गरीबी के कारण नवजात को फेंका, ममता जागी तो लेने आई
गरीबी और बीमारी से तंग एक मां अपनी नवजात बच्ची को घाट पर छोड़कर चली गई। बाद में जब ममता जागी तो रहा नहीं गया। भागी-भागी थाने, फिर अस्पताल पहुंची। बताया कि यह उसी के कलेजे का टुकड़ा है। इसे सौंप दिया...
गरीबी और बीमारी से तंग एक मां अपनी नवजात बच्ची को घाट पर छोड़कर चली गई। बाद में जब ममता जागी तो रहा नहीं गया। भागी-भागी थाने, फिर अस्पताल पहुंची। बताया कि यह उसी के कलेजे का टुकड़ा है। इसे सौंप दिया जाए। दो दिन बाद बच्ची की हालत सुधरने और बाल संरक्षण गृह से जरूरी औपचारिकता पूरी करने के बाद महिला को बच्ची सौंप दी गई। बिहार का एक परिवार मणिकर्णिका घाट किनारे किराये पर रहता है। परिवार में पति-पत्नी, इनके दो बच्चे, सास हैं। गरीबी और परिवार में तीन सदस्यों की बीमारी के कारण तीसरा बच्चा नहीं चाहते थे। इसी बीच पत्नी गर्भ से हो गई, लेकिन उसने यह बात छिपाये रखी। किसी के पूछने पर पेट दर्द और दवा खाने से सूजन की बात कहती थी। करीब हफ्तेभर पहले रात में प्रसव पीड़ा हुई तो वाशरूम गई और वहीं पर उसका प्रसव हो गया। उसने नवजात को मणिकर्णिका घाट पर ऐसी जगह रख दिया, जहां सबकी निगाह जाए। सुबह लोगों ने देखा, फिर पुलिस को जानकारी दी। पुलिस ने उसे बाल संरक्षण गृह को सूचना देकर अस्पताल में भर्ती कराया गया। उधर प्रसव के बाद जब घर महिला घर पहुंची तो उसकी हालत बिगड़ने लगी। जब परिजन अस्पताल के लिए निकले तो उसने सारी बात बताई। करीब दो दिन जब उसे पता चला कि पुलिस ने नवजात को अस्पताल में भर्ती कराया है, फिर वह पुलिस के पास पहुंची और फिर अस्पताल। बाल संरक्षण अधिकारी निरुपमा सिंह ने बताया कि उक्त बच्ची को आठ अक्तूबर की शाम उसकी मां के सुपुर्द कर दिया गया।नवजात सौंपने पर जानकारी हुई कि बच्ची हैबाल संरक्षण अधिकारी ने बताया कि उक्त महिला बिना किसी को जानकारी दिये नवजात को छिपाने में इतनी जल्दी में थी कि यह भी नहीं देखा कि लड़की है या फिर लड़का। जब उसे बच्ची को सौंपा गया, फिर उसे जानकारी हुई।
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