पूर्व इंजीनियर ने 68 की उम्र में जीता गोल्ड मेडल

कहते हैं, पढ़ने और सीखने की कोई उम्र नहीं होती है। ज्ञान और सीख कहीं से, कभी भी प्राप्त की जा सकती है। इसे चरितार्थ किया है बिजली विभाग के पूर्व...

Newswrap हिन्दुस्तान, वाराणसीTue, 23 Feb 2021 03:21 AM
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वाराणसी। वरिष्ठ संवाददाता

कहते हैं, पढ़ने और सीखने की कोई उम्र नहीं होती है। ज्ञान और सीख कहीं से, कभी भी प्राप्त की जा सकती है। इसे चरितार्थ किया है बिजली विभाग के पूर्व इंजीनियर सुरेन्द्र प्रसाद त्रिपाठी ने। 64 वर्ष की उम्र में उन्होंने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के एलएलबी पाठ्यक्रम में प्रवेश लिया। नियमित क्लास करते हुए उन्होंने न सिर्फ तीन वर्षीय पाठ्यक्रम पूरा किया बल्कि सर्वोच्च अंक प्राप्त करते हुए स्वर्ण पदक के भी हकदार बन गए। एलएलबी के टॉप टेन विद्यार्थियों की भी सूची में एसपी त्रिपाठी पहले नंबर पर हैं। विद्यापीठ में दो मार्च को होने जा रहे दीक्षांत समारोह में राज्यपाल आनंदीबेन पटेल 68 वर्षीय ‘विधि स्नातक को स्वर्ण पदक प्रदान करेंगी।

बचपन की एक घटना ने किया प्रेरित

काशी विद्यापीठ से सम्बद्ध लोकबंधु राजनारायण विधि कॉलेज (गंगापुर) में दाखिला लेने वाले एसपी त्रिपाठी ने ‘हिन्दुस्तान से बातचीत में इस उम्र में लॉ पढ़ने की वजह बताई। वह नौवीं कक्षा में पढ़ते थे। उस दौरान एक मुकदमे में परिवार की हार हो गई थी। तभी उन्होंने एलएलबी करने की ठान ली। जक्खिनी के राजकीय इंटर कॉलेज से इंटर करने के बाद बीएचयू में बीएससी में प्रवेश लिया। पढ़ने में मेधावी थे। सन-1975 में बीएचयू के इंजीनियरिंग कॉलेज में भी चयन हो गया। इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद बिजली विभाग में इंजीनियर हो गए। बीच में लॉ पढ़ने की हसरत अधूरी रह गई लेकिन मन में एक टीस बनी रही। सन-2012 में रिटायर होने के बाद एसपी त्रिपाठी पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में पांच वर्षों के लिए सलाहकार के पद पर नियुक्त किए गए। सलाहकार का कार्यकाल पूरा होने के बाद सन-2017 में उन्होंने एलएलबी में प्रवेश लिया।

हर व्यक्ति को एलएलबी करना चाहिए

बिजली विभाग में ‘गुरुजी उपनाम से चर्चित रहे एसपी त्रिपाठी का कहना है कि जीवन में विधि की पढ़ाई का बहुत महत्व है। डाक्टर, इंजीनियर, टीचर, बिजनेसमैन-सभी को विधि का ज्ञान होना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि हमने वकालत नहीं, अपनी जानकारी बढ़ाने के लिए विधि की पढ़ाई की। इस ज्ञान का उपयोग वह जरूरतमंदों की मदद में करेंगे। बैच में सबसे अधिक अंक मिलने की जानकारी होने पर ‘गुरुजी को थोड़ा आश्चर्य हुआ। वह मानते हैं कि उन्होंने गंभीरता और मेहनत से पढ़ाई की है।

क्लास में थे नियमित

लोकबंधु राजनारायण विधि कॉलेज के निदेशक अभिषेक सिंह का कहना है कि सुरेंद्र प्रसाद त्रिपाठी की उपलब्धि से कॉलेज गौरवान्वित है। वह नियमित क्लास करते थे। उन्होंने युवाओं के लिए आदर्श पेश किया है।

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