बीएचयू से 'हिन्दू' शब्द हटाना अनर्थ होगा
बीएचयू का नाम बदलने के प्रस्ताव को मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावेडकर ने खारिज कर व्यर्थ के विवाद से बचा लिया है। सोमवार के जैसे ही इसकी भनक लगी इस प्रस्ताव का विरोध शुरू हो गया। बीएचयू से लम्बे...
बीएचयू का नाम बदलने के प्रस्ताव को मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावेडकर ने खारिज कर व्यर्थ के विवाद से बचा लिया है। सोमवार के जैसे ही इसकी भनक लगी इस प्रस्ताव का विरोध शुरू हो गया। बीएचयू से लम्बे समय से जुड़े विद्वानों का कहना है कि नाम बदलने से क्या हासिल होगा? जब-जब ऐसा प्रयास हुआ है जनता ने उसे स्वीकार नहीं किया।
पहले ही ऐसे प्रयास खारिज हो चुके हैं
प्रसिद्ध साहित्यकार प्रो.काशीनाथ सिंह का कहना है कि बीएचयू और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का नाम बदलना कहीं से उचित नहीं होगा। उनका कहना है कि यह प्रयास पहली बार नहीं हुआ है। इसके पहले भी कोशिश हो चुकी है लेकिन सफल नहीं हुई। जब समाजवादी युवजन सभा छात्रसंघ में थी तो उस समय भी इस तरह का प्रस्ताव आया। राममनोहर लोहिया ने भी कहा लेकिन सरकार और जनता ने खारिज कर दिया। बीएचयू के संस्थापक महामना मदन मोहन मालवीय और एएमयू के संस्थापक सर सैय्यद अहमद खान के समय से ही दोनों संस्थाओं का नाम चल रहा है। ऐसे में किसी प्रकार से नाम परिवर्तन की बात नहीं होनी चाहिए।
एतिहासिक परिप्रेक्ष्य में नाम रखा गया
बीएचयू के पूर्व कुलपति और प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ.लालजी सिंह का कहना है कि नाम बदलने से कुछ नहीं होगा। मालवीय जी ने बीएचयू के नाम 'हिन्दू' शब्द क्यों जोड़ा था? इसे ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में देखना जरूरी है। नाम से एक पहचान बनती है। नाम बदलने की बजाय विचारों से संकीर्णता निकालना जरूरी है। अगर नाम में परिवर्तन ही करना है तो आम राय बनानी पड़ेगी। अन्यथा इससे व्यर्थ का विवाद खड़ा होगा।
नाम बदलने पर 1965 में हुआ था बवाल
बीएचयू में भौतिकशास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष तथा काशी विद्यापीठ और रांची विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो.एसएस कुशवाहा का कहना है कि यह एक अदूरदर्शितापूर्ण प्रस्ताव था। उन्होंने बताया कि 1965 में जब एमसी छागला केंद्र में मंत्री थे तो उन्होंने ऐसा प्रस्ताव दिया। जिसके बाद बीएचयू में इतना बवाल हुआ कि उसे संभालना मुश्किल हो गया है। अभी बड़ी मुश्किल से बीएचयू में शांति हुई है। मालवीय जी ने हमेशा 'हिन्दू' विश्वविद्यालय की बात कही। अगर बीएचयू से हिन्दू हटाया जाता है तो अनर्थ होगा। यह जरूर है कि एएमयू को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा नहीं मिलना चाहिए।
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