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बोले काशीः हथुआ मार्केट की कारोबारी चुनौतियां जाम और अतिक्रमण से बनीं गंभीर

बोले काशी, बोले काशी, बोले काशी, बोले काशी, बोले काशी वाराणसी।

Newswrap हिन्दुस्तान, वाराणसीSun, 10 Nov 2024 06:54 PM
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वाराणसी। शहर के शौकीन पुरनिये बताते हैं कि सत्तर के दशक तक दिल्ली के चांदनी चौक, पालिका बाजार या लखनऊ के अमीनाबाद, हजरतगंज, नखास अथवा जनपथ मार्केट घूमकर आने के बाद कोफ्त होती थी। यह कि बनारस में ऐसा एक भी मार्केट नहीं हैं। तब हथुआ मार्केट से वह कमी कुछ दूर हुई। बनारस का यह पहला पॉश मार्केट सन्-1979 में विकसित हुआ। मगर विडंबना यह कि दूसरे शहरों के मार्केट की चमक-दमक बढ़ी है जबकि हथुआ मार्केट अपनी खोई हुई चमक ढूंढ़ रहा है। चेतगंज स्थित हथुआ मार्केट की कारोबारी चुनौतियां जाम-अतिक्रमण से दिनोंदिन गंभीर हो गई हैं। परंपरागत बनारस में हथुआ मार्केट से ‘एलीट (हाइफाइ) खरीदारी की शुरुआत मानी जाती है। हथुआ स्टेट की जमीन पर विकसित इस बाजार में हाई प्रोफाइल, नवधनाढ्य परिवार वहां नख से शिख तक की जरूरतों के सामान खरीदते थे। यह मार्केट वर्षों तक सिर्फ बनारस नहीं, जौनपुर-गाजीपुर, भदोही और मिर्जापुर तक के ग्राहकों की पहली पसंद बना रहा। छोटी-बड़ी लगभग 120 दुकानों का यह संकुल बड़ा शहर बनने की ओर कदम बढ़ा रहे बनारस का चेहरा भी बना। 45 वर्षों का वह प्रौढ़ चेहरा अब थका और बुझा हुआ क्यों लगता है? हथुआ मार्केट व्यावसायिक संघ के संस्थापक अध्यक्ष, वर्तमान में संरक्षक प्रेमनाथ मिश्रा और मौजूदा अध्यक्ष सत्यप्रकाश राय ने कमोबेश एक स्वर में कहा- ‘शहर में जाम और अतिक्रमण बड़े कारण हैं जिनसे हम भी प्रभावित हैं। इस बार दीवाली पर मार्केट के दुकानदार ग्राहकों का इंतजार करते रहे। पहले जैसी बात नहीं है।

लहुराबीर में रोक क्यों?

हथुआ मार्केट की खासियत है कि यहां चारपहिया वाहनों की पार्किंग का भी बेहतर इंतजाम है। मार्केट के व्यापारी विजय जायसवाल, पंकज कुमार मल्ल, अंकित वर्मा, आयुष जायसवाल ने ध्यान दिलाया कि बेनिया में वाहनों की पार्किंग की व्यवस्था है लेकिन ट्रैफिक पुलिस लहुराबीर चौराहे से ही बेनिया जाने पर प्रतिबंध लगा देती है। ऐसा हर खास मौके पर होता है। इससे हथुआ मार्केट के परंपरागत पुराने ग्राहक नहीं आ पाते। त्योहारों पर खरीदारी के समय ही यातायात प्रतिबंध लगा दिया जाता है। इस पीड़ा और परेशानी से अफसरों को लगातार अवगत कराया जाता है। प्रेमनाथ मिश्रा ने बताया कि बेनिया की पार्किंग की क्षमता बढ़ाने पर गंभीरता से विचार होना चाहिए।

बेसमेंट का भ्रष्टाचार बड़ी समस्या

व्यापारी शरद अग्रवाल ने ध्यान दिलाया कि हथुआ मार्केट के आसपास और शहर के दूसरे स्थानों पर बने शॉपिंग कांप्लेक्स के बेसमेंट के व्यावसायिक इस्तेमाल पर वीडीए रोक नहीं लगा पा रहा है। यह बहुत बड़ा भ्रष्टाचार तो है ही, जाम का सबसे प्रमुख कारण है। इस संबंध में कई बार अभियान चले, चेतावनी जारी हुई लेकिन ढाक के तीन पात वाली ही स्थिति है। उन्होंने कहा-‘सुना है, पुलिस कमिश्नर जाम की समस्या को लेकर गंभीर हैं तो उन्हें बेसमेंट में पार्किंग सुनिश्चित करने की ठोस पहल करनी चाहिए।

मुख्य द्वार अतिक्रमण का शिकार

शहर के जाम और अतिक्रमण की शिकायतें करने वाले व्यापारी अपने मार्केट के मुख्य द्वार के अतिक्रमण का शिकार होने से क्षुब्ध हैं। द्वार के दोनों ओर अवैध ढंग से दुकानें बन गई हैं। दुकानें बनाने वाले स्थानीय लोग हैं जिनके ‘प्रभाव से व्यापारी सहमे रहते हैं। कुछ दुकानों को वीडीए ने सील कर दिया है लेकिन वे हटी नहीं हैं। हथुआ मार्केट व्यावसायिक संघ के अध्यक्ष सत्यप्रकाश राय और उपाध्यक्ष शशिकांत ने कहा कि मेन गेट पर अतिक्रमण से मार्केट छिप गया है। दुकानों के रूप में यह अतिक्रमण वीडीए की कार्यशैली की कसौटी भी है।

कंठ सूखे, शौचालयों से शर्मिंदगी

हथुआ मार्केट में हर दिन न्यूनतम हजार से 12 सौ लोगों की मौजूदगी रहती है। इनमें आधी संख्या ग्राहकों की और आधी दुकानों के कर्मचारियों की है। खास मौकों पर ग्राहकों की संख्या दोगुनी-चौगुनी हो जाती है। मार्केट में पेयजल की गंभीर समस्या है। दुकानदार बोतलबंद या कैन के पानी पर निर्भर हैं। ग्राहकों का भी खैरमकदम उसी से होता है। व्यापारियों ने कुछ वर्ष पहले अपने स्तर से पानी के लिए बोरिंग कराई, उसमें सब मर्सिबल लगवाया था लेकिन मार्केट के मालिकान ने उक्त भूखंड बेच दिया। लिहाजा, सब मर्सिबल पंप भी हट गया। मार्केट में चार शौचालय हैं मगर देखरेख के अभाव में हमेशा गंदे रहते हैं। पंकज मल्ल ने कहा कि ग्राहक परिवारों को कभी शौचालय की जरूरत पड़ी तो हमें शर्मिंदगी झेलनी पड़ती है।

नगर निगम से मदद नहीं

हथुआ मार्केट शहर का इकलौता व्यावसायिक केन्द्र है जहां नगर निगम की न तो कोई व्यवस्था चलती है और न ही उससे कोई मदद मिलती है। क्योंकि यह निजी मार्केट है। और, मार्केट के मालिकान बुनियादी सुविधाओं के लिए अपेक्षित गंभीरता नहीं दिखा पाते। जैसा कि प्रेमनाथ मिश्रा ने बताया- ‘इस नाते सफाई, लाइटिंग आदि कोई भी व्यवस्था हम व्यापारी ही मिलजुल कर करते हैं। हालांकि यहां सफाई-पेयजल के लिए नगर निगम ऑफर कर चुका है।

जगी यातायात नियोजन समिति

पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने दो दिन पहले शहर की यातायात व्यवस्था में सुधार के लिए एक बैठक बुलाई थी। उसमें हथुआ मार्केट के संरक्षक प्रेमनाथ मिश्रा, सत्यप्रकाश राय आदि भी गए थे। उस बैठक में प्रेमनाथ मिश्रा ने लगभग एक दशक पहले गठित यातायात नियोजन समिति और उसकी संस्तुतियों की चर्चा की। उस समय बनी एक बुकलेट उन्होंने सीपी को दी। बताया कि उक्त समिति की संस्तुतियों के अनुसार शहर के कुछ चौराहों पर ट्रैफिक नियंत्रण की पहल भी शुरू हुई थी। उसके अच्छे परिणाम आए थे। बाद में वे पहल बंद हो गईं। पुलिस कमिश्नर ने उक्त समिति को पुनर्जीवित करते हुए अपर पुलिस आयुक्त एस. चन्नपा को नोडल बनाया है। निर्देश दिया है कि समिति में सभी व्यापार संगठनों के प्रतिनिधियों को शामिल करते हुए उनके सुझाव लिये जाएं, फिर उनके मुताबिक पहल हो। प्रेमनाथ मिश्रा ने कहा कि इसी हफ्ते समिति सक्रिय हो जाएगी।

बिक्री में अड़ंगा, नई पीढ़ी का मार्केटिंग फंडा

शहर के दूसरे प्रमुख मार्केट की तरह हथुआ मार्केट भी ऑनलाइन शॉपिंग से प्रभावित हुआ है। विजय जायसवाल, शरद अग्रवाल ने स्वीकार किया कि विगत पांच वर्षों के दौरान ऑनलाइन शॉपिंग के चलते मार्केट के कारोबार में 70 प्रतिशत तक गिरावट आई है। व्यावसायिक संघ के कोषाध्यक्ष प्रमोद सर्राफ ने कहा कि नई पीढ़ी की खरीदारी को लेकर सोच ने ई-शॉपिंग को अधिक बढ़ावा दिया है। वह आंख मूंदे ‘ब्रांड की मुरीद है। उनके मुताबिक, पहले ग्राहक एक सामान को दो दुकानों पर देखते-परखते थे। मोलभाव भी होता था। अब मोबाइल में पूरी दुनिया लेकर चल रहे युवा किसी उपभोक्ता वस्तु को सर्च करने के बाद सिर्फ दाम की तुलना करते हैं। वस्तु की गुणवत्ता गौण हो गई है। इसलिए वे ई-शॉपिंग प्लेटफार्म कोश् पसंद करते हैं। यह मार्केट की दुकानों पर बढ़ते सन्नाटे की मुख्य वजह है।

एक्सचेंज का विकल्प है ना

ऑनलाइन शॉपिंग के दुष्प्रभावों का अध्ययन कर रहे व्यापारी शशिकांत ने कहा कि ई-कॉमर्स कंपनियों ने कोई सामान पसंद न आने पर एक्सचेंज का विकल्प दे रखा है। इसलिए आज के ग्राहक निश्चिंत रहते हैं कि सामान खराब भी निकला तो पैसा नहीं डूबेगा, तुरंत बदल दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि एक्सचेंज पॉलिसी पर रोक नहीं लगी तो छोटे-मध्यम छोड़िए बड़े व्यापारी भी बहुत दिनों तक ऑनलाइन शॉपिंग की मार झेल नहीं पाएंगे।

फिर हमें भी दें ई-प्लेटफार्म

हथुआ मार्केट के व्यापारी चाहते हैं कि बड़ी कंपनियों की तरह उन्हें भी ई-प्लेटफार्म मिले। उस पर बिजनेस करने की ट्रेनिंग दी जाए। शशिकांत ने कहा कि हम बड़े ई-प्लेटफार्म पर मार्केटिंग की कोशिश कर चुके हैं लेकिन ‘सर्वाइव नहीं कर पाए। प्रेमनाथ मिश्रा ने कहा कि मौजूदा केन्द्र सरकार ने ‘वोकल फॉर लोकल का नारा दिया तो हम छोटे व्यापारियों को भी ई-शॉपिंग की काली छाया से बाहर निकलने की उम्मीद जगी लेकिन फिलहाल निराशा है। उन्होंने सवाल किया कि क्या व्यापारियों के लिए वोकल होने की जरूरत नहीं है?

छह हजार का सामान छोड़ गई

हथुआ मार्केट में कॉस्मेटिक्स के एक बड़े व्यापारी ने दीवाली के दो दिन पहले का अनुभव साझा किया। उनकी दुकान पर एक ग्राहक ने सौंदर्य प्रसाधन के अलग-अलग आइटम पसंद किए। दो घंटे तक वह पसंद-नापसंद प्रकट करती रही। छह हजार रुपये का बिल बना तो उसने मोबाइल निकाली। उन्हीं प्रोडक्ट के ई-प्लेटफार्म पर दाम दिखाते हुए उसने कहा कि यहां छह हजार के सामान तो पांच हजार में ही उपलब्ध हैं। आप कितनी छूट देंगे? उतनी छूट दे पाना संभव नहीं था। लिहाजा, वह ग्राहक सामान छोड़कर चली गई। व्यापारी पर क्या बीती होगी, इसका अंदाज लगाया जा सकता है।

व्यापक प्रतिक्रिया का संकेत

हथुआ मार्केट के व्यापारियों ने कहा कि सरकार की ई-कॉमर्स पॉलिसी के खिलाफ अंदर ही अंदर असंतोष बढ़ता जा रहा है। कोई ट्रेड नहीं जो आज प्रभावित न हुआ हो। उन्होंने संकेत दिया कि जल्द ही बनारस में भी व्यापारियों का व्यापक असंतोष सामने आने वाला है।

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