का शेयर और उनकी तरफ से किए जाने वाले नकद अंशदान का ब्योरा दर्ज किया गया।
आपके अपने समाचार पत्र ‘हिन्दुस्तान की पड़ताल में एक आरटीआई भी सामने आई। शिकायतकर्ता ने कंसल्टेंसी फीस वितरण के नियम और कर्मचारियों से धन वापसी के नियमों के बारे में पूछा। विभाग की तरफ से संतोषजनक उत्तर न मिलने पर प्रथम अपील भी दाखिल की गई, लेकिन उसपर भी उन्हें कोई जवाब नहीं मिला। अब मामला सीवीसी तक पहुंच गया है। वर्षों से चल रहे इस गड़बड़झाले के सतह पर आने के बाद आईआईटी के कर्मचारियों और शिक्षकों में चर्चाएं काफी गर्म हैं। हालांकि आईआईटी प्रशासन की तरफ से इसपर साधी गई चुप्पी भी लोगों को अखर रही है।
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