बोले काशी: पूर्व सैनिकों को कैंटीन-अस्पताल-थाना, हर जगह लड़नी पड़ती है 'जंग'
Varanasi News - वाराणसी में पूर्व सैनिकों ने अपनी समस्याओं को साझा किया। पेंशन, स्वास्थ्य सेवाएं, और कैंटीन में सामान की कमी जैसी दिक्कतें उन्हें परेशान कर रही हैं। वे प्रशासनिक अधिकारियों से अपेक्षाएं रखते हैं,...
वाराणसी। देश की सीमाओं पर हमेशा जंग नहीं होती लेकिन जंग जैसे हालात बनाने वालों को वे सिर नहीं उठाने देते। उनकी वजह से देश का एक-एक नागरिक चैन से रहता है। वे सैनिक रिटायरमेंट के बाद अपने ‘देस या घरों को लौटते हैं तो सामने समस्याओं की जमात जंग के लिए खड़ी मिलती है। पेंशन, कैंटीन और स्वास्थ्य से जुड़ी दिक्कतों के अलावा वे पुलिस थानों और चौकियों पर होने वाले व्यवहार से व्यथित होते हैं। समस्याओं के समाधान की अपेक्षा करने पर उन्हें उपेक्षा मिलती है। बनारस समेत पूर्वांचल में पूर्व सैनिकों और शहीद सैनिकों की आश्रितों की संख्या 50 हजार से अधिक है। सभी ऐसी किसी न किसी समस्या से उलझे दिखते हैं। वे समस्याएं नागरिक प्रशासन के अलग-अलग विभागों से जुड़ी होती हैं। वे अपनी प्रतिनिधि संस्था-पूर्व सैनिक कल्याण बोर्ड की समय-समय पर होने वाली बैठकों में समस्याएं उठाते हैं। उन बैठकों में जिलाधिकारी या उनके प्रतिनिधि के रूप में प्रशासनिक अधिकारी भी होते हैं। पुलिस के अधिकारी भी आते हैं। पूर्व सैनिकों को कोफ्त होती है जब उन बैठकों में मिला आश्वासन एक समय बाद कोरा महसूस होने लगता है। कारगिल योद्धा अजय कुमार सिंह के संजय नगर (पहड़िया) स्थित आवास पर जुटे पूर्व सैनिकों ने ‘हिन्दुस्तान के साथ अपनी समस्याएं साझा कीं। ये पूर्व सैनिक शहर के अलावा सारनाथ, परमानंदपुर, गोइठहां, चौबेपुर, चोलापुर, गौरा कलां आदि क्षेत्रों में निवास करते हैं। उन्होंने कहा, प्रशासनिक अफसरों के साथ मासिक बैठक में भूतपूर्व सैनिकों की आम समस्याओं के साथ निजी समस्याएं भी उठाते हैं। कुछ हल हो पाती हैं, कुछ आगे विचार के लिए रख दी जाती हैं। अजय कुमार सिंह ने कहा कि राजस्व संबंधी मामलों का समय से निस्तारण नहीं हो पाता। वे महीनों से लंबित हैं। थाना-चौकियों पर तिरस्कार एवं गलत लहजे में बातचीत उन्हें कचोटती है। पूर्व सैनिक सेना की ओर से लगाए जाने वाले कैंप को उपयोगी मानते हैं क्योंकि उसमें पेंशन संबंधी समस्याओं का निराकरण होता है। जबकि चिकित्सा सेवा, कैंटीन में सामानों की कमी से जुड़ी दिक्कतों के बाबत वे अफसरों से संवेदनशील होने की उम्मीद करते हैं।
वन रैंक वन पेंशन के लाभ पर सवाल
इंडियन वेटरन आर्गनाइजेशन के जनरल सेक्रेटरी एवं कारगिल योद्धा हवलदार अजय कुमार सिंह, जिलाध्यक्ष ओमप्रकाश सिंह का कहना था कि वन रैंक-वन पेंशन रिटायर सैन्यकर्मियों के लिए बेहतर योजना है, हालांकि इससे मौजूदा समय में रिटायर हो रहे सैनिकों को कुछ असुविधा भी है। यह योजना 2014 से रिटायर सैनिकों पर लागू है। हाल के वर्षों में रिटायर हो रहे पूर्व सैनिकों को इसका लाभ मिलने में असुविधा हो रही है। इसके लिए प्रयागराज स्थित सेना के रीजनल कार्यालय तक दौड़ लगानी पड़ रही है। इसके लिए पूर्वांचल स्तर पर वाराणसी में ही एक शाखा खुलनी चाहिए। इससे पूर्वांचल के हजारों पूर्व सैनिक प्रभावित हैं। लिहाजा इस ओर सैन्य अफसरों के अलावा स्थानीय प्रशासनिक अफसरों, भूतपूर्व सैनिक कल्याण बोर्ड के अधिकारियों को भी ध्यान देना चाहिए।
डॉक्टर और दवाओं की कमी, बिल भुगतान में देरी
पूर्व सैनिक इंद्रपाल सिंह, डॉ. अभिषेक सिंह, रामपाल सिंह, श्रीकुमार ने बताया कि पूर्व सैनिकों और उनके आश्रितों का ईसीएचएस यानी एक्स सर्विसमैन कांट्रीब्यूटरी हेल्थ स्कीम के तहत कार्ड बना है। इसके जरिये छावनी स्थित सेना के अस्पताल में उन्हें चिकित्सा सेवाओं का लाभ मिलता है लेकिन इसमें कई स्तर पर खामिया हैं। मसलन, गंभीर बीमारियों के विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी है। जरूरी दवाएं भी नहीं मिल पातीं। डॉक्टर अक्सर बाहर की दवाएं लिखते हैं। जब वे बाहर की दवा खरीदते हैं तो उसके बिल के भुगतान में कई महीने लग जाते हैं या बिल लंबित रह जाता है। उन्होंने कहा कि बिल भुगतान की अवधि तय होनी चाहिए ताकि बार-बार चक्कर न काटना पड़े।
कैंटीन के सामान को लगती है कतार
पूर्व सैनिक गणेश सिंह, हीरालाल मौर्या, जगदीश, अरविंद कुशवाहा, रामकिशुन सिंह आदि ने बताया कि छावनी स्थित कैंटीन पर पूर्वांचल के उनके 50 हजार से अधिक साथी आश्रित हैं। यहां सामान आने निकालने के लिए लंबी कतार लगानी पड़ती है। कारण सामान की कमी है। मांग के सापेक्ष कैंटीन में सामान बहुत कम आता है। आते ही दो से तीन दिन में खत्म हो जाता है। यहां बलिया, गाजीपुर, मऊ, जौनपुर, आजमगढ़ आदि जनपदों के अलावा वाराणसी के भूतपूर्व सैनिक और उनके आश्रित पहुंचते हैं। सामान आने की सूचना पर भोर में 4 से 5 बजे पहुंचकर कतार में खड़े हो जाते हैं। ताकि समय से अंदर प्रवेश कर जाएं और सामान की खरीदारी कर सकें। उन्होंने कहा कि अगर पर्याप्त मात्रा में सामान रहे तो लाइन लगाने की नौबत न आए। सारा काम धाम छोड़कर यहां कतार में लगना मजबूरी है। इस समस्या की ओर सैन्य अफसरों को ध्यान देना चाहिए।
निजी स्कूलों में प्रवेश और शुल्क में छूट मिले
गोइठहां के पूर्व सैनिक धनंजय उपाध्याय, गौरा कला के अरुण सिंह, सारनाथ के तेजबहादुर सिंह ने कहा, हम पूर्व सैनिक देश की सीमा पर 12 से 32 साल तक जीवन खपाते हैं। सेना की सेवा में रहने तक निजी स्कूलों में उनके बच्चों के प्रवेश शुल्क में छूट मिलती है लेकिन रिटायरमेंट के बाद नहीं मिलती। कहा कि रिटायरमेंट के बाद भी अंग्रेजी माध्यम के निजी स्कूलों में बच्चों के प्रवेश और शुल्क में कम से कम 50 फीसदी छूट मिलनी चाहिए।
थाना-चौकी पर अपमान खलता है
पूर्व सैनिकों ने पुलिस थाना और चौकियों पर अपमानित होने की बात कही। अवनीश सिंह, मुकेश सिंह ने बताया कि अगर किसी मामले को लेकर वे थाना-चौकी पहुंचते हैं, उनसे सम्मानजनक तरीके से बात नहीं की जाती। उन पर ही रौब जमाने का प्रयास किया जाता है, यह बहुत गंभीर स्थिति है। पूर्व सैनिकों के साथ ऐसा कई बार हो चुका है। जिला सैनिक बंधु की बैठक में भी यह मुद्दा उठाया जा चुका है। तब वहां मौजूद पुलिस अफसरों ने इस शिकायत को संज्ञान में लेने की बात कही थी लेकिन स्थिति नहीं बदली है।
राजस्व मामलों के लिए सेल
पूर्व सैनिकों का कहना है कि प्रति माह प्रशासनिक अफसरों की मौजूदगी में जिला सैनिक बंधु होती है। इसमें पूर्व सैनिकों की पेंशन, स्वास्थ्य के अलवा निजी समस्याएं भी उठाई जाती हैं। कई मुद्दों पर तात्कालिक तौर पर हामी भर दी जाती है लेकिन उनका निस्तारण नहीं हो पाता। मुकेश सिंह का सुझाव है कि राजस्व से संबंधित समस्याओं के निवारण के लिए अलग से एक सेल गठित की जाए।
टोल टैक्स में मिले छूट
पूर्व सैनिकों ने कहा कि वीवीआईपी की तरह उन्हें भी टोल टैक्स में कुछ प्रतिशत छूट मिलनी चाहिए। हम सैनिक पूरी जवानी खपाकर देश सेवा में रहे। सरकारी अस्पतालों में उनको वरीयता दी जाए।
यह कैसी जंग
थाने-चौकियों पर समस्याएं लेकर जाने पर अपमानित किया जाता है, यह ठीक नहीं है।
- आलोक सिंह
वन रैंक वन पेंशन में हाल के वर्षों में रिटायर सैनिकों को लाभ मिलने में परेशानी आ रही है।
- विजयशंकर राय
ईसीएचएस के तहत पूरी दवाएं नहीं मिलतीं, बाहर से दवा लेने पर उसका समय से भुगतान नहीं होता।
- रामसेवक
कैंटीन में अक्सर सामान खत्म हो जाता है, संख्या के सापेक्ष सामान कम आता है।
- राम सिंह
जिला सैनिक बंधु की बैठक में राजस्व मामलों का निस्तारण समय पर नहीं हो पाता है।
- मुकेश सिंह
निजी स्कूलों में पूर्व सैनिकों के बच्चों को प्रवेश और शुल्क में छूट मिलनी चाहिए।
- धनंजय उपाध्याय
पूर्व सैनिकों की कॉलोनियों में बुनियादी जरूरतों के लिए विभाग संवेदनशील बनें।
- रंजीत सिंह
कॉलोनी की समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं देता। संबंधित अधिकारियों को ध्यान देना चाहिए।
- गणेश सिंह
राजस्व मामलों में अफसरों के निर्देश के बाद भी पूर्व सैनिक तहसील-लेखपाल के यहां चक्कर काटते हैं।
- सुभाष सिंह
थाना या चौकी पर पूर्व सैनिकों की समस्याएं सम्मानजनक तरीके से सुनी जाएं।
- अवनीश सिंह
पिछली बार जिला सैनिक बंधु की बैठक में उठाई गईं समस्याएं हल नहीं हो सकीं।
- अवतार गुप्ता
जमीन को लेकर एक मनबढ़ आए दिन विवाद करता है। यह समस्या कई बार उठाई गई।
- अरुण सिंह
पूर्वांचल स्तर पर एक ही कैंटीन है, उसमें भी सामान कम पड़ जाता है।
- रंजीत सिंह
पूर्व सैनिकों के साथ मासिक बैठक में उठने वाले मुद्दों के निस्तारण की समय सीमा तय की जाए।
- संजय सिंह
पूर्व सैनिकों के आश्रितों की समस्याओं को वरीयता मिलनी चाहिए।
- मुकेश कुमार सिंह
सैन्य अस्पताल में जरूरी दवाएं रखी जाएं। बाहर की दवाओं के बिल का भुगतान जल्द हो।
- तेज बहादुर सिंह
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सुझाव
-जिला सैनिक बंधु की बैठक में उठाई जाने वाली समस्याओं के निवारण की समय सीमा तय हो।
- पूर्व सैनिकों के निजी राजस्व संबंधी मामलों के निस्तारण के लिए अलग सेल गठित की जाए।
- छावनी स्थित कैंटीन में पर्याप्ता मात्रा में सामान मंगाया जाए ताकि पूर्व सैनिक परेशान न हों।
- टोल टैक्स में छूट मिले। निजी अंग्रेजी माध्यम के विद्यालयों में भी बच्चों के प्रवेश-शुल्क में छूट हो।
- सैन्य अस्पताल से लिखी गईं बाहर की दवाओं का भुगतान एक सप्ताह या 10 दिन में सुनिश्चित हो।
शिकायत
- थाने या चौकियों पर कोई समस्या लेकर जाते हैं तो निस्तारण नहीं होता बल्कि अपमानित किया जाता है।
- आर्मी कैंटीन में सामान कम आने के कारण मारामारी रहती है, भोर से ही कतार में लगना पड़ता है।
- सैन्य अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी है, बाहर की दवाओं का लंबे समय से भुगतान नहीं हुआ है।
- जिला सैनिक बंधु की बैठक में उठाई गईं समस्याओं का पूरा निस्तारण नहीं होता, चक्कर काटना पड़ता है।
- पेंशन संबंधी समस्याओं का निवारण के लिए प्रयागराज स्थित क्षेत्रीय कार्यालय जाना पड़ता है।
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