जरूरत बन चुका है वैश्वीकरण
ट्रांसफार्मिंग इंडिया की बुनियाद सन-1991 के वैश्वीकरण और उदारीकरण की नीतियों के साथ ही पड़ गयी थी। वर्तमान में यह अपने उच्च लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है।...
वाराणसी। वरिष्ठ संवाददाता
ट्रांसफार्मिंग इंडिया की बुनियाद सन-1991 के वैश्वीकरण और उदारीकरण की नीतियों के साथ ही पड़ गयी थी। वर्तमान में यह अपने उच्च लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है। यह बात शुक्रवार को प्रख्यात समाजशास्त्री एवं महर्षि दयानन्द विवि, रोहतक, हरियाणा के पूर्व संकायाध्यक्ष प्रो. बीके नागला ने डीएवी पीजी कॉलेज के समाजशास्त्र विभाग में ‘ट्रांसफार्मिंग इण्डिया-मुद्दे एवं चुनौतियां विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी में कही।
बतौर मुख्य वक्ता प्रो. नागला ने कहा कि वर्तमान समय में वैश्वीकरण आवश्यकता का विषय बन चुका है। मुख्य अतिथि प्रो. आरपी पाठक ने कहा कि सिद्धान्त और तकनीक के मिश्रण से ही हिन्दुस्तान ट्रांसफार्मिंग इण्डिया के लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है। बदलते भारत की पटकथा तो पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने लिखी थी जिन्हे विरासत में उजड़ा हुआ भारत मिला था।
दूसरे सत्र के मुख्य वक्ता वर्धा विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. गिरीश्वर मिश्रा ने कहा कि ट्रांसफार्मिंग इण्डिया की बात गांधी और नेहरू के समय से चल रही है। लखनऊ विवि के प्रो. डीआर साहू ने कहा कि सामाजिक विज्ञान लोकतांत्रिक परम्परा को पनपने में काफी मददगार साबित हुआ है। अध्यक्षता उपाचार्य प्रो. शिव बहादुर सिंह की। डॉ. सुषमा मिश्रा ने संचालन तथा विभागाध्यक्ष डॉ. विक्रमादित्य राय ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।
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