भगवद्गीता के 18 अध्यायों पर एमए कोर्स अगले पखवारे से

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) वाराणसी में इस सत्र से एमए इन भगवद्गीता कोर्स शुरू कर रहा है। पहले बैच में 56 छात्रों ने प्रवेश लिया है। कोर्स में गीता के 18 अध्याय और 700 श्लोकों...

Newswrap हिन्दुस्तान, वाराणसीSun, 10 Nov 2024 01:03 AM
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वाराणसी, संवाददाता। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) में इस सत्र से एमए (मास्टर ऑफ आर्ट्स) इन भगवद्गीता कोर्स शुरू हो रहा है। नवंबर से दूसरे पखवारे से पहला बैच शुरू होगा। वाराणसी क्षेत्रीय कार्यालय पर 56 लोगों ने प्रवेश लिया है। इसके अलाव एमए इन हिंदू स्टडीज में भी 51 लोगों ने प्रवेश लिया है। वहीं भारतीय कालगणना के लिए 12 लोगों ने आवेदन किया है। एमए इन भागवत गीता कोर्स में गीता के 18 अध्याय और 700 श्लोकों का अध्ययन कराया जाएगा। इसके लिए जून से आवेदन शुरू हुआ था। 15 जुलाई आवेदन की अंतिम तिथि थी। अंतिम तिथि तक वाराणसी मंडल के तहत आने वाले 19 जिलों से 56 विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया है। क्षेत्रीय निदेशक उपेंद्र नभ त्रिपाठी के मुताबिक एमए इन भगवद्गीता कोर्स की शुरुआती पढ़ाई हिंदी में होगी। भविष्य में इसे अंग्रेजी में भी शुरू करने की योजना है।

ये होगी कोर्स की संरचना

कोर्स के माध्यम से विद्यार्थियों को गीता का परिचय दिया जाएगा। दो साल के कोर्स में कर्म संन्यास, धर्म-कर्म और यज्ञ, आत्म संयम और ज्ञान विज्ञान, राज विद्या योग, विश्व रूप दर्शन एवं उपासना, विभूति योग, क्षेत्रज्ञ योग, श्रद्धा एवं मोक्ष संन्यासी योग, गीता परंपरा और अनुप्रयुक्त का अध्ययन कराया जाएगा।

इस तरह का पहला कोर्स

स्कूल, कॉलेजों और महाविद्यालयों के साथ ही विश्वविद्यालयों में धर्म और संकृति से जुड़े कार्यक्रम होते रहते हैं। बीएचयू, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, संपूर्णानंनद संस्कृत विश्वविद्यालय में आयोजन होता रहता है। वहीं आईआईटी में विद्यार्थियों को डिप्रेशन न हो इसके लिए योग के साथ गीता का पाठ का भी समय-समय पर आयोजन होता है। लेकिन इस तरह का कोर्स पहली बार शुरू हो रहा है।

कोट--

विज्ञान के साथ ही विद्यार्थियों में धर्म को जानने की रुचि भी बढ़ रही है। गीता जीवन का सार है। इसमें जीवन जीने की कला बताई गई है। वर्तमान में युवा धर्म की ओर लौट रहे हैं। वे न सिर्फ जीवन जीने की कला सीखना चाह रहे, बल्कि दुनिया की इस भीड़ में आत्यसंयम भी सीखना चाह रहे हैं।

- उपेंद्र नभ त्रिपाठी, क्षेत्रीय निदेशक इग्नू वाराणसी

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